सुबह सुहानी आई
छंटा अंधेरा धीरे-धीरे
सुबह सुहानी आई
चीं-चीं चिड़िया चहकीं
और गाय रंभाई
छोड़ो बिस्तर उठ जाओ
मुर्गे ने बांग लगाई
आसमान पर उभरी लाली
सूरज ने किरणें फैलाई
शांत सरोवर कल-कल करते
लहरों ने तेजी दिखाई
पेड़-पौधे नव स्फूर्त हुए
बागों में कलियां मुस्काई
छंटा अंधेरा धीरे-धीरे
सुबह सुहानी आई।
छंटा अंधेरा धीरे-धीरे
सुबह सुहानी आई
चीं-चीं चिड़िया चहकीं
और गाय रंभाई
छोड़ो बिस्तर उठ जाओ
मुर्गे ने बांग लगाई
आसमान पर उभरी लाली
सूरज ने किरणें फैलाई
शांत सरोवर कल-कल करते
लहरों ने तेजी दिखाई
पेड़-पौधे नव स्फूर्त हुए
बागों में कलियां मुस्काई
छंटा अंधेरा धीरे-धीरे
सुबह सुहानी आई।
0 comments:
Post a Comment