Tuesday, 7 January 2014

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सेना व सुरक्षा एजेंसियों में बढ़ने लगे खुदकुशी के मामले

-बीएसएफ, एयरफोर्स, सेना, पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों में प्रेम त्रिकोण, मानसिक तनाव, काम के दबाव और परिवार से दूर होने की वजह से बढ़ रहे हैं खुदकुशी के मामले....

-डी.के. पुरोहित-

केस : एक : जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात स्क्वाड्रन लीडर आनंदिता दासगुप्ता ने खुदकुशी कर ली। इसके पीछे प्रेम त्रिकोण कारण बताया गया।

केस : दो : दिल्ली पुलिस में एक सिपाही ने काम के बढ़ते बोझ के चलते खुदकुशी कर ली। बताया जाता है कि बढ़ते काम के दबाव से परेशान था और यह कदम उठा लिया।

केस : तीन : जैसलमेर में भारत-पाक बार्डर पर बीएसएफ के एक जवान ने बंदूक से खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली। वह परिवार से दूर होने की वजह से मानसिक रूप से परेशान था।

जोधपुर. ऊपर दिए कुछ उदाहरण तो एक बानगी है। पिछले एक दशक में सेना, वायुसेना, बीएसएफ, पुलिस, जीआरपी, आरपीएफ और अन्य विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों में आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। इसके पीछे कई  कारण बताए जा रहे हैं। मुख्य रूप से प्रेम त्रिकोण, कुंठा, काम का बोझ, तनाव, परिवार से दूर रहने जैसे कई  कारण सामने आए हैं। कई  मामलों में जवानों व अधिकारियों ने आत्महत्या कर ली तो कुछ मामलों में जवानों ने प्रेम त्रिकोण के चलते अपनी पत्नी की हत्या भी कर ली। जैसलमेर में करीब नौ साल पहले वायुसेना के एक जवान ने अपनी पत्नी के चरित्र पर सवाल उठाते हुए उसकी हत्या कर दी और पुलिस में समर्पण कर दिया, बाद में वह कोर्ट से बरी भी हो गया। ऐसे कई मामले हैं जिनका अंत आत्महत्या और हत्या के रूप में होता है।

वर्षों तक परिवार से दूर रहने का तनाव

बीएसएफ और सेना के जवान वर्षों तक परिवार से दूर रहते हैं। कई  बार छुटिटयां नहीं मिल पाती तो परिवार से दूर रहने की वजह से वे तनाव में रहते हैं। इन जवानों की डयूटी बड़ी सख्त होती है। दिन-रात बार्डर पर चौकसी और पेट्रोलियम से वे तनाव में रहते हैं। परिवार और पत्नी-बच्चों की याद सताती है, ऐसे में वे खुदकुशी  जैसा कदम उठा लेते हैं। बीएसएफ और सेना में आत्महत्या के मामलों में पचास से साठ प्रतिशत ऐसे ही मामले सामने आए हैं।

प्रेम त्रिकोण

जोधपुर में पिछले साल वायुसेना की अधिकारी आनंदिता की आत्महत्या के पीछे प्रेम त्रिकोण सामने आया। आत्महत्या वाली रात आनंदिता और उसके पति विशाख में झगड़ा हुआ बताते हैं। इस मामले में आनंदिता के पति के साथी ईशात को बर्खास्त भी किया गया, जिसके साथ आनंदिता का कथित अफेयर चल रहा था। ऐसे मामले  सेना, वायुसेना, बीएसएफ और सुरक्षा एजेंसियों में अधिकारी वर्ग में अधिक सामने आ रहे हैं।

अधीनस्थ महिला साथी के साथ दुराचार

कई  बार अधिकारियों द्वारा अपने महिला साथी के साथ दुराचार करने की वजह से भी आत्महत्या तक की नौबत आ जाती है। ऐसे मामले भी पिछले पांच सालों में सामने आए हैं। कई  बार महिला कर्मचारियों ने अपने अधिकारियों पर दुराचार और छेड़छाड़ के आरोप भी लगाए हैं।

काम का दबाव

सुरक्षा एजेंसियों में कार्यरत जवानों पर काम का बोझ अधिक होता है। दिन-रात नौकरी और काम के दबाव के चलते वे आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं। इन जवानों के साथ अधिकारियों का व्यवहार भी रुखा होता है। अधिकारी अपने मातहत को प्रताडि़त करते हैं और उसका नतीजा भी खुदकुशी  के रूप में सामने आ रहा है।

ऐसे कदम जिससे आत्महत्या की नौबत न आए

1. काम के बोझ से बचने के लिए सुरक्षा एजेंसियों के जवानों और अधिकारियों को ध्यान व योग का अभ्यास करना चाहिए।

2. जवानों के मनोरंजन के लिए समय-समय पर कार्यक्रम होने चाहिए ताकि दिन भर की मेहनत और काम से वे रिलेक्स हो सके।

3. अधिकारियों को चाहिए कि अपने मातहत के साथ अच्छा व्यवहार हो। ताकि अधीनस्थ जवान काम के प्रति समर्पित हो और दबाव में न आएं।

4. परिवार और बच्चों से मिलने के लिए नियमित अंतराल में जवानों को छुटटी मिलनी चाहिए।

5. महिलाओं के मामले में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। खासकर अपने मातहत की पत्नी के प्रति अधिकारी वर्ग का व्यवहार संयमित होना चाहिए।

6. जिस बटालियन में जवान कार्य कर रहा है, उस बटालियन में आदर्श  कार्य का माहौल होना चाहिए। फर्ज पर मरने वाले जवानों की मेहनत और समर्पण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

क्या कहते हैं विषेषज्ञ-----

तनाव से बचने के लिए टीएम करें

महर्षि महेश योगी की स्कूल से जुड़े योग विशेषज्ञ वाई एस कुंतल का कहना है कि महर्षिजी ने सेना, बीएसएफ और सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े लोगों के लिए भावातीत ध्यान (टीएम) की सलाह दी है। महर्षिजी हमेशा  कहते थे कि जवानों को भावातीत ध्यान से जोड़कर आदर्श  कार्य का वातावरण दिया जा सकता है।

आदर्श  कार्य वातावरण हो

मैनेजमेंट गुरु वीवीएम पांडे का कहना है कि जवानों को तनाव से बचाने और सहज कार्य करने के लिए आदर्श  वातावरण उपलब्ध होना चाहिए। उनके मनोरंजन के लिए उपयुक्त उपकरण होने चाहिए और खेल और प्रतियोगिताओं का निरंतर आयोजन होना चाहिए। मानसिक तनाव दूर करने के लिए खेलों के प्रति ध्यान दिया जाएगा तो वे न केवल डयूटी के प्रति फिट रहेंगे बलिक उनका मन भी काम में लगा रहेगा।


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