-राखी पुरोहित महादेवी वर्मा पुरस्कार से सम्मानित युवा कवयित्री है। आपने अपने आस-पास बिखरे संसार को खूबसूरत शब्दों में ढाला है। ये शब्द भावनाओं से परिपूर्ण है। आप युवा पत्रकार भी हैं।
एक
एहसास
एहसास तो बहुत होगा
जब छोड़कर जाएंगे
रोयेंगे बहुत मगर
आंसू न आएंगे
जब साथ न दे कोई
आवाज हमें देना
सितारों में होंगे
तब भी लौटकर आएंगे।
दो
साहिल
दिल से दिल
बड़ी मुश्किल से मिलते हैं
तूफानों में साहिल
बड़ी मुश्किल से मिलते हैं
यूं तो मिल जाते हैं हजारों
मगर आप जैसे दोस्त
नसीब वालों को मिलते हैं।
तीन
गम
जिंदगी की वीरानियां
होती नहीं हैं कम
आंसू पी-पीके जीते हैं
गम होता नहीं है कम।
चार
समझ
हम कहना कुछ और चाहते हैं
वो समझ कुछ और जाते हैं
वो चाहते हैं क्या हमसे
कभी ना यह बताते हैं।
पांच
हाले-दिल
कभी-कभी आ जाया करो
मरीज-ए-दिल का
हाल पूछने
मर न जाये
कहीं तेरे इंतजार में हम।
छह
मौका
बड़ी मुद्दत से
इंतजार था
तुझे हाल-ए-दिल सुनाने को
आज मिला मौका
तो जालिम लब खामोश है।
सात
तकदीर
क्यों देते हो सजा
अपने आप को सनम
तकदीर का लिखा
कभी मिट नहीं सकता।
आठ
बेनाम
तेरे प्यार को अब
क्या नाम दूं
बेनाम हो गए हैं
तेरे प्यार में हम।
नौ
फूल
वो बाग किस काम का
यदि फूल न खिले
वो मिलना भी किस काम का
यदि दिल न मिले।
दस
इंतजार
तेरे इंतजार ने
मरने भी नहीं दिया
जब तक था इंतजार
मिलने नहीं दिया
आज जब
इंतजार कर
थक गई आंखें
लाकर आपको मेरे सामने
क्यों खड़ा कर दिया।
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