गीत : डीके पुरोहित
तेरे गीतों को सुन
आंसू निकल आए
कतरा-कतरा गिरे
फिर भी न संभल पाए
जिधर देखा उधर
अंधेरा घेरने लगा
विधाता भी नाराज हो
अब मुंह फेरने लगा
छल की पगडंडी पर
एक कदम न चल पाए
तेरे गीतों को सुन
आंसू निकल आए
यह दुनिया है दुरंगी
नित रंग बदलती है
सच्चाई का दंभ भरते
झूठ की चादर मचलती है
समय के आसमां पर
बेवक्त सूरज न ढल पाए
तेरे गीतों को सुन
आंसू निकल आए।
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