Friday, 10 January 2014

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बता ए चांद जरा

गीत -डी के पुरोहित 

बता ए चांद जरा
बारात में अपनी ये अनगिन सितारे 
कहां से लाया है 

चांदनी का वरण किया 
आसमां की सेज सजाई  
रात के गहन अंधेरे में
प्रणय की लगन लगाई  
ब्रहमाण्ड की रचना में निराकार निर्गुण  ने 
अपना दिमाग अजब लगाया है 
बता ए चांद जरा 
बारात में अपनी ये अनगिन सितारे 
कहां से लाया है 

धरती के आंगन में फूलों सी तेरी मुस्कान
सूरज से चंद सांसे लेकर
नित होता तू प्राणवान 
यह धरती, पर्वत नदियां, पेड़-पौधे
कायनात ने करिश्मा दिखाया है 
बता ए चांद जरा 
बारात में अपनी  ये अनगिन सितारे 
कहां से लाया है
  
सितारे बने हुए हैं आसमान के पहरेदार 
टिमटिम करते ये चमकते 
हमारे बन गए हैं राजदार 
विरह की रात में पीरा की जुबां बन 
सपनों पर मन आज आया है 
बता ए चांद जरा 
बारात में अपनी  ये अनगिन सितारे 
कहां से लाया है।

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