Tuesday, 26 November 2013

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चंद्रमा से आ सकता है पृथ्वी पर जानलेवा वायरस: रिपोर्ट

-साइंस की छात्रा नीमा चंडेला ने शोध पत्र के माध्यम से वैज्ञानिकों के लिए नई बहस खड़ी है। 1967 में किसी अखबार की फटी प्रति में इस बात का जिक्र है कि रूस के किसी वैज्ञानिक की चंद्रमा पर जानलेवा वायरस से मौत गई थी। अब भी यह वायरस सक्रिय हो सकता है और दुनिया भर के वैज्ञानिकों को चंद्रमा अभियान को लेकर चुनौती हो सकता है...

हैदराबाद. (एजेंसी)। साइंस की छात्रा नीमा चंडेला ने अपने एक शोध-पत्र के माध्यम से चेतावनी दी है कि पृथ्वी पर चंद्रमा से जानलेवा वायरस आ सकता है। पिछले पांच साल के शोध में चंडेला की स्टडी से ऐसा कहा जा रहा है। चंडेला के हाथ सन 1967 में किसी अखबार की फटी प्रति लगी है। इस प्रति में तत्कालीन वैज्ञानिक डी. मसीह ने दावा किया है कि चांद पर जानलेवा घातक वायरस सक्रिय है। वर्षों पहले रूस के किसी वैज्ञानिक की चंद्रमा पर संदिग्ध मौत हो गई थी। बताया जा रहा है कि इस वैज्ञानिक की वायरस से मौत हुई थी। इस वायरस के बारे में कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन चंडेला ने आशंका जताई है कि चांद पर अगर ऐसा वायरस सक्रिय है तो वैज्ञानिकों को अपने चंद्रमां संबंधित अभियान रोक देने चाहिए।

आगे क्या किया जाए

नीमा चंडेला ने बताया कि उसने अपना शोध-पत्र अभी किसी वैज्ञानिक के साथ साझा नहीं किया है। इस शोध की रिपोर्ट पर अगर भरोसा किया जाए तो अमेरिका, रुस, भारत, जापान, चीन और अन्य देशों को अपने सभी अभियान रोक देने चाहिए। अगर असावधानी से यह वायरस धरती पर आ गया तो पृथ्वी पर विनाश लीला शुरू हो सकती है।

वायरस कितना घातक पुख्ता जानकारी नहीं

चंडेला ने बताया कि यह वायरस घातक हो सकता है, मगर कितना? स्वाइन फ्लू की तरह यह हवा में फैल सकता है और दुनिया भर को अपनी चपेट में ले सकता है। इसके लक्षण अभी वैज्ञानिकों को मालूम नहीं है। चंद्रमा अभियान तो वर्षों से चल रहा है कि मगर अभी तक किसी वैज्ञानिकों को इस प्रकार के वायरस की जानकारी नहीं मिली है।

सावधानी व शोध की जरुरत

चंडेला का कहना है कि वह साइंस की स्टूडेंट है। इस दिशा में निरंतर शोध से इस नतीजे पर पहुंची है कि वायरस का पृथ्वी पर आना संभव है। धरती पर यह कितना घातक व जानलेवा होगा, यह भविष्य के गर्त में है। उन्होंने बताया कि यह वायरस प्लैग से भी कई गुना खतरनाक हो सकता है। दुनिया भर के वैज्ञानिकों को अलर्ट रहना होगा। उन्होंने बताया कि इस तरह का वायरस हो भी सकता है और नहीं भी, मगर अंतरिक्ष के रहस्यों को अभी तक वैज्ञानिक पूरी तरह समझ नहीं पाए हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों को अलर्ट रहना जरूरी है।

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