Saturday, 12 July 2014

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बाल कविता : डी.के. पुरोहित

सागर के उस पार चलें

सागर के उस पार चलें
देखें वहां क्या है
तट से केवल पानी दिखता
जाने उसके आगे क्या है
सूरज उगता छाती लाली
पानी हो जाता लाल
आसमान पर रंग बदलकर
दिखाता अपना कमाल
इस पार बड़ा ही अच्छा है
पर जाने उस पार क्या है
जहाज तैरते विशाल
सागर की जलराशि में
लहर-लहर लहरें उठती
छुप जाती देर जरासी में
इस पार की धारा अच्छी है
जाने उस पार कैसा है। 

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