Tuesday, 28 January 2014

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अंधियारों से लड़ते लड़ते

गीत : डी.के पुरोहित


अंधियारों से लड़ते लड़ते
शब्द हमारे घायल हो गए 
नफरत से जब-जब देखा उसको
इक दिन प्यार के कायल हो गए 

सदा छांव के घेरों में रहते
धूप की चादर मन नहीं भाती
सुर-साज खामोश हो गए 
शब्द भटक गए, कैसे गाती
छोटे छोटे पठार प्रीत के
इक दिन खुद विंध्याचल हो गए 
अंधियारों से लड़ते लड़ते 
शब्द हमारे घायल हो गए 

नहीं सहारा मिला कहीं से
दीया जले कैसे बिन बाती
कांटों ने अपहरण किया जब
कलि बेचारी कैसे मुस्काती
फूलों का आलाप सुना तो
माटी का वो आंचल हो गए 
अंधियारों से लड़ते लड़ते
शब्द हमारे घायल हो गए 

समां तड़पती अग्नि में जल
परवाना क्यों पीछे हटता
प्रेम डगरिया कांटों भरी हो
सच्चा प्रेमी साथ निभाता
रात सुहानी जब दुल्हन बनती
चांद सितारे पायल हो गए 
अंधियारों से लड़ते लड़ते 
शब्द हमारे घायल हो गए।


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