-पंडित अमृतलाल वैष्णव राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त शिक्षक हैं। आप विख्यात ज्योतिषी और वास्तुविद हैं। प्रस्तुत अंश उनकी पुस्तक संक्षिप्त वास्तु-शास्त्र से लिए गए हैं।
भाग-दो
स्थल जब हो चतुःदिक अनुसार
तब ऐश्वर्यपद चारों ओर द्वार
ध्रुव भवन जो हो बिना द्वार के
सुख ऐश्वर्य मिलेंगे नाना प्रकार के
धान्य भवन (पूर्व) में द्वार बनाएं
कोई दोष भवन में न आने पाएं
उत्तर वायव्य में जो होवे द्वार
चंचलतापूर्ण करें सभी व्यवहार
उत्तर में यदि द्वार बनाएंगे
उन्नति-पथ नाना उपहार पाएंगे
उत्तर-ईशान में जो होगा द्वार
समृद्धिदायक, स्त्री सौभाग्य विहार
पश्चिम में जो होगा एक द्वार
गृह-सुख वृद्धि, क्षेम की भरमार
पश्चिम वायव्य में यदि द्वार होगा
स्वर्गिक सा सुखद प्रसार होगा
पूर्व से पश्चिम को जाए द्वार
पुरुष वर्ग को यश का उपहार
पूर्व में यदि न होगा द्वार
पुरुष वर्ग की प्रायः होती हार
उत्तर में ना होगा यदि द्वार
नारी का जीवन होगा दुश्वार
पूर्व आग्नेय में यदि द्वार होगा
शुभ-परिणामों का शिकार होगा
दक्षिण नैर्ऋत्य में यदि द्वार
नर-नारी के सुख पर प्रहार
पश्चिम नैर्ऋत्य में होगा आंगन
नर-आरोग्य को लगेगा ग्रहण
दक्षिण-आग्नेय में होवे कपाट
धन-ऐश्वर्य का हो सुखद ठाट
पूर्व से पश्चिम वायव्य को पथ
अनारोग्य रहेंगे, ले लो शपथ
पूर्व से पश्चिम नैर्ऋत्य को जाना
पुरुषों हेतु कष्टों को बुलाना
पूर्व से दक्षिण-नैर्ऋत्य को चाल
संकट-दर संकट नारी हेतु पाल
पूर्व-आग्नेय से पश्चिम को चाल
निश्चय होंगे घरवासी कंगाल
दक्षिण-आग्नेय से उत्तर-वायव्य गमन
कलह-क्लेश की घर करेगा वमन
दक्षिण से उत्तर ईशान को गमन
रहे स्त्री-सौभाग्य घर नंदन कानन
दक्षिण से उत्तर-वायव्य गमन,
स्त्री-सुख बनेगा दूर वर्तन
पश्चिम से उत्तर ईशान चाल
शुभ फल देगा घर हर हाल
पश्चिम से उत्तर ईशान गमनम
पुरुष संतति हो विज्ञान-श्रीसंपन्नम
उत्तर से नैर्ऋत्य को चाल
स्त्री वर्ग को दुखों का थाल
उत्तर से दक्षिण को द्वार गमन
अचल रहे घर में, कंचन व धन
उत्तर से दक्षिण-आग्नेय गमन
प्रचंडकलह या अग्नि का नर्तन
द्वार हो जब एक दक्षिण की ओर
निश्चय सुख दूजा उत्तर की ओर
पश्चिम में होगा यदि दरवाजा
सुख हेतु पूर्व में भी एक बना राजा
दक्षिण में यदि द्वार बनाएंगे
शुभफल अवश्य बाहर भगाएंगे
दक्षिण नैर्ऋत्य में जब हो द्वार
गृह स्वामी को जीवन होगा क्षार
पश्चिम-नैर्ऋत्य में द्वार बनाना
अकाल मृत्यु को निश्चय गले लगाना
पश्चिम-वायव्य (पुष्पदंत) में होगा द्वार
बसेगा अनगिनत सुखों का संसार
पश्चिम में जब होवे कपाट
पुरुष होंगे यशस्वी पाएं बड़े ठाट
उत्तर वायव्य में बनाएं द्वार
नित्य आवास में विनाश के प्रहार
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