Saturday, 12 July 2014

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बाल कविता : डी.के. पुरोहित

ऐसा दीप जलाएं

आओ ऐसा दीप जलाएं
मिटे द्वेष का अंधियारा
प्रेम भाईचारे का
जग में फैले उजियारा
भूले भटके राही को
सही रास्ता दिखलाएं
आओ ऐसा दीप जलाएं
शुभ संकल्प सदा करें
बहा दें विकास की धारा
दीन-दुखी-बेबस जन का
बनें सुदृढ़ सहारा
स्वर्ग उतरे धरती पर
विश्वकर्मा बन जाएं
आओ ऐसा दीप जलाएं। 

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