Wednesday, 6 August 2014

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संक्षिप्त वास्तु शास्त्र: पंडित अमृतलाल वैष्णव

-पंडित अमृतलाल वैष्णव राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त शिक्षक हैं। आप प्रसिद्ध ज्योतिषी और वास्तुविद हैं। प्रस्तुत अंश आपकी पुस्तक संक्षिप्त वास्तु-शास्त्र से लिए गए हैं।

भाग-चार

पूर्व मुखी आग्नेय में पाकशाला,
घर सर्व सुखों के धाम वाला।
रसोई में चूल्हा आग्नेय में जब हो,
अनेक सुख घर में तब हो।
आग्नेय रसोई में उच्चतर ठाम,
जग में बनेगा घर का ऊंचा धाम।
उत्तर वायव्य में चूल्हा फूंका,
समझो घर रहा न कहीं का।
पश्चिम वायव्य में चूल्हा डालो,
विकल्प में काम चला लो।
ईशान में यदि रसोई बनाना,
सारे ऐश्वर्य गर्त में गिराना।
दक्षिण मुखकर पकाएं भोजन,
अनेक संकटों को देवें निमंत्रण।
नैर्ऋत्य उपग्रह में रसोई,
तभी बनाएं जब राह न हो कोई।
यदि रसोई शौचालय हो पास-पास,
स्त्री वर्ग में झगड़ा तनाव हो खास।
सीढ़ी के नीचे रसोई गृह हो,
महिला जन रोगों से ग्रस्त हो।
रसोईघर न हो पूजाघर के पास,
ध्यान न लगेगा पूजा में खास।
शौचगृह हो रसोईगृह के सामने,
उन्नति लगेगी कदम थामने।
कोण ईशान में जो अग्नि जलावै,
घर मालिक सुख नहीं पावै।
नंद भवन, पूर्व दक्षिण में हो द्वार,
वासकर्ता स्त्री सदा रहे बीमार।
कांत भवन, पूर्व पश्चिम में द्वार हो,
पुत्र-पौत्रों की कांति की भरमार हो।
जय भवन, दक्षिण दिशा में हो दर,
सम्मान विजय व्यवसाय वृद्धि कर।
सुमुख भवन, पूर्व पश्चिम दक्षिण दर,
ऐश्वर्यशाली सुखी गृहवासी नर।
विपुल भवन, पश्चिम दक्षिण उत्तर दर,
निश्चय गृहस्वामी की संपत्ति वृद्धि कर।
आनंद भवन, पूर्व दक्षिण उत्तर द्वार,
गृहवासी को आयवृद्धि का उपहार।
पूर्व में खाली स्थान को मिला लो,
कीर्ति संपदा अपनी बना लो।
आग्नेय स्थल कभी न मिलाएं,
विपदाओं को अपने घर न बुलाएं।
दक्षिण स्थल कभी न मिलाओ,
रक्षा कवच को मत गंवाओ।
नैर्ऋत्य स्थल मुफ्त का भी नहीं,
आफतें खड़ी रहेंगी आंगन में ही।
उत्तर खाली खुशी से मिला लो,
उत्तम फल सब सहज ही पा लो।
पश्चिम खाली स्थल मिलवा लेंगे,
हरे-भरे घर को झुलसा देंगे।
ईशान की जगह जरूर क्रय करना,
सुख-शांति चैन वश में करना।
स्वगृह की ईशान भूमि जो गई,
घर में तंगी दरिद्रता भर गई।

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