गीत: डी.के. पुरोहित
कल जो तेरा था
आज वो मेरा है
कल किसी और का हो जाएगा
बस इतनी सी बात
समझ लेना प्राणी
तेरा हो जाएगा बेड़ा पार तू सुन ले ओ नादां
हमने तोल-मोल में गिन-गिन
गुजारे जीवन के दिन चार
फिर एक दिन आ गया
बुलावा मालिक का
जो आया है वो निश्चित जाएगा
बस इतनी सी बात
समझ लेना प्राणी
तेरा हो जाएगा बेड़ा पार तू सुन ले ओ नादां
सदा न चलता रूप का जादू
रख ले तू भावों पर काबू
यहां सब खिलौने माटी के
वो मनचला है कुंभकार
अपनी मर्जी खूब चलाएगा
बस इतनी सी बात
समझ लेना प्राणी
तेरा हो जाएगा बेड़ा पार तू सुन ले ओ नादां
मंजिल का किनारा ढूंढ़
समंदर का नहीं कोई छोर
उजाले की आशा में यहां
छली जाती है नित भोर
आनी-जानी है शाम, जीवन डूब जाएगा
बस इतनी सी बात
समझ लेना प्राणी
तेरा हो जाएगा बेड़ा पार तू सुन ले ओ नादां।
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