Monday, 13 January 2014

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आंसू न होते


गीत - डीके पुरोहित 


आंसू न होते तो
दर्द का भार कम न होता
मुटठी में होता भविष्य
समय बेरहम न होता

हर कदम बढ़ रहे आगे
मंजिल से बेखबर हम
कहां ले जाएगा कारवां
कहां पहुंचकर लेंगे हम दम 
यह अगर मालूम चलता
हमें हारने का गम न होता
आंसू न होते तो
दर्द का भार कम न होता

शिकायत करना बुझदिली है
अपने पर रखना होगा भरोसा
रास्ते पथरीले, मौसम खराब है
अनिष्ट का लग रहा अंदेशा 
खुद दीप बन जाते तो
घर-घर यहां तम न होता
आंसू न होते तो
दर्द का भार कम न होता

इन आंखों ने देखे सपने
टूट गए बीच राह में
धोखा मिला हर बार हमें
लुटते ही गए वफा की चाह में
पूरी हो जाती अगर मुराद भी
हौसला हमारा कम न होता
आंसू न होते तो
दर्द का भार कम न होता।

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