-हाईकोर्ट ने सूचना आयोग की कार्यप्रणाली प्रभावी बनाने को कहा
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग में अपीलों का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित करने के लिए 14 अगस्त तक सूचना आयुक्तों की नियुक्ति करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि आयोग की कार्यप्रणाली को अधिनियम की मूल भावना के अनुरूप प्रभावी बनाया जाए, ताकि आम व्यक्ति को सूचना हासिल करने में अड़चनों का सामना नहीं करना पड़े।
न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी और न्यायाधीश बनवारीलाल शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिनेश बोथरा की ओर से दायर जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिए। याची की ओर से अधिवक्ता बीएस संधु ने कहा कि अधिनियम के मुताबिक राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति के साथ-साथ न्यूनतम एक या अधिकतम दस राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति अनिवार्य है। इसके विपरीत राज्य में मात्र एक मुख्य आयुक्त की ही नियुक्ति की गई है। राज्य आयोग की बहु व्यक्तित्व संरचना अभिव्यक्त होने के बावजूद राज्य सरकार ने आवश्यक संख्या में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की है। इस कारण आयोग सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत द्वितीय अपील तथा परिवादों पर सुनवाई की अधिकारिता ही प्राप्त नहीं करता। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया विचाराधीन है। इसके लिए कुल 119 आवेदन पत्र प्राप्त हुए हैं, जिनकी स्क्रीनिंग के लिए मुख्यमंंत्री, नेता प्रतिपक्ष और एक केबिनेट मंत्री की समिति गठित की गई है। यह समिति 24 जुलाई को स्क्रीनिंग प्रक्रिया का अंतिम रूप देगी और नियुक्ति के लिए पात्र व्यक्तियों की सूचना राज्यपाल को भिजवाएगी। राज्यपाल के अनुमोदन के पश्चात आयुक्तों की नियुक्ति कर दी जाएगी। इस पर खंडपीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को यह प्रक्रिया 14 अगस्त तक हर हाल में पूरा करने के आदेश दिए। गौरतलब है कि याचिका में यह भी कहा गया था कि आयोग के गठन के बाद से अब तक मुख्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में किसी तरह की पारदर्शी चयन प्रणाली नहीं अपनाई गई और न ही आयोग की कार्यशैली को प्रभावी बनाने के लिए अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप हर क्षेत्र के प्रख्यात विषय विशेषज्ञों को जिम्मेदारी दी गई। इसे देखते हुए ही राज्य में पहली बार आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सरकार ने सार्वजनिक विज्ञप्ति जारी कर आवेदन आमंत्रित किए। आयोग के नियमों में प्राथमिकता से सुनवाई संबंधी कोई प्रावधान शामिल नहीं है, जबकि जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ी सूचनाएं 48 घंटे में दिए जाने संबंधी अधिकार की अवहेलना होने के मामलों की त्वरित सुनवाई अनिवार्य है। इन सभी बिंदुओं पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं।
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग में अपीलों का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित करने के लिए 14 अगस्त तक सूचना आयुक्तों की नियुक्ति करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि आयोग की कार्यप्रणाली को अधिनियम की मूल भावना के अनुरूप प्रभावी बनाया जाए, ताकि आम व्यक्ति को सूचना हासिल करने में अड़चनों का सामना नहीं करना पड़े।
न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी और न्यायाधीश बनवारीलाल शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिनेश बोथरा की ओर से दायर जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिए। याची की ओर से अधिवक्ता बीएस संधु ने कहा कि अधिनियम के मुताबिक राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति के साथ-साथ न्यूनतम एक या अधिकतम दस राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति अनिवार्य है। इसके विपरीत राज्य में मात्र एक मुख्य आयुक्त की ही नियुक्ति की गई है। राज्य आयोग की बहु व्यक्तित्व संरचना अभिव्यक्त होने के बावजूद राज्य सरकार ने आवश्यक संख्या में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की है। इस कारण आयोग सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत द्वितीय अपील तथा परिवादों पर सुनवाई की अधिकारिता ही प्राप्त नहीं करता। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया विचाराधीन है। इसके लिए कुल 119 आवेदन पत्र प्राप्त हुए हैं, जिनकी स्क्रीनिंग के लिए मुख्यमंंत्री, नेता प्रतिपक्ष और एक केबिनेट मंत्री की समिति गठित की गई है। यह समिति 24 जुलाई को स्क्रीनिंग प्रक्रिया का अंतिम रूप देगी और नियुक्ति के लिए पात्र व्यक्तियों की सूचना राज्यपाल को भिजवाएगी। राज्यपाल के अनुमोदन के पश्चात आयुक्तों की नियुक्ति कर दी जाएगी। इस पर खंडपीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को यह प्रक्रिया 14 अगस्त तक हर हाल में पूरा करने के आदेश दिए। गौरतलब है कि याचिका में यह भी कहा गया था कि आयोग के गठन के बाद से अब तक मुख्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में किसी तरह की पारदर्शी चयन प्रणाली नहीं अपनाई गई और न ही आयोग की कार्यशैली को प्रभावी बनाने के लिए अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप हर क्षेत्र के प्रख्यात विषय विशेषज्ञों को जिम्मेदारी दी गई। इसे देखते हुए ही राज्य में पहली बार आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सरकार ने सार्वजनिक विज्ञप्ति जारी कर आवेदन आमंत्रित किए। आयोग के नियमों में प्राथमिकता से सुनवाई संबंधी कोई प्रावधान शामिल नहीं है, जबकि जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ी सूचनाएं 48 घंटे में दिए जाने संबंधी अधिकार की अवहेलना होने के मामलों की त्वरित सुनवाई अनिवार्य है। इन सभी बिंदुओं पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं।
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