Monday, 27 January 2014

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आंसुओं की डगर

गीत : डी.के. पुरोहित



आंसुओं की डगर
जिंदगी का सफर
इस दुनिया में यारों
कैसे होगी हमारी बसर

मन रोता है पल-पल
हर कोई करता है छल
दिल हो गया है घायल
दिन उकता गया है
सूरज गया है ठहर
आंसुओं की डगर
जिंदगी का सफर

अनगिनत प्रश्न उत्तर मांग रहे
तिनकों पर मशाल टांग रहे
गम का सागर जैसे छलांग रहे
बेबस वक्त की शिला पर
टकराकर घायल हुई लहर
आंसुओं की डगर 
जिंदगी का सफर

टूट गए सपने, रूठे अपने
भाव विचलित हुए अनमने
वो तैयार घाव पर नमक छिड़कने
पीड़ा नासूर बन गई 
अवसाद कर गया घर
आंसुओं की डगर
जिंदगी का सफर। 

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