Saturday, 12 July 2014

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बाल कविता : डी.के. पुरोहित

गांधी के सपनों का भारत

गांधी के सपनों का भारत

आओ बनायें मिलकर

रहे नहीं भूमि बिन खेती

मेहनत करें हम डटकर

मरे न कोई भूखा-प्यासा

मजदूर किसान साथ रहे

अहिंसा का प्रचार करें

कहीं नहीं उत्पात रहे

आज का बच्चा, कल का युवा

बने राष्ट्र का कर्णधार

सत्य अहिंसा कर्मनिष्ठा

बने प्रगति का आधार

देश के उत्थान में

योगदान करें बढ़चढ़कर

गांधी के सपनों का भारत

आओ बनायें मिलकर।

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