Saturday, 12 July 2014

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बाल कविता : डी.के. पुरोहित

आओ गांव चलें

आओ गांव चलें
देखें सादा जीवन
आओ गांव चलें
जाने वहां का अपनापन
आओ गांव चलें
निरखें खेतों की शोभा
आओ गांव चलें
पहचानें पनघट प्रभा
आओ गांव चलें
करें संस्कृति का दर्शन
आओ गांव चलें
सुनें गरीब का क्रंदन
आओ गांव चलें
बैठें कुछ देर चौपाल
आओ गांव चलें
ग्रामीणों का पूछें हाल। 

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