Thursday, 21 November 2013

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अतिक्रमण हटाए, कुछ दिनों बाद फिर हो गए

-नगर निगम व जेडीए की ओर से अभियान चलाकर कई जगह से अतिक्रमण हटाए थे, लेकिन कुछ रोज की शांति के बाद फिर से अतिक्रमण हो गए....

-डी.के. पुरोहित-

जोधपुर। सूर्यनगरी में अतिक्रमण नहीं रुक रहे हैं। नगर निगम व जेडीए ने कुछ दिनों पहले अभियान चलाकर जगह-जगह से अतिक्रमण हटाए थे, लेकिन कुछ रोज की शांति के बाद फिर से लोगों ने अतिक्रमण कर लिए। नगर निगम के अतिक्रमण निरोधक दस्ते ने जालोरी गेट, सोजती गेट, नई सड़क, घंटाघर, शास्त्री नगर और शहर की विभिन्न कॉलोनियों से अतिक्रमण हटाए थे, लेकिन कुछ रोज के बाद लोगों ने फिर जगह घेर ली।

शहर के सबसे व्यस्त बाजार नई सड़क व घंटाघर में बेतरतीब ठेले वाले खड़े होते थे। सड़क के दोनों और खिलौने, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, जूते, बैग और अन्य वस्तुएं बेचने वाले काबिज हो गए थे। वे आवाज लगाकर लोगों को वस्तुएं बेचते थे। इनसे सड़क संकरी हो गई थी और यातायात भी बाधित होने लगा था। रही-सही कसर ऑटो व टैक्सी वालों ने अस्त-व्यस्त जगह रोक कर पूरी कर ली। ऐसे में घंटाघर की सूरत बिगड़ने लगी थी। आमजन परेशान था। ट्रैफिक व्यवस्था गडबड़ा गई और दुर्घटनाएं होने लगी थी। इससे नगर निगम ने अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाए। निगम के अतिक्रमण निरोधक दस्ते ने घंटाघर को अतिक्रमण मुक्त करवा दिया। घंटाघर परिसर साफ-सुथरा हो गया और घंटाघर ने राहत की सांस ली। लेकिन अब फिर से अतिक्रमण हो गए हैं।

शास्त्री नगर में कोई रोकने वाला नहीं 

शास्त्री नगर में नगर निगम का दस्ता छोटे-मोटे ठेले वालों को तो हटा देता है लेकिन बड़े दुकानदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता। यहां पर स्टील भवन, कृष्णा सॉफ्टी द्वारा रोकी गई जगह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसी तरह यहां पर सड़क के दोनों और पार्किंग की जगह से अतिक्रमण हटाकर वाहनों के खड़े होने की जगह बनाई गई थी, लेकिन यहां फिर अतिक्रमण हो गए। सेंटपोल स्कूल के पीछे तो चौधरी भोजनालय पूरा अवैध रूप खुल गया। यहां पर छपरा बनाकर और केबिन रख कर बाकायदा भोजनालय चलाया जा रहा है, लेकिन उन्हें कोई परेशान नहीं करता, जबकि सर्किल पर पेड़ के नीचे खड़े होने वाले ठेलों को आए दिन बेदखल किया जाता है। स्टील भवन बड़े-बड़े व्यापारियों का है। यहां पर पार्किंग की जगह पर सीमेंट करवाकर जगह घेरी गई है, उसे नहीं तोड़ा जा रहा है। साथ ही मां भवानी दाल बाटी-चूरमा ने तो सड़क की सीमा में अतिक्रमण कर रखा है। ऐसे ही इस क्षेत्र में कई जगह अतिक्रमण है, मगर कोई हटाने वाला नहीं है।

पावटा क्षेत्र फिर अतिक्रमण की जद में

इसी तरह पावटा क्षेत्र में फिर से अतिक्रमण होने लगे हैं। यहां पर जगह-जगह सड़क सीमा पर व्यापारियों ने सामान लगाने शुरू कर दिए हैं। इसी तरह ठेले वाले बेतरतीब खड़े हो रहे हैं, इन्हें हटाया नहीं जा रहा है। पूरे क्षेत्र में कद्दावर लोगों के अतिक्रमण नहीं हटाए जा रहे हैं और कार्रवाई के रूप में महज खानापूर्ति की जा रही है।

जालोरी गेट के भीतरी क्षे़त्र में हालात बिगड़े

जालोरी गेट चैराहे पर तो कुछ अतिक्रमण हटाए गए हैं, लेकिन भीतरी क्षेत्र में नगर निगम ध्यान नहीं दे रहा है। इससे हालात बिगड़ गए हैं। भीतर के क्षेत्र में गलियां संकरी है और दुकानदारों ने सामान रख कर उसे और संकरा कर दिया है। अस्त-व्यस्त ठेलेवालों ने रही सही कसर पूरी कर दी। ऐसे में यातायात व्यवस्था बिगड़ गई है। मगर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

त्रिपोलिया बाजार की फिर वही कहानी

कुछ दिनों बाद त्रिपोलिया बाजार फिर वही कहानी दोहरा रहा है। यहां जगह-जगह अतिक्रमण हो गए हैं। सड़कें वैसे ही क्षतिग्रस्त है और जगह-जगह अतिक्रमण से हालात खराब हो गए हैं। इस क्षेत्र में यातायात का दबाव अधिक है और आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। नगर निगम का अतिक्रमण निरोधक दस्ता इस क्षेत्र में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

ट्रांसपोर्ट नगर अस्त-व्यस्त

बासनी क्षेत्र में स्थित ट्रांसपोर्ट नगर के बदतर हालात हो रहे हैं, निगम इस ओर बिलकुल ही ध्यान नहीं दे रहा। यहां पर ट्रक और भारी वाहन अस्त-व्यस्त खड़े रहते हैं। कई बार तो ट्रक वाले आपस में झगड़ पड़ते हैं। यहां पर दुकानदारों व व्यवसायियों ने अपने सामान बाहर रख दिए हैं। यहां सड़क नहीं बनी हुई है और कच्ची रोड है और पानी भी बहता रहता है। पूरा क्षेत्र ही बिगड़ा हुआ है। ढाबों और अन्य दुकानदारों ने छपरे खड़े कर कच्ची रोड पर ही टेबल-कुर्सियां लगा रखी हैं। यहां वाहनों को निकलने के लिए परेशानी होती है। हालात यह है कि आपस में कई बार वाहन भिड़ जाते हैं। मगर इस ओर निगम का ध्यान नहीं जा रहा है। हालांकि नए ट्रांसपोर्ट नगर की कवायद चल रही है, मगर फिलहाल यहां व्यापारियों व ट्रक संचालकों को राहत नहीं है।

बासनी क्षेत्र ही अतिक्रमण का शिकार

इधर बासनी क्षेत्र ही अतिक्रमण का शिकार है, मगर विभाग केवल खानापूर्ति कर इतिश्री कर रहा है। निगम का अतिक्रमण निरोधक दस्ता कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रहा। यहां पर कई कई फैक्ट्रियों का सामान बाहर पड़ा रहता है, लेकिन निगम का इस ओर ध्यान नहीं जाता।

बड़े लोग बच जाते, छोटों पर होती कार्रवाई

नगर निगम भी बड़े व्यापारियों व ताकतवर लोगों के खिलाफ कुछ नहीं करता, जबकि जब-जब निगम ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की छोटे व्यापारी और आम आदमी ही इसका शिकार हुए। इससे लोगों में निगम के प्रति रोष भी है। निगम पुलिस का सहारा लेकर जबरन अतिक्रमण हटा देता है, जिससे आम आदमी मन मसोस कर रह जाता है और जहर का घूंट पीकर चुप रह जाता है। जबकि बड़े व्यापारी और ताकतवर लोग अपनी पहुंच से निगम को कार्रवाई नहीं करने देते या फिर कोर्ट से स्टे ले आ जाते हैं। दोनों ही स्थिति में उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती।

मकानों का मलबा रोड पर बिखरा मिल जाता है

कई स्थानों पर भवन निर्माण कार्य का मलबा बिखरा रहता है, मगर निगम कार्रवाई नहीं करता। यही नहीं कचरा भी लोग पार्किंग स्थल पर फेंक देते हैं, जिससे भी रोड संकरी हो जाती है। शास्त्री सर्किल पर डिस्काॅम के विश्रामगृह से कुछ दूर आस-पास की होटलों व रेस्तरां वाले कचरा डाल देते हैं जिससे रास्ता संकरा हो गया है। यही नहीं क्षेत्र में गंदगी पसरी हुई है। यहां पशु मुंह मारते रहते हैं और कई बार लोगों को पशु चोटिल भर कर देते हैं।

व्यापक कार्रवाई की जरूरत

हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी नगर निगम और जेडीए चेता नहीं है। कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति ही होती है। एक बार अतिक्रमण हटाने के बाद फिर से काबिज न हो जाए, इसके लिए ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसका फायदा उठाकर लोग फिर से अतिक्रमण कर देते हैं। आवश्यकता इस बात की है कि एक बार अतिक्रमण हटाने के बाद फिर उन क्षेत्रों में माॅनिटरिंग की जरूरत है। जैसे ही व्यापारी या अन्य लोग कब्जा करे, तुरंत कार्रवाई हो। तभी शहर साफ-सुथरा रह सकता है। सूर्यनगरी में भ्रमण करने आने वाले सैलानियों को भी बड़ी कोफ्त होती है, मगर वे मन मसोस कर रह जाते हैं।


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