-अनीता जांगिड़ युवा पीढ़ी की सशक्त हस्ताक्षर है। आपने क्षणिकाओं के माध्यम से अपने भावों को इस तरह व्यक्त किया है कि पढ़ने वाला उसमें डूब सा जाता है। कविताओं के माध्यम से प्रेम की गहराई को बताना आपकी विशेषता है। यहां प्रस्तुत है कुछ रचनाएं।
एक
फरिश्ता
तेरी बातों में इतनी मुहब्बत क्यों है
तेरे दिल में सबके लिए
इतनी जगह क्यों है
तू कोई फरिश्ता तो नहीं
इस जहां में
पर मेरे लिए
किसी फरिश्ते से कम तो नहीं।
दो
बगावत
शिकवा क्या करूं तुमसे
क्या करें शिकायत
नसीब में नहीं है तू
तो रब से क्या बगावत
तेरे बिन दिन का न रात का
पता चलता है
हर पल दीये सा मेरा दिल जलता है।
तीन
किस्मत
यह रब की मेहर है
तेरी खुशबू
मेरे रोम-रोम में समाई है
और इस खुशबू से
मेरी सांसे महकाई है
काश हम भी कोई फूल होते
और इसी बहाने
आप हमें छूते
पर ऐसी किस्मत कहां।
चार
लगन
लागी लगन तेरे प्यार की
भक्ति हो जैसे श्याम की
इतनी प्रीत उससे करती
तो आ जाते वो वृंदावन धाम से।
पांच
तुझे पाना
तुझे पाना किसी ख्वाब से कम तो नहीं
तेरा हो जाना
मेरे लिए गुमान से कम तो नहीं
तेरी यादों को
अपने दामन में संजोकर रखना
तेरे पास होने के
एहसास से कम तो नहीं।
छह
बारिश की महक
बारिश की महक
तेरे प्यार की याद दिलाती है
भीगती हूं जब उस बारिश में
वो तेरे छूने का
एहसास करवाती है
जब भर आती है मेरी आंख
उसी पल तुम भांप जाते हो
इसी लिए तो तुम
मेरे मन को छू जाते हो।
सात
मुमकिन
हम साथ रहे
यह मुमकिन तो नहीं हो सकता
दिलों की नजदीकियों का
पता किसी को चल नहीं सकता
हमारे बीच
मुहब्बत की जो नाजुक डोर है
उसे दुनिया वाले तो क्या
खुदा भी तोड़ नहीं सकता।
आठ
गहराई
मेरी मुहब्बत की गहराई
माप ले तूं
मैं तेरे शोहरत की
ऊंचाई माप लूं
अगर मांगने से मिल जाए मुझे
खुदा से तेरे लिए
सारी खुदाई मांग लूं।
नौ
अफसाना
वक्त की कलम
दर्द की स्याही से
हमने एक फसाना लिखा
मिल जाए उसे यह पैगाम
जिसके लिए
यह अफसाना लिखा।
दस
दुखों की चादर
दिल के राज
सभी खोल दूं
तेरे लिए जो मांगी है दुआ
खुदा से उसके साथ
अपने जज्बात जोड़ दूं
मिले तुझे खुशियां ही
जीवन में
तेरे दुखों की चादर
मैं खुद ओढ़ लूं।
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