Thursday, 17 July 2014

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क्षणिकाएं: राखी पुरोहित




उम्मीद

जब-जब तुमसे मिलने की
उम्मीद नजर आई
मेरे पैरों में जंजीर 
नजर आई
गिर पड़े आंख से आंसू
हर आंसू में आपकी 
तस्वीर नजर आई

वक्त

वक्त बदलता है तो हालात
बदल जाते हैं
कहकहे टूटकर अश्कों में 
बिखर जाते हैं
जिंदगी भर कौन किसे
याद रखता है
वक्त के साथ-साथ
संदर्भ भी बदल जाते हैं। 

चोरी

सामने बैठकर दिल को चुराए कोई
ऐसी चोरी का पता क्या खाक लगाए कोई

दोस्ती

फूलों से क्या दोस्ती करनी
पल भर में मुरझाते हैं
दोस्ती करो तो कांटों से
जो चुभने के बाद भी याद आते हैं

रात

रात आती है मगर 
तेरी याद में कट जाती है
आंख सितारों में भी
टपटपाती है
इतने बदनाम हो गए तेरी मोहब्बत में ए सनम
अब तो नींद आते हुए भी शर्माती है। 

पत्थर

पत्थर को पिघलते देखा है
आसमां को झुकते देखा है
सच्ची चाहत में ताकत इतनी
इंसान को बदलते देखा है




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