-पंडित अमृतलाल वैष्णव सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। आपको राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रपति से पुरस्कार मिल चुका है। आप प्रख्यात ज्योतिर्विद, हस्तरेखा विशेषज्ञ एवं वास्तुकार हैं। प्रस्तुत अंश आपकी पुस्तक संक्षिप्त वास्तु शास्त्र से लिए गए हैं-
भाग-पांच
दक्षिण से उत्तर में खुला ज्यादा,
स्त्री को सुख दौलत का फायदा।
पश्चिम से ज्यादा पूर्व खाली,
पुरुषों ने यश गाथा पाली।
उत्तर से दक्षिण में खुला स्थान,
सब प्रकार से अनर्थक परिणाम।
पूर्व से पश्चिम में खुला ज्यादा,
विफल होंगे पुरुष क्या फायदा।
दक्षिण हद पर यदि करें निर्माण,
भाग्य भोग का नित्य कल्याण।
पश्चिमी हद पर बनाएं आवास,
पुरुषों की कीर्ति बढ़े खास।
पूर्व से सटा होगा निर्माण,
सर्व सुख हो जाएं वीरान।
उत्तरी हद पर यदि निर्माण हो,
स्त्री व धन हेतु विष बाण हो।
दक्षिण बढ़ा हुआ हो गृहवास,
हर ओर से जीत का ह्रास ।
पश्चिम बढ़े हुए गृह में वास,
सर्व अनर्थ होगा सत्यानाश।
पूर्व में अग्रेत (बढ़ा हुआ) वाला हो,
उस गलियान में बोलबाला हो।
ईशान बढ़ा हुआ मकान लो,
धनी से टक्कर लें, जान लो।
पूर्व की ओर ढला बरामदा,
पुरुषों का स्वास्थ्य रहे उमदा।
ढला बरामदा यदि उत्तर छोर,
स्त्री सुख, यश धन का जोर।
बरामदा ढला यदि दक्षण हो,
गले में फांस स्त्री धन हो।
पश्चिम में बंराडे की ढाल हो,
पुरुषों के स्वास्थ्य मुहाल हो।
पूर्व में बरामदा आग्नेय कक्ष वाला,
सर्व सुख फुहार वाला।
दक्षिण बरामदा आग्नेय कक्ष वाला,
स्त्री विपदा के तीर तरकश वाला।
दक्षिण बरामदे का नैर्ऋत्य कमरा,
महिला जन पर क्षेम का पहरा।
पश्चिम बरामदे में पश्चिम नैर्ऋत्य कक्ष,
जीवन निधि है मर्द के पक्ष।
पश्चिम बरामदे में वायव्य का कक्ष,
बढ़ते मर्द को रोके, खतरे प्रत्यक्ष।
उत्तर बरामदे में वायव्य बसेरा,
तरुणी जन का सुखद सवेरा।
उत्तर बरामदे में ईशान बसेरा,
श्री शुभ लाभ स्त्री का उठे डेरा।
पूर्व बरामदे में ईशान कक्ष बने,
पुरुष की वृद्धि में अड़चन बने।
आग्नेय में टांका बनाएंगे,
प्रथम संतान की उन्नति गवाएंगे।
वायव्य खुला व ब्रह्म स्थल खाली,
उस घर की राम करें रखवाली।
जिस घर में उत्तर धोबी सोवे,
उस घर का मालिक फूट-फूट रोवे।
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