Friday, 24 January 2014

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जब हम हम नहीं होते

गीत : डी.के. पुरोहित



जब हम हम नहीं होते
गम गम नहीं होते
किसी गीत के रूठने से
नैन नम नहीं होते

चांद की हसरत छलावा है
धोखा सितारों का बुलावा है
वो जो चमक रहे परबत
छुपाए सीने में लावा है
इस लावे के फूटने से
दिल के छाले कम नहीं होते
जब हम हम नहीं होते
गम गम नहीं होते

गीतों में मीठास ढूंढ़ते
गम में अपने हैं रूठते
ऐसे भी पल आते हैं यहां
जब दिल के आइने हैं टूटते
टूटे आइने किस काम के
सूरत देख शायद हम रोते
जब हम हम नहीं होते
गम गम नहीं होते

हंसी के लिए आंसू चुराओ
मुस्कराकर दर्द पीरा छुपाओ
जगत का कल्याण शिव भरोसे
फिर क्यों न हसंकर गरल पी जाओ
यूं गरल पीकर हम
मिथ्या जगत से मुक्त होते
जब हम हम नहीं होते
गम गम नहीं होते

संसार की पहेली के दो रूप
एक सुख की छांव दूजी पीरा धूप
एक के बगैर दूसरी अधूरी
किसे सुंदर किसे कहें कुरूप
सुंदरता चंद क्षणों की मेहमां
बुढ़ापे मौत के ताने बुनते
जब हम हम नहीं होते
गम गम नहीं होते। 

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