-अनीता जांगिड़ युवा पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने जो जिया उसी को काव्य में व्यक्त किया है। आपकी कविताओं में जीवन की हकीकत है। प्यार और भावनाओं को उन्होंने शब्द दिए हैं। यहां प्रस्तुत है कुछ रचनाएं। आशा है आपको पसंद आएगी।
एक
राहें
मुहब्बत की राहें
इतनी आसान कब थी
जो फूल दिखते हैं
असल में वे अंगारे होते हैं
जलने में जो मजा है
वो इन फूलों की महक में कहां?
तन्हाई में तो उनसे बात
कर लिया करते हैं
या रुसवाइयों में अपने आप को
सजा दिया करते हैं
क्यों इतनी जल्दी
कोई अपना दामन छुड़ा लेता है
बरसों की दुहाई देने वाला
इक पल में बैगाना हो जाता है।
दो
ख्वाब
मैं एक टूटा हुआ
ख्वाब तो नहीं
मैं तेरे पैरों में बंधी
जंजीर तो नहीं
क्यों मुझसे दूर भाग रहे हो तुम
ऐ सनम क्या तुम्हें यह मालूम नहीं
परछाई तो अंधेरे में भी
साथ देती है
और मैं तुमसे अलग तो नहीं।
तीन
जीना
मुहब्बत में जीना
तुम्ही ने सिखाया
अपने से ज्यादा प्यार करना
किसी को तुमने ही बताया
क्यों हम सबकी नजरों में आ गए
क्यों एक-दूसरे के लिए
खुद ही मर गए।
चार
वादा
क्या हुआ उन वादों का
जो तुमने हमसे किए थे
हर पल साथ निभाऊंगा तेरा
दामन खुशियों से
भर जाऊंगा
इस इंतजार में हम
आज भी वहीं खड़े हैं
देखकर हमें
तुम्हें कुछ याद आ जाए।
पांच
फरियाद
बाद मरने के क्यों
तुम उसे याद करते हो
फिर क्यों खुदा से
उससे मिलने की फरियाद करते हो
वक्त रहते
उसकी कद्र कर लेते
तो आज तन्हा न रहते।
छह
वक्त
यादों में कब वक्त निकलता है
पता ही नहीं चलता
इस जिंदगी से तो अच्छी
तो तुम्हारी यादें ही हैं।
सात
दफ़न
आज की रात
बड़ी अजीब सी थी
बदलने वाली मेरी तकदीर थी
क्यों मैंने खुद ही
यह फरमान लिख दिया
अपने हाथों अपने प्यार को
दफन कर दिया।
आठ
अंदाजा
बीती क्या इस दिल पे
इसका अंदाजा लगाना तो
मुमकिन नहीं
पर यह अहसास तुझसे
जुदा होने का मेरे लिए मौत से
ज्यादा था।
नौ
हसरत
तेरी निगाहों में जो बात है
वो बात किसी और में कहां?
तेरी जुल्फों से
हुई जो रात
वो बात काली घटाओं में कहां?
तुझे देखूं जी भरके
मेरी इतनी-सी हसरत
अगर तुझे पा लूं
तो जन्नत पाने की
ख्वाइश किसे यहां?
दस
सितम
तेरा हर बात में रूठना
और फिर मान जाना
यह अदा किसी सितम से कम तो नहीं
तुझसे ये दूरियां
मेरी मजबूरी हो सकती है
पर मैं सदा मजबूर रहूं
ये जरूरी तो नहीं।
kaha se maam aap
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