-अनीता जांगिड़ युवा कवयित्री हैं। आपने कविताओं में प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति की है। छोटी सी रचना में सरल शब्दों में अपनी बात कहना आपकी विशेषता है। यहां प्रस्तुत है आपकी चुनिंदा रचनाएं।
एक
बेजान
क्या बताऊं
क्या छिपाऊं
कितनी है मोहब्बत
कैसे समझाऊं
तुझको सबकुछ मानती हूं
तेरे बिन बेजान सी हूं।
दो
रोशन
लम्हा-लम्हा पिघलती हूं
मोहब्बत में शमां की तरह
जलती हूं
रोशन कर दूं
तेरे इस जहां को
इसी उम्मीद से जलती हूं।
तीन
खरीददार
आपसे रूठकर जिया
तो क्या खाक जिया
कभी खुद से कभी आप से
शिकवा किया
आपके प्यार का
बीमार हमारा दिल है
आपके गम का
खरीददार हमारा दिल है।
चार
खो जाएं
यूं मिलो महफिल में तुम कि
एक-दूसरे में ही खो जाएं
देखता रह जाए जमाना सारा हमें
और हमें कुछ न नजर आए।
पांच
ख्वाहिश
सिवाय तुझे देखने के
और कोई हसरत नहीं है
हो जाए ये ख्वाहिश पूरी
बस इतनी ही इल्तिजा है।
छह
मोहब्बत का नशा
नशा सिर्फ शराब में हो
यह जरूरी नहीं
मोहब्बत का नशा भी कुछ कम नहीं
शराब को देखकर नशा होता नहीं
दिलरुबा की निगाहों से
जो नशा होता है
जिंदगी भर उतरता नहीं।
सात
रुखसत
रुखसत हो जाऊं
तेरा चेहरा देखकर
तो दुनिया से जाने का गम नहीं
गर जिंदा रहकर
तुमसे ना मिल पाऊं
तो मेरे लिए
मरने से कम नहीं।
आठ
मुस्कुराहट
मुस्कुराहट पर तेरी
सबकुछ लुटाने को
दिल करता है
गर हो दुखी तुम
तो दुनिया जलाने को
दिल करता है।
नौ
दगा
मुझसे ना पूछो
झांक लो मेरी आंखों में
सोचा था छुपा लेंगे अपने प्यार को
कमबख्त आंखों ने ही दगा कर दिया।
दस
करीब
किसी ने दिल में बसया था
उसी को सीने से लगाया था
सुन सके वो धड़कनें हमारी
इसी वजह से
उसके इतना करीब आया था।
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