Friday, 24 January 2014

Filled Under:

राखी पुरोहित की सात क्षणिकाएं


आंसू

हमने इन आंसुओं को बहुत समझाया
कि तन्हाई में आया करे
महफिल में बैठे हों अगर
तो हमें न रुलाया करे
इतने में इक आंसू तड़पकर बोला-
इतनों में भी तन्हा पाते हैं
तभी तो हम आते हैं।

गम

हजार खुशियां कम है
इक गम भुलाने के लिए
एक ही गम काफी है
जिंदगी पर रुलाने के लिए

दोस्त

गम से बढ़कर दुनिया में
दोस्त कोई हो सकता नहीं
दोस्त जुदा हो सकता है
मगर गम जुदा हो सकता नहीं

वक्त

वक्त बदलता है तो
हालात भी बदल जाते हैं
कहकहे टूटकर अश्कों में
बिखर जाते हैं
जिंदगी भर कौन किसे
याद रखता है
वक्त के साथ संदर्भ भी 
बदल जाते हैं। 

वक्त और यादें

वक्त बदलता है तो
यादें भी बदल जाती है
रास्ते बदलते हैं तो
मंजिलें भी बदल जाती है
ये उम्र का जादू सदा
रहने वाला नहीं
उम्र के साथ-साथ
निगाहें भी बदल जाती है। 

रात

रात आती है मगर
तेरी याद में कट जाती है
आंख सितारों में भी टपटपाती है
इतने बदनाम हुए तेरी मोहब्बत में सनम
अब तो नींद भी आते हुए शरमाती है। 

जमाने में

यूं तो हमें जमाने में
गम ही रास आए हैं
हंसी आती है उन लोगों पै
जो गम देकर भी मुस्कराए हैं। 

0 comments:

Post a Comment