कंडोम में चिकना पदार्थ डाला जाता है, इसे एनएनएन यानि नवर्स निगेटिव नीनी कहा जाता है, यह रसायन अपने संपर्क में लेकर व्यक्ति के नाजुक अंग को सिथिल कर देता है
-डी.के. पुरोहित-
जोधपुर. रिपोर्ट पर भरोसा किया जाए तो कंडोम का उपयोग व्यक्ति को नामर्द बना सकता है। हालांकि यह उत्साहजनक खबर नहीं हैं, क्योंकि इससे परिवार नियोजन अभियान को धक्का लग सकता है। मगर हकीकत कुछ इस प्रकार है कि बाजार में उपलब्ध तरह-तरह के फ्लेवर के कंडोम से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है। इस प्रकार के कंडोम जहां लोगों को भ्रमित कर रहे हैं, वहीं व्यक्ति के शरीर के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं। पुरुषार्थ को जगाने वाले ये कंडोम पुरुषार्थ को ही खत्म कर सकते हैं ।
विषेषज्ञों का कहना है कि इसमें एनएनएन नामक चिकना पदार्थ डाला जाता है। इस पदार्थ से होने वाले नुकसान की पुष्टि अमेरिका में भारतीय वैज्ञानिक ट्रबल झा ने की है। झा के मुताबिक एनएनएन का आशय नर्वस निगेटिव नीनी से होता है। नीनी वह तत्व है जो अपने संपर्क में लेकर व्यक्ति को नामर्द बना सकता है ।
नीनी रसायन की खोज 1963 में अफ्रीकी वैज्ञानिक जे.आनन्दू ने की थी। मगर तब उसे इतनी तवज्जो नहीं मिली थी। रिपोर्ट है कि एनएनएन यानि नर्वस निगेटिव नीनी कंडोम के माध्यम से पुरुष के प्रजनन अंग पर एलर्जी उत्पन्न करता है। प्रजनन अंग पर फफोले होने लगते हैं। लंबे समय तक लगातार कंडोम का उपयोग करने पर व्यक्ति नामर्द बन सकता है। भारतीय चिकित्सक हालांकि इस बात से सहमत नहीं हैं, ना ही आधुनिक चिकित्सक इसे सही मान रहे हैं, मगर कुछ विषेषज्ञों की मानें तो कंडोम का लगातार उपयोग पुरुषार्थ के लिए घातक है ।
हमारे देश में एक अनुमान के अनुसार 42 प्रतिशत लोग कंडोम का उपयोग करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक एनएनएन की सक्रियता से पुरुष की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। भारत में जहां गर्म क्षेत्र हैं वहां इसका असर अधिक देखा गया है। विदेशों में जहां ठंड अधिक पड़ती है वहां इसका इतना असर नहीं देखा गया। रिपोर्ट के मुताबिक 0.025 प्रतिशत मामलों में रिपोर्ट पॉजिटिव
पाई जाती है ।
आयुर्वेद में भी कंडोम वर्जित माना गया है। आयुर्वेद में संयमित संभोग पर जोर दिया गया है। ‘जनन तंत्र और आनन्द’ नामक पुस्तक में इस दिशा में संकेत किया गया है। जिसमें कृत्रिम साधनों को वर्जित माना गया है। कृत्रिम साधनों से आषय कंडोम से भी लगाया जा सकता है। डाॅ.आरएन शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद में सहज संभोग पर जोर दिया गया है। प्राचीन काल से सहज संभोग अपनाया जाता रहा है। मगर विदेषी संस्कृति के संपर्क में आने के साथ ही यह प्रणाली खत्म होती जा रही है। कंडोम का इस्तेमाल बढ़ रहा है। मनु स्मृति में भी बीज तत्व को खुला रखने पर जोर दिया गया है। छायावादी ब्रितानी कवि अल्बर्टो ने भी इसकी व्याख्या एक कविता में की है। सेक्स विषेषज्ञ डाॅ. आरएन शर्मा का भी है कि इस संबंध में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, मगर इस दिषा में शोध करने की जरुरत है।
Friday, 8 November 2013
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Thanks D.K. to give us rich information about "Condom". So we should avoid this.
ReplyDeleteIs this problem in evry Quality of Condom or some are special ?
DK ji
ReplyDeletecondom ke beena kese chale?? theli pahani padegi phir to?? aap kese chalate hai kam
इस का उपाय हैं ,पहले योग के द्वारा अपनी इन्द्रियों को सयंमित बनाये ,और अपनी स्तम्भन शक्ति को बढ़ाये ,कंडोम का उपयोग उस समय ही करें जब जरुरत हो | लोग कंडोम का उपयोग ज्यादातर premature ejaculation की समस्या की वजह से करते हैं |
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