Friday, 4 July 2014

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एनएलयू में आधे से ज्यादा शिक्षकों को मिली बिना पीएचडी नौकरी

भास्कर न्यूज| जोधपुर 
 प्रदेश के किसी भी विश्वविद्यालय में यदि नौकरी चाहिए तो पीएचडी होना जरूरी होता है, लेकिन जोधपुर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में ऐसा नहीं है। यहां पीएचडी से पहले भी असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति मिल सकती है। वर्तमान में एनएलयू में 16 ऐसे शिक्षक हैं, जो बिना पीएचडी किए पढ़ा रहे हैं। इनमें एक एसोसिएट प्रोफेसर, दस असिस्टेंट प्रोफेसर व पांच टीचिंग असिस्टेंट हैं।
 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मापदंडों के अनुसार विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति से पूर्व पीएचडी होना जरूरी होता है। यदि कोई पीएचडी नहीं करता है तो उसे असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए योग्य नहीं माना जाता, लेकिन एनएलयू में पिछले 14 वर्षों में ऐसी कई नियुक्तियां दी गई, जिसमें संबंधित व्यक्ति ने पीएचडी तक नहीं की। आज भी एनएलयू जोधपुर की शिक्षकों की टीम से में 16 शिक्षक पीएचडी नहीं किए हुए हैं। योग्य शिक्षक नहीं होने की वजह से विश्वविद्यालय की शिक्षा के गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। इस यूनिवर्सिटी में ऐसे कई शिक्षक हैं, जो केवल एलएलबी व एलएलएम किए हुए हैं और लंबे समय से  शिक्षक के रूप में लाखों रुपए की तनख्वाह उठा रहे हैं।
ये तो अब भी पीएचडी नहीं
एनएलयू की वेबसाइट के अनुसार एसोसिएट प्रोफेसर श्यामकिशन कौशिक, असिस्टेंट प्रोफेसर बिपिन कुमार, अजयकुमार शर्मा, प्रवीण, अमित सिंह, अंजली थानवी, श्रीपर्वतथे जी., भवानी माहेश्वरी, गार्गी चक्रबर्ती, रोशनी जॉन व आकांक्षा कुमार, टीचिंग असिस्टेंट प्रतीक देओल, प्रियंका धर, अनिन्ध्या तिवारी, रोहन क्रियान थॉमस व सौरभ साहा ने अभी तक पीएचडी नहीं की है।
इन्होंने नियुक्ति के बाद एनएलयू से ही की पीएचडी
प्रो. वी. शैषाही शास्त्री, डॉ. मोनोनिता कुंडुदास, डॉ. रितुप्रणा दास, डॉ. मनोजकुमार सिंह, डॉ. ओमप्रकाश, डॉ. रामप्रताप प्रजापत, डॉ. रुचि भंडारी व डॉ. रुचित माथुर ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में नियुक्त होने के बाद वहीं से पीएचडी की।

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