Filled Under: बाल कविता
बाल कविता : डी.के. पुरोहित
वंदना
जय-जय-जय जगतपति
जय-जय भारत भारती
तू तेजोमय बलशाली
तू निज सुतों को तारती
मस्तक बना हिमालय
गंगा चरण पखारती
काश्मीर की वादियां
तेरा रूप निखारती
अलग-अलग धर्मों की
पुनीत ध्वजा तू धारती
भिन्न-भिन्न भाषाएं
तेरी शोभा बखानती
हरियाली की धानी चूनर
तेरा उर है संवारती
जय-जय-जय जगतपति
जय-जय भारत भारती।
0 comments:
Post a Comment