Saturday, 23 November 2013

Filled Under:

आधी किराया राशि में रेलवे पुलिस वाले करवाते हैं सफर!


-रेलवे स्टेशन पर रेलवे पुलिस की नजर यात्रियों पर रहती है। कुछ लोग उनके चक्कर में फंस भी जाते हैं। जीआरपी सिपाही यात्रियों को आधी किराया राशि में सफर करवाने का वादा करते हैं। वे वादा निभाते भी हैं। यह संवाददाता भी रेलवे पुलिस के एक सिपाही के साथ सफर कर चुका है, ऐसा कई वर्षो से चल रहा है, बेरोकटौक....

-डी.के. पुरोहित-

जोधपुर-जैसलमेर। अगर आप ट्रेन से सफर करने जा रहे हैं तो आपके लिए अच्छा मौका है किराया बचाने का। जीआरपी और अन्य पुलिस फोर्स के सिपाही आपको आधे दाम में भी सफर करवा सकते हैं। अगर आप सहमत है तो फिर आपको आसानी से सोते हुए सफर करवाया जा सकता है। है न मजेदार बात। हां, यह सत्य है। पिछले कई वर्षों से ऐसा चल रहा है। बिना रोकटौक और आसानी से।

चाहे राजस्थान में कहीं जाना हो। ऐसा संभव है। कई बार पुलिस के सिपाही मुजरिमों को पेशी पर ले जाते हैं और वे अपने साथ दो-तीन यात्री भी ले लेते हैं और उनसे आधा किराया लेकर अपने साथ बिठा दिया जाता है। यही नहीं जीआरपी और अन्य पुलिस फोर्स के सिपाही तो आए दिन अपने साथ यात्रियों को ले लेते हैं और बाकायदा उन्हें सुरक्षित निर्धारित स्टेशन पर उतार दिया जाता है।

पिछले दिनों जैसलमेर रेलवे स्टेशन पर पुलिस का एक सिपाही यात्रियों की तलाश कर रहा था कि कोई मुर्गा फंस जाए। एक व्यक्ति को उसने तैयार किया आधी टिकट में। यात्री के साथ उसका बेटा भी था। लेकिन बेटा समझदार था, बोला-पापा पुलिस अंकल के साथ नहीं चलेंगे। यह संवाददाता वहीं खड़ा था। जोधपुर आना था सो उस पुलिस के सिपाही के साथ ‘सौदा’ तय हो गया। बैठ गया। यकीन मानों सोते हुए आसानी से जोधपुर पहुंच गया और सुरक्षित ‘बाहर’ भी निकल गया।

गार्ड वाला डिब्बा सुरक्षित स्थान

इस तरह का सफर करवाने में सबसे सुरक्षित स्थान गार्ड वाला डिब्बा है। प्रतिदिन दर्जनों लोगों को सफर करवाया जाता है। कुछ जीआरपी व अन्य पुलिस के सिपाही करवाते हैं और कुछ रेलवे कर्मचारियों की ओर से यात्रियों को शामिल कर लिया जाता है। इस तरह रेलवे पुलिस और कर्मचारी ‘समाजसेवा’ भी कर रहे हैं।

राजस्थान में कहीं भी सफर करना आसान

ऐसा सफर आमतौर पर राजस्थान क्षेत्र में ही करवाया जाता है। राजस्थान से बाहर नहीं। राजस्थान में बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, जयपुर, कोटा, अजमेर और अन्य कई स्थानों पर सफर आसानी से किया जा सकता है। रेलवे से संबंधित पुलिस व अन्य पुलिस के सिपाही भी ऐसा सफर करवाते हैं।

फौजी डिब्बों में भी पुलिस का दखल

ट्रेन से सफर करने में फौजी डिब्बों में भी पुलिस का दखल हो जाता है। कई बार पुलिस के सिपाही अपने ‘सान्निध्य’ में सफर करवाते हैं और यात्री भी आसानी से सफर कर लेता है। कई बार फौजी डिब्बों में भी पुलिस वाले यात्रियों को सफर करवाते हैं। ऐसा होना आम बात है।

न ट्रेन में चैकिंग होती न ही निर्धारित स्टेशन पर

यात्री को कहीं भी जाना होता है तो न तो ट्रेन में चैकिंग होती है और न ही निर्धारित रेलवे स्टेशन पर ही कोई दिक्कत होती। पुलिस वाले यह कहकर कि ‘स्टाफ है’ आसानी से यात्रियों को सुरक्षित रेलवे स्टेशन से बाहर निकाल ले जाते हैं।

रेलवे प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता

ऐसा नहीं है कि रेलवे प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है। रेलवे प्रशासन को जानकारी होते ही भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती। ऐसा होना आम बात है। यात्रियों को आधी किराया राशि में सुरक्षित सफर करवाने वाले कर्मचारियों और पुलिस के खिलाफ कार्रवाई कौन करे। रेलवे के लंबे चौडे कारोबार में इतनी छूट तो मिल ही जाती है।

रिजर्वेशन में भी कमीशन का फेर

रेलवे पुलिस व अन्य पुलिस फोर्स के सिपाही पर आरोप यह भी है कि वे आम आदमी के रिजर्वेशन में भी कमीशन का खेल खेलते हैं। रिजर्वेशन में भी उनका दखल रहता है और बाकायदा उसके लिए शुल्क लेते हैं। चाहे कहीं रिजर्वेशन करवाना हो तो ऐसे सिपाही आसानी से रिजर्वेशन करवा लेते हैं और यात्रियों को अंटी ढीली करने की गुंजाइश हो तो परेशानी से भी बचा जा सकता है।

बिना टिकट यात्रियों को भी बचा लेते हैं

बताया जाता है कि पुलिस स्टेशन पर नफरी करने वाले सिपाही कई बार बिना टिकट यात्रियों से चाय-पानी के पैसे लेकर उन्हें सुरक्षित स्टेशन से बाहर निकाल लेते हैं। जोधपुर रेलवे स्टेशन पर ऐसा आए दिन होता है और कोई रोकने वाला नहीं है।

कहीं भी जाना हो टूर बना लेते हैं

रेलवे पुलिस के सिपाही एक ओर यात्रियों को कम किराया राशि में सफर तो करवाते ही हैं, वहीं कई बार वे अपने घर जाते हैं तो टूर बना लेते हैं। बाकायदा टूर की राशि भी बन जाती है और अपने घर भी हो आते हैं। ऐसा करना आम बात है। खुद रेलवे भी स्वीकार करता है कि कई मामलों में ऐसा होता है। मगर अब इस ओर ध्यान दिया जा रहा है और सख्ती बरती जा रही है। अक्सर रेलवे पुलिस में विभिन्न स्थानों के लोग कार्य करते हैं। ऐसे में जब कभी घर या कहीं जाना होता है तो सुविधा के साथ टूर तय कर दिया जाता है। ऐसा सिपाही लेवल पर ही नहीं अधिकारी लेवल पर भी होना आम बात है। रेलवे के अन्य कर्मचारी भी ऐसा कर लेते हैं। इसके लिए स्टाफ के साथ सैटिंग बिठाई जाती है। कई बार लोग बारी-बारी से टूर करते हैं।

0 comments:

Post a Comment