Tuesday, 19 November 2013

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ऊंटनी के दूध की आइसक्रीम, दही, लस्सी व मिठाइयां जल्दी ही आएंगी बाजार में




-बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर व जोधपुर में स्वयंसेवी संस्थाओं का नया प्रयोग, जल्द ही ऊंटनी के दूध के प्रॉडक्ट बाजार में उपलब्ध होंगे, सेहत के लिए मुफीद ये प्रॉडक्ट लोगों को लुभाएंगे...
                                                               -डी.के. पुरोहित-
बीकानेर। मारवाड़ ऊंट पालन के लिए जाना जाता है। अब ऊंटनी के दूध के प्रॉडक्ट बाजार में जल्दी ही दिखने लगेंगे। खासकर स्वादिष्ट आइसक्रीम लोगों को लुभाएगी। बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर व जोधपुर में कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं आगे आई हैं। ये ऊंटनी के दूध के प्रॉडक्ट को बाजार में उतारने जा रही हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभप्रद होने की वजह से लोगों को भी ये प्रॉडक्ट पसंद आएंगे। ऊंट मित्र, कैमल होम, कैमल माय एसेट्स जैसी कई संस्थाएं ऊंटनी के दूध को व्यावसायिक रूप देने जा रही है।

कैमल होम संस्था से इंग्लैंड की ईली मारिया जुड़ गई है। गत दिनों वह बीकानेर प्रवास पर आई तो इस प्रोजेक्ट पर खुलकर बोली। उन्होंने बताया कि ऊंटनी का दूध हैल्थ के लिहाज से अच्छा है। अब तक ऊंट को केवल बोझा ढोने, सफारी, करतब दिखाने और नफरी के लिए उपयोगी माना जाता रहा है, लेकिन अब ऊंटनी के दूध के प्रॉडक्ट बाजार में उतारकर हम नया प्रयोग करना चाहते हैं।

पहले आइसक्रीम, फिर अन्य प्रॉडक्ट

इसी कड़ी में सबसे पहले ध्यान ऊंटनी के दूध की आइसक्रीम पर दिया जा रहा है। इसे प्रायोगिक तौर पर जल्द ही बाजार में उतारा जाएगा। इसके बाद इसके दूध, दही, लस्सी, मावा व मिठाइयां तथा अन्य प्रॉडक्ट लॉन्च किए जाएंगे। मारिया से जब पूछा गया कि क्या ऊंटनी के इन प्रॉडक्ट को मार्केट मिलेगा। वह बोली-‘क्यों नहीं ? फिलहाल ये प्रायोगिक तौर पर है। जल्द ही इसे कॉमर्शियल रूप दिया जाएगा। इसकी सप्लाई विदेशों में भी की जाएगी। विदेशों में ऊंटनी के दूध पर कई प्रयोग भी हुए हैं, जिनसे इनकी गुणवत्ता सामने आई है।

ऊंटनी का दूध होता है ताकतवर

ऊंटनी के दूध पर कई प्रयोग भी हुए हैं। ‘इंपोर्टेन्स ऑफ कैमल’ नाम की संस्था ने अपने शोध में पाया कि अन्य जानवरों की अपेक्षा ऊंटनी के दूध में ताकत कई गुना अधिक होती है। मारवाड़ की विषम भौगोलिक परिस्थितियों से रोज जूझने वाली ऊंटनी का दूध व्यक्ति को अंदर से स्ट्रांग बनाता है। इसके प्रॉडक्ट कुछ विशिष्ट अंदाज में मार्केट में लाए जाएंगे। इसके दूध में कुछ गंध आती है, मगर इसे दूर करने के लिए अन्य आइटम व सुगंधित पदार्थ मिलाकर इसे मानव उपयोगी बनाया जा रहा है। यह अपने आप में अनूठा प्रयोग है, इसे जल्दी ही मार्केट मिल जाएगा।

दिल्ली में किया था प्रदर्शन

कैमल होम संस्था की ओर से कुछ माह पहले दिल्ली में ऊंटनी के दूध के प्रॉडक्ट प्रदर्शित किए गए थे, जिन्हें लोगों ने खूब सराहा। मारिया का कहना है कि ऊंटनी के दूध के बारे में भारतीय ग्रंथों में भी काफी कुछ पढ़ने को मिला है। जब इस पर शोध के नतीजे सामने आए तो उनके मन में आया कि इसे कॉमर्शियल रूप दिया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने कैमल होम संस्था से संपर्क किया और बात बन गई। विदेशी नवयुवक ऊंटनी के दूध की आइसक्रीम व अन्य प्राॅडक्ट खूब पसंद कर रहे हैं। ब्रिटेन के रोजर रीवर ने बताया कि उसे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि ऊंटनी के दूध की इतनी अच्छी आइसक्रीम मिल सकती है। उसने जब इसे टेस्ट किया तो वाकई लाजवाब लगी। उन्होंने कहा-‘मुझे नहीं लगता कि अन्य आइसक्रीम से कम बेहतर है।’ जयपुर की नीलिमा अख्तर ने बताया कि बाड़मेर प्रवास के दौरान यह आइसक्रीम टेस्ट करने का मौका मिला। वाकई यह स्वादिष्ट है और इसमें किसी प्रकार की गंध नहीं आ रही थी। यह प्रयोग नया है और जल्द ही हमारे बीच लोकप्रिय होगा।

ऊंटों का नया उपयोग

बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर में ऊंटों की संख्या बहुतायत में है। अब तक इनका उपयोग बोझा ढोने के लिए अधिक किया जाता रहा है। समय के साथ कैमल सफारी के रूप में उपयोग होने लगा। कैमल माउंटेन बैंड में ऊंटों के करतब लोगों को खूब रिझाते हैं। दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड़ में ऊंटों के करतब लोगों को खूब रिझाते हैं। जैसलमेर के मरु मेले में भी ये अपना जलवा दिखाते हैं। बीएसएफ तो पेट्रोलियम में आज भी ऊंट को दमदार मानता है। खासकर मरुस्थलीय पश्चिमी राजस्थान व कच्छ के रण में ऊंट उपयोगी साथी माना गया है। ऐसे में ऊंटनी के दूध के उपयोग से ऊंटों को प्रश्रय मिलेगा। एक नई शुरुआत ऊंटों के संरक्षण में मददगार साबित होगी।

ऊंटनी बनाम शेरनी

कुछ माह पहले सऊदी अरब में हुए एक सम्मेलन में डॉ0 थिरजान रूबी ने अपने पत्रवाचन बताया कि ऊंटनी का दूध शेरनी के दूध के बराबर ताकतवर होता है। इसे पीने से बच्चे को ताउम्र बीमारियों से दूर रखा जा सकता है। बुजुर्गों के नित्य मालिश करने से वे फिट रह सकते हैं। गर्भवती महिलाएं अगर ऊंटनी का दूध पीती है तो बच्चा स्वस्थ होता है। श्याम आलोक ने बताया कि यह नया कंसेप्ट है, मगर जल्द ही पॉपुलर होगा।

काजरी ने भी किया है प्रयोग

ऊंटनी के दूध पर जोधपुर में काजरी भी प्रयोग कर चुका है। काजरी ने कई शोध भी किए हैं। काजरी की ओर से भी ऊंटनी के दूध से आइसक्रीम सहित कई प्रॉडक्ट तैयार किए गए हैं। उधर, बाड़मेर में ऊंटों के बाल उतारने के लिए बाकायदा सैलून खुलने लगे हैं। इस कार्य में विदेशी भी सहयोग देने के लिए आगे आ रहे हैं।

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