Tuesday, 5 August 2014

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संक्षिप्त वास्तु-शास्त्रः पंडित अमृतलाल वैष्णव



-पंडित अमृतलाल वैष्णव राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त शिक्षक हैं। आप विख्यात ज्योतिषी और वास्तुविद हैं। प्रस्तुत अंश  उनकी पुस्तक संक्षिप्त वास्तु-शास्त्र से लिए गए हैं।

भाग -तीन

यदि उत्तर-ईशान में द्वार होगा, 
अनन्त सुखों का जीवन भंडार होगा।
पूर्व-ईशान में द्वार बनवाओ,
धन सुख शांति के भोग लगाओ।
उत्तर दिशा में किंवाड बनाना,
नित्य सुखों की बीन बजाना।
पहले ईशान में टांका-कुआं खुदाना
उसके जल से आवास बनाना।
जिस घर में टांका ईशान खुदा हो,
उस घर निरंतर सौख्य पैदा हो।
कुआं बनाएं यदि उत्तर दिशा में,
वरदायक सिद्ध हो हर दिशा में।
पूर्व में यदि कुआं खुदवाएंगे,
शाश्वत सुख नाना व्यंजन खाएंगे।
आग्नेय में यदि टांका बनवाएं,
स्त्री, बच्चे दोनों कष्ट उठाएं।
पश्चिम में जो टांका बनाएंगे, 
नित्य प्रति घर में फसाद पाएंगे।
धुर पश्चिम में टांका बना सकते हैं,
सामान्य जीवन चला सकते हैं।
दक्षिण दिशा में टांका न बनवाओ,
नारी की मौत न बुलवाओ।
नैर्ऋत्य में यदि टांका बनवाया,
मुखिया के कष्ट या मरण को बुलाया।
वायव्य में जो टांका बनाएंगे,
समय-समय पर झगड़े-फसाद पाएंगे।
ईशान उत्तर में पानी भू के अंदर,
आमदनी बढ़ाएं, बनाएं सिकंदर।
आग्नेय कोण में धरती पर पानी,
प्रथम संतान को उन्नति में परेशानी।
मध्य भवन के जो होगा कूप, 
बनेंगे दरिद्र चाहे होवें भूप।
ईशान कोण से किंचित हटकर कुआं,
ऐश्वर्य अपार, नित खाएं पुआ।
पश्चिम उत्तर में हो पानी का टैंक,
घर बनेगा सुख-शांति का बैंक।
वायव्य में हो धरती पर हौज,
दिनों दिन करें आनंद व मौज।
आग्नेय, नैर्ऋत्य में भूमिगत पानी,
सर्व रोगों की चलेगी वाणी।
भूमिगत पानी यदि पच्छम दक्षण,
मृत्युघात या धन का भक्षण। 
ईशान में तहखाना जो बनवाना,
सुख, ऐश्वर्य का उपभोग करो मनमाना।
नैर्ऋत्य में तलघर हरगिज न बनाना,
अन्यथा पीछे पड़े खूब पछताना।
उत्तर में चाहे तो, तलघर बनाओ,
घरवाली को स्वर्णहार पहनाओ।
पश्चिम में जो तहखाना बनाएंगे,
अनंत आपदाएं घर बुलाएंगे।
पूर्व से पश्चिम जो सौपान होगा,
जगत में धनी, राजा-सा मान होगा।
उत्तर से दक्षिण को जो सीढ़ी बनाएं,
धन समृद्धि से घर संपन्न बनाएं।
ईशान से नैर्ऋत्य की ओर सीढि़यां,
रोएंगी घर की कई पीढि़यां।
नैर्ऋत्य कोण में जो होगा सौपान,
पाएंगे सभी सुख, संपन्नता सम्मान।
ईशान में सीढ़ी हरगिज न चढ़ाना,
विवशता में खोखली पारदर्शी बनाना।
सीढि़यां यदि दक्षिण पश्चिम कक्षों के पास,
खड़ा होगा घर, सुख धामों में खास।
वायव्य या आग्नेय जो सौपान चढ़ाएं,
सामान्य-सा, काम चलाऊ जीवन बिताएं।
जीना यदि ज्यादा घुमाकर चढ़ेगा,
स्वास्थ्य रहे मंदा, परिचितों का फेरा बढ़ेगा।

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