-दीपोत्सव पर सैलानियों की आवक से कारोबार में बूम रहा, पर्यटन व्यवसाय में चार महीने बाद आया उफान
डी. के. पुरोहित
जैसलमेर। आम तौर पर जैसलमेर में जुलाई माह से ‘पावणों’ यानी सैलानियों का आना शुरू हो जाता है, मगर इस बार शरुआती चार महीने पर्यटन की लिहाज से फीके रहे। लेकिन अक्टूबर के अंत तक पावणों ने परवाज भरी-गोल्डन सिटी के लिए। और अब टूरिज्म का बूम हो गया है ।
औसतन हर साल यहां सात लाख देसी-विदेशी पर्यटक आते हैं। इस बार गर्मी अधिक रही और नवंबर शुरू होने के बाद भी पंखे बंद नहीं हुए हैं। ऐसे में सैलानियों की भी मंदी रही। अब जबकि सैलानी आने शुरू हुए हैं तो पर्यटन व्यवसायियों के चेहरे भी खिले हुए हैं ।
दीपावली पर 40 करोड़ के करीब कारोबार
एक अनुमान के अनुसार स्थानीय लोगों की दीपावली की खरीद और देसी-विदेशी सैलानियों की खरीद मिलाकर 40 करोड़ के करीब व्यवसाय हुआ। वो भी दीपोत्सव के पांच दिन में । कपड़े, किराणा, इलेक्ट्राॅनिक, मोबाइल, परिवहन, होटल, रेस्टोरेंट, इंटरनेट, गोल्डन स्टोन, बाइक, वाहन, ज्वैलरी और सिक्कों सहित विभिन्न मद को मिलकार आंकड़ा 40 करोड़ के करीब पहुंच गया ।
सैलानियों के स्वागत में सजे सुर
सैलानियों के स्वागत में यहां की होटलों में लोक संगीत का मजमा जमा रहा। लंगा-मांगणियार कलाकारों के भी दीपोत्सव की मौज रही। होटलों में जमकर संगीत और नृत्य की धमाल रही ।
सम और खुहड़ी पर हुआ जश्न
परंपरागत रूप से सम में तो सैलानियों ने जश्न मनाया ही, इस बार खुहड़ी में टूरिज्म की दृष्टि से मौजां रहीं। पर्यटकों ने केमल सफारी का जमकर आनंद लिया वहीं अस्त होता सूरज भी उन्हें रोमांचित कर गया। रात्रि में लोक संगीत की धुनों पर नाच और फायर कैंप आकर्षक रहे। इस बार दीपावली पर इंजाय करने के लिए सैलानियों ने भरपूर आनंद उठाया ।
पर्यटन स्थलों पर पैर रखने की जगह नहीं
दीपोत्सव के आस-पास बंगाली पर्यटक भी जमकर आ रहे हैं। एम अनुसूइया ने बताया कि जैसलमेर आने की वर्षों से इच्छा थी, मगर इस बार पूरी हुई। इंग्लैंड की मार्या ने बताया कि गोल्डन सिटी का जवाब नहीं, यहां बार-बार आने की इच्छा होती है। शहर के पर्यटन स्थलों पटवों की हवेली, गड़सीसर लेक, नथमल की हवेली, सोनार किला, सालमसिंह की हवेली, जैन मंदिर, मरू सांस्कृतिक संग्रहालय, सम, खुहड़ी, लौद्रवा, अमरसागर, बड़ाबाग में इतनी भीड़ रही, कि पैर रखने की जगह नहीं मिल रही थी।
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Monday, 4 November 2013
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