Friday, 1 November 2013

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कभी भी भरभराकर गिर सकता है सोनार

-डी.के. पुरोहित -
देसी-विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र जैसलमेर का सोनार किला कभी भी भरभराकर गिर सकता है। इस पर चैतर्फा संकट मंडरा रहा है। इस किले में करीब पांच हजार की आबादी निवास करती है। आवासीय किला होने की वजह यहां कई तरह से खतरा है। हाल ही में यूनेस्को की सूची में इस किले को विश्व धरोहर माना गया है। उसके बाद विश्व स्तर पर इस किले का मुद्दा फिर से गरमा गया है। दुनिया भर में गोल्डन फोर्ट के रूप में विख्यात इस किले का महत्व और भी बढ़ गया है। यूनेस्को की धरोहर में छह किलों को शामिल किया गया है। इसमें चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, रणथंभौर, जैसलमेर, आमेर और गागरोन के किले हैं। ये सभी किले पहाड़ी पर बसे हुए हैं। इन सभी किलों में जैसलमेर को किला अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रतिवर्ष पांच-छह लाख देशी-विदेशी पर्यटक जैसलमेर भ्रमण को आते हैं। विश्व मानचित्र पर गोल्डन फोर्ट की विशेष पहचान है। यह किला साढ़े सात सौ साल से भी पुराना है। इसका निर्माण त्रिकूट नाम की एक पहाड़ी पर किया गया है। यह पहाड़ी मुल्तानी मिट्टी से बनी हुई है। सैकड़ों साल से बारिश का पानी इसकी बुर्जियों और पठे को कमजोर कर चुका है। छह साल पहले एक एजेंसी ने यहां सर्वे किया था और उसकी रिपोर्ट में खुलासा हो गया है कि किला कभी भी भरभराकर गिर सकता है। बारिश का पानी तो किले की नींव को खोखला कर ही चुका है, साथ ही किले में सीवरेज सिस्टम भी गड़बड़ा गया है। निर्माण के बाद से ही सीवरेज का पानी किले की नींव में जाकर उसे खोखला कर रहा है। विदेशी सामाजिक कार्यकर्ता सू कारपेंटर ने सबसे पहले किले की सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। उसके बाद इंटैक के माध्यम से इसका रखरखाव व जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ। इंटैक से जैसलमेर के पूर्व नरेश बृजराजसिंह खुद जुड़े हुए हैं, लेकिन उन्होंने भी विकास के नाम पर खानापूर्ति ही की। कई बार विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से किले का रखरखाव व बुर्जियों का नवनिर्माण किया गया। लेकिन इसकी सुरक्षा का संकट बरकरार है।
यातायात का दबाव बढ़ा
इस किले में छोटे-बड़े वाहन धड़ल्ले से आते-जाते हैं। एक तरफ तो किले में रहने वाले लोगों के वाहन प्रतिदिन किले के एक मात्र गेट अखे पोल से निकलते हैं। दूसरी तरफ सैलानी भी वाहनों में बैठकर आते-जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार प्रतिदिन किले के एक मात्र गेट अखे पोल से पांच हजार वाहन आते-जाते हैं। वैसे तो किले के चार गेट हैं, जिसे पोल कहते हैं। मगर किले में आने जाने का मुख्य रास्ता एक ही है-अखे पोल। तीन अन्य पोल में भी गुजरना पड़ता है। ये सभी पोल एक-दूसरे से कनेक्ट है। ऐसे में यातायात का दबाव किले पर बढ़ गया है। वाहनों की चिलपौं, ध्वनि और गति से दीवारों पर असर पड़ रहा है। कभी भी कोई वाहन दीवार से टकरा गया तो पोल गिर सकती है। आज से करीब 17-18 साल पहले किले की एक दीवार गिर गई थी, जिसके नीचे कुछ लोग दबकर मर गए थे।
बारूद के ढेर पर
डेढ़ दशक पहले किले में एक निर्माणाधीन भवन में बारूद में विस्फोट भी हो चुका है। यह बारूद रियासतकाल का है, जो यत्र-तत्र दबा-छुपा है। कुछ माह पहले फिर बारूद मिल चुका है। ऐसे में कभी भी बारूद के धमाके से किला धराशाई हो सकता है। रियासतकाल में सुरक्षा की दृष्टि से किले में जगह-जगह बारूद छिपा कर रखा जाता था। स्थिति यह है कि अब किसी को नहीं पता कहां बारूद छिपा हुआ है। कई बार निर्माण के दौरान बारूद निकल आता है और विस्फोट का भय बना रहता है। ज्वलंत पदार्थ भीतर तक ले जाते हैं चूंकि किला आवासीय है इसलिए लोग इसके भीतर तक गैस सिलेंडर, केरोसिन, पेट्रोल और अन्य आवश्यक वस्तुएं ले जाते हैं। ऐसे में कभी भी हादसा हो सकता है।
 भूकंप जोन से भी खतरा
जैसलमेर भूकंप जोन में आ गया है। यहां आए साल भूपंक आते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भूकंप से भी किले को खतरा हो सकता है। इसलिए इस किले में रहने वाले लोगों को किला खाली कराना ही उचित होगा। युद्ध में भी हो सकता है हमला
रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो जैसलमेर पाकिस्तान के बाॅर्डर पर बसा हुआ है। ऐसे में कभी भी युद्ध हुआ तो जैसलमेर के विश्व विख्यात किले पर हमला हो सकता है। ऐसे में समय रहते किले को खाली करवाना चाहिए। लेकिन समस्या यह है कि यह किलो सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है। किले के भीतर होटलें, पेइंगगेस्ट और कई दुकानें चल रही है। किला लोगों के लिए आय का जरिया है। इस वजह से लोग किला खाली करने का तैयार नहीं हैं। अभी नहीं चेते तो 2050 तक स्थिति विकट इंग्लैंड के एक एनजीओ ‘फोर्ट एंड फोर स्टेप’ के प्रतिनिधि अल्बर्टो ट्राइकाॅन ने विस्तृत शोध के बाद निष्कर्ष निकाला है कि ऐसे ही हालात रहे तो सन 2050 तक स्थिति विकट हो सकती है। उन्होंने फोर स्टेप बताते हुए कहा कि पहला स्टेप किला खाली करा लिया जाए। दूसरा स्टेप किले में होटल व अन्य कारोबार बंद कर दिए जाए। तीसरा स्टेप किले के भीतर आने-जाने के लिए एक अन्य वैकल्पिक रास्ता बनाया जाए। चैथा स्टेप जागरूकता है।

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