Monday, 30 June 2014

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कल जब हम न होंगे


गीत: डी.के. पुरोहित

कल जब हम न होंगे इस दुनिया में  
कोई हमारे गीत गुनगुनाएगा
इन गीतों के आइने में दोस्तों
हमारा ही चेहरा नजर आएगा

उन लम्हों की याद में आंख बहेगी
रह-रह कर हमारी कहानी कहेगी
तुम्हारी बेवफाई पर तुम ही हंसोगी
यह पीर अकेली जवानी सहेगी
चांद की खामोशियां सहेगा आसमां
टूटा तारा राह में बिखर जाएगा
कल जब हम न होंगे इस दुनिया में
कोई हमारे गीत गुनगुनाएगा
इन गीतों के आइने में दोस्तों
हमारा ही चेहरा नजर आएगा

प्यार के बदले मैंने प्यार ही मांगा
मगर प्रिये तुमने दौलत को चाहा
तुमने वही किया जीवन में
जो तुम्हारे खुदगर्ज मन को भाया
बिखर जाएगा सब जवानी का मेला                                

सागर में सूरज सांझ सजाएगा
कल जब हम न होंगे इस दुनिया में
कोई हमारे गीत गुनगुनाएगा
इन गीतों के आइने में दोस्तों
हमारा ही चेहरा नजर आएगा। 

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