Thursday, 19 June 2014

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देश आज बदनाम है


गीत: डी.के. पुरोहित


खुदा तुम्हारे दिल में है
और मेरे भीतर राम है
मंदिर मस्जिद के झगड़ों में
देश आज बदनाम है

राम न देता रोटी मुझको
काम से चलती गाड़ी है
कुर्सी पर बैठा वो नेता
सबसे बड़ा खिलाड़ी है
ऐसे में वो जहर फूंकता 
मरती यहां अवाम है
मंदिर मस्जिद के झगड़ों में
देश आज बदनाम है

आओ गीत अमन के गाएं
न्याय करें अपने घर का
लिए तराजू अंधी आंखें
क्यों करै फैसला उसके दर का
सबकी पूरी करें मुरादें
वो रामदेव का धाम है
मंदिर मस्जिद के झगड़ों में
देश आज बदनाम है

इन पेड़ों की रचना में
एक बीज का गलना है
अल्लाह ईश्वर के बेटों को
आखिर इक दिन मरना है
जन्नत की बातें बेकार
स्वर्ग वसुधा नाम है
मंदिर मस्जिद के झगड़ों में 
देश आज बदनाम है

सूरज का तो धर्म यही
पर उपकार में जलना है
आसमां के आंगन में
तारों संग चांद को रहना है
कायनात की कोख कहां
किस मां ने दिया इनाम है
मंदिर मस्जिद के झगड़ों में
देश आज बदनाम है।

(यह गीत तब लिखा था जब राम मंदिर व बाबरी मस्जिद मुकदमे का अदालत से फैसला आने वाला था।)

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