-राखी पुरोहित युवा कथाकार, लेखिका और कवयित्री हैं। उन्होंने चंद पंक्तियों के माध्यम से गंभीर भाव अपने शब्दों में बयां किए हैं। पत्रकार के रूप में आप ‘जनता का सच’ और ‘थार न्यूज’ से जुड़ी हैं।
-एक-
जीवन का तराना
लिखने को लिख देंगे जीवन का तराना

हर हाल में मुस्कुराने की देता है सीख
खुदा दे दे शायद दोस्ती का नजराना
हमको भी इस ईद
इसके बदले लेले जीवन सारा
बस हो जाए इक सच्चे यार से दीद।

-दो-
ढूंढ़ने निकले हैं
कहते हैं ढूंढ़ने पर मिल जाते हैं भगवान
हम तो ढूंढ़ने निकले हैं सच्चा इनसान
दिल में लिए प्यार की हसरत
चेहरे पर उम्मीद की मुस्कान
पा ही लेंगे मंजिल गर रहे हौसला
हिम्मत मिटा देगा हमारे दरमिया फासला।
-तीन-
करूं याद तो
करूं याद तो किस तरह भुलाऊं उसे

वो कांटों भरा है तो क्या, गुलाब तो है
पंखुड़ी की तरह सजाऊं उसे
चुभन भी सह लेंगे दोस्ती में यारों
खुशबू की तरह सांसों में बसाऊं उसे।

-चार-
जिंदगी से मिलाया

मौत के पैगाम ने जिंदगी से मिलाया
चंद दिनों की यारी से रूबरू कराया
मालूम है साथ दो कदम चलेगी जिंदगी ये
हजारों खुशियां देने का वादा दिलाया
कहा मौत ने-जा जी ले जिंदगी अपनी
वहां न रहेगा मेरे डर का साया।

-पांच-
वादा किया है
मेरे मेहबूब ने वादा किया है
पांचवें दिन मिलने को आने का
किसी से सुन लिया होगा शायद-
जिंदगी चार दिन की है।
-छह-
खुशनसीब
खुशियां मिलती हैं उन्हें
जो खुशनसीब होते हैं।
जो दुश्मनी से दूर दोस्तों के करीब होते हैं
यारों का साथ हो तो
हर मुश्किल से लड़ जाते हैं
जिनके साथ न हो दोस्त
वो बदनसीब कहलाते हैं।
-सात-
चांद तारों की बात
चांद तारों की क्या करें बात
रात को ले आते हैं चांदनी की बारात
देना है तो दे खुदा हर घड़ी का साथ
जो साथ रहे हर-पल, दिन और रात
सच्चे दोस्त की बस यहीं मांगें हम सौगात।
-आठ-
सहरा
दूर तक पसरा है सहरा
तम का चारों और है पहरा
रोशनी उम्मीद की कहां खो गई
आशाएं न जाने चिरनिद्रा में सो गई
किस चिराग के जलने से होंगी
रोशन ये शमां
जब इस दुनिया से परवाने की हस्ती ही खो गई।
-नौ-
किस से करें इजहार
किस से करें इजहार
अपने गम और तन्हाई का
लगने लगा है डर अपनी ही परछाई का
मुस्कुराने की उम्मीद छोड़ दी है हमने

जमाने की रुसवाई का।
-दस-
बीते पल
बीते पल लौटकर न आते हैं
कहां वो खुशी कहां हंसी के ठहाके लाते हैं
एक कशिश थी दिल में
जीने की आरजू भी
अब तो बार-बार मौत को
गले से लगाते हैं
वो सादगी, वो भोलापन
बातों में बचपना

रूठना, मनाना और इठलाना
अपनी ही धुन में गाना
अब भूल जाते हैं
बीते पल लौटकर न आते हैं।
-ग्यारह-
सादगी
किसी की सादगी पै प्यार
आ ही जाता है
किसी के प्यार पै खुमार
छा ही जाता है
खुमार भी ऐसा जो
उतरे न जीवन भर
उसके संग जीवन बिताने का
ख्याल आ ही जाता है
किसी की सादगी पै प्यार
आ ही जाता है।
-बारह-
दूसरों की खुशियां
दूसरों की खुशियों से
घबराने लगे हैं
अपने ही अपनों से कतराने लगे हैं
जिंदगी भर हंसी उड़ाते रहे जमाने की
अपनी ही हालत पर आंसू बहाने लगे हैं
न संगी, न साथी, न सहारा कोई
देख कर हमें दर्पण भी शरमाने लगे हैं
कर लेता मीठी बात दिल से ‘राखी’
क्यों ठोकरों से पांव डगमगाने लगे हैं।
-तेरह-
बेबसी
हंसते हैं किसी की बेबसी पर
खुदा देखता तो होगा
हंसते हुए चेहरे भी
कभी दे जाते हैं धोखा
दिल में छुपा के दर्द
मुस्कुराने की वजह
पूछे अगर कोई
कैसे सह लेते हैं सब
खुदा सोचता तो होगा।
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