Saturday, 12 July 2014

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बाल कविता : डी.के. पुरोहित

आओ पेड़ लगाएं

धरती को स्वर्ग बनाएं
आओ पेड़ लगाएं
हरियाली की चादर फैले
सजे नव फूलों के मेले
महक उठे समीर
खिल उठे तसवीर
बढ़े प्राण वायु
लोग बने दीर्घायु
प्रदूषण हटे दूर
खुशहाली रहे भरपूर
जीवों को मिले संरक्षण
मृदा का रुके क्षरण
बहुतेरे लाभ उठाएं
आओ पेड़ लगाएं। 

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