कविता : राखी पुरोहित
धरा के गीत क्या लिखें
जब शब्द ही मौन हैं
इस जहां में दोस्तों
कहने को अपना कौन है?
स्वार्थपूरित हर इंसां हैं
प्यार के बदले हिंसा हैं
अहिंसा के पुजारी आज
हो गए गौण है
धरा के गीत क्या लिखें
जब शब्द ही मौन हैं
इस जहां में दोस्तों
कहने को अपना कौन है?
जग की रीत निराली है
जहर घुली अमृत की प्याली है
बन सके मीरा कोई क्या
जब कृष्ण ही मौन है
इस जहां में दोस्तों
कहने को अपना कौन है?
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