Monday, 13 January 2014

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किस को बयां करें


कविता : राखी पुरोहित



गुजर रही जो दिल पर
किस को बयां करें
रूठा नसीब रूठे सपने
रुसवा हुआ जो दिलबर
वक्त बदल सकता करवट
रूठा मीत मिल जाता
पतझड़ सा मुरझाया दिल
फूलों सा फिर खिल जाता
मुस्कान लाए चेहरे पर
उसको हम सजदा करें
गुजर रही जो दिल पर
किस को बयां करें

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