-अनीता जांगिड़ युवा कवयित्री हैं। आपने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कविता की अंगुली पकड़ी। गंभीर रचनाएं और कम शब्दों में अपनी बात कहना आपकी विशेषता है। अनीता की कहानियां और कविताएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होती रही है। यहां प्रस्तुत है आपकी कुछ रचनाएं।
एक
वजह
दुख मेरी जिंदगी में
कम कब हुए थे
फर्क सिर्फ इतना है
कल इसकी वजह कोई और था
और आज कोई और है।
दो
पहरा
नजदीक सवेरा है
कुछ पल का अंधेरा है
छंट जाएंगे काले बादल
सूरज की किरणों पर
किसका पहरा है।
तीन
सजा
आज मेरी आंख का आंसू भी
सूख गया है
तेरे बिना जीना कितनी बड़ी सजा है
यह मैंने सीख लिया है
तू क्यूं नहीं मानता
मोहब्बत में दो लोग नहीं होते
अगर हम एक हैं
तो तू मुझसे कटा हुआ क्यूं है।
चार
मौत
तू जो मुझे
प्यार से जहर भी पिला दे
कोई गम नहीं
पर तेरी वजह से
गर मेरी आंख नम हुई
तो मेरी जिंदगी
मौत से कम नहीं।
पांच
तड़प
तू भी तड़पता है मेरे लिए
मगर कह नहीं पाता
क्यूं तू अपने दर्द को
इतना छिपाता है
कहीं यह दर्द तेरा
मेरी जान न ले जाए
फिर से लौट आ मेरी जिंदगी में
कहीं ऐसा न हो,
तू बहुत देर कर दे
और मेरी जान चली जाए।
छह
अंदाज
वो तेरा अंदाज मुझे पसंद आया
वो तेरे प्यार में
खुद को भुलाना पसंद आया
जानती थी इश्क में
दर्द के सिवाय कुछ न मिलेगा
पर तेरे साथ
मदहोश होना मुझे पसंद आया।
सात
दर्द
हंसता हुआ चेहरा
देखकर मेरा
कोई मेरे दर्द का एहसास नहीं कर पाता
बेबसी पर मेरी
कोई हंस जाता है
क्या मुझे तकलीफ नहीं होती
क्या दिल नहीं है सीने में
क्यूं पल-पल याद आता है
क्यूं रोकना चाहूं मैं अपने आप को
फिर भी दिल उसे चाहता है
वो कहता है
सिवाय बदनामी के हमें कुछ न मिलेगा
पर मुझे एक बार तो पूछता
मुझे क्या चाहिए।
आठ
डर
डर बदनामी का उसे होता है
जो प्यार नहीं करता
हम तो उसी पल मर गए थे
जब से आपसे प्यार हुआ
मैंने नहीं सोचा था-
क्या प्यार सोचकर होता है
आप प्यार का दम भरते हो
हमने तो आपकी खुशी की खातिर
सब कुछ छोड़ दिया
और इल्जाम अपने सिर लिया।
नौ
पास
मेरी तन्हाई में भी तुम हो
मेरे हर एहसास में तुम हो
कितना पास कितना दूर
यह मैं नहीं समझती
मेरी हर सांस में तुम हो।
दस
खुश
क्या खुश हो तुम जुदा होके
या यह सोच रहे हो कि
पास आ जाऊं मैं तेरे
क्यूं खुद को सजा देते हो
एक बार तो अपने दिल से पूछते
धड़कते किसके लिए हो।
Bhut hi acha likhti ho...or aage b likho na...likhna band kyu kr diya
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