Thursday, 13 November 2014

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आज नहीं तो कल मिलेगा ही भारत को वीटो पावर

 -डी.के. पुरोहित-
ब्रिटेन ने भारत को सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता का समर्थन किया है, लेकिन कहा है कि उसे वीटो पावर नहीं मिलनी चाहिए।

इस में कोई दो राय नहीं कि भारत दुनिया के शक्तिशाली देशों में है। यहां किस बात की कमी है। परमाणु संपन्न है भारत। वैज्ञानिक मंगलग्रह पर पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं। सामरिक शक्ति होने के साथ ही पूंजीपति, उद्योगपति, इंजीनियर, डॉक्टर, श्रमिक पावर, होनहार युवा, शिक्षाविद, राजनीतिक धुरंधर, संसाधन और माहौल। इसके साथ ही एक बड़ी ताकत है-नैतिकता और चारित्रिक मजबूती। यहां संतों ने हमेशा यही कहा-वसुधैव कुटुंबकम। यानी पूरी दुनिया हमारा कुटुंब यानी परिवार है। हमने हमेशा दुनिया में शांति और भाईचारा चाहा। सर्वे भवंतु सुखिन:...की भावना हमारे भीतर कूट-कूट कर भरी है। ऐसी विशेषताओं के विद्यमान रहते भारत को कम आंकना गलत होता। इस बीच हम चर्चा कर रहे हैं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता और वीटो पावर मिलने की। वो भी तब जबकि ब्राजील, जर्मनी व जापान भी इस दौड़ में हैं।

ब्रिटेन ने भारत को सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता का समर्थन किया है, लेकिन कहा है कि उसे वीटो पावर नहीं मिलनी चाहिए। उसने इस मुद्दे पर व्यापक बहस की भी मांग की है।

फिलहाल सुरक्षा परिषद के 15 स्थाई सदस्यों में से पांच स्थाई सदस्य को वीटो पावर मिली हुई है। इनमें ब्रिटेन भी एक है। भारत कई साल से सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता पाने की कोशिश करता रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में सुरक्षा परिषद सुधार पर बहस चल रही है। इसमें ब्रिटेन के राजदूत लियाल ग्रांट ने कहा कि उनका देश चाहता है कि भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिले। लेकिन नए स्थाई सदस्यों को वीटो पावर न मिले। ग्रांट ने कहा, ‘किसी भी सुधार से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के खतरे से निपटने की परिषद की क्षमता कम नहीं होनी चाहिए’।


गौर करें कि भारत के वीटो पावर का विरोध ऐसा देश कर रहा है, जिसने भारत पर शासन किया और उसे लूटा। जमकर लूटा। लेकिन भारत की युवा शक्ति के आगे उसे झुकना पड़ा और आखिर स्वतंत्र करना पड़ा। भगतसिंह, चंद्रशेखर, सुभाषचंद्र बोस, महात्मा गांधी और कई शहीदों ने अलग-अलग भूमिकाएं निभाई। एक शक्ति के रूप में जब भारत जागा तो ब्रिटेन के सामने भारत को मुक्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। भारत सोने की चिड़िया कही जाती रही है। यहां जो लोग हमलावर बनकर आए उन्होंने यहां की संपदा और समृिद्ध को जमकर लूटा। इन लुटेरों में ब्रिटेन भी एक देश है। हमने सबका भला चाहा। सबका विकास चाहा। सबकी समृद्धि व शांति चाही। लेकिन एक लुटेरा देश इस बात का विरोध कर रहा है कि भारत को वीटो नहीं मिलना चाहिए। यह बात भले ही अपनी जगह सच है कि ब्रिटेन ने भारत पर दो सौ वर्षों तक शासन किया, लेकिन यह भी सत्य है कि भारत के युवा और देशभक्त 1857 में ही योजनाबद्ध प्रयास करते तो कब के आजाद हो जाते। भलेही ही ब्रिटेन ने भारत पर शासन किया, लेकिन एक शक्ति के रूप में वो भी इसे अनदेखी नहीं कर सकता।

अभी संयुक्त राष्ट्र संघ में पांच देश रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस व चीन के पास वीटो है। इन स्थाई सदस्यों को वीटो शक्तियां हैं। इसका मतलब है कि उनमें से कोई भी अगर किसी भी प्रस्ताव का विरोध करे तो वह प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता। जब से सुरक्षा परिषद बनी है तब से इस अधिकार का दुरुपयोग भी हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ में अभी 15 सदस्य हैं। भारत वर्षों से संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थाई सदस्यता की मांग कर रहा है। ब्रिटेन ने ऐसे समय भारत को वीटो पावर का विरोध किया है, जब भारत में नई तरह की राजनीतिक और विकासशील बहस चल रही है। हर युवा देश को आगे बढ़ाने में तत्पर है। यहां के वैज्ञानिक विदेशों में परचम लहरा रहे हैं। डॉक्टर कमाल दिखा रहे हैं। अभी-अभी खबर आई है कि भारत में चीन से ज्यादा सोने की खपत हो रही है। मुद्दे कई है। रास्ते कई है। हर मोड़ पर भारत विशेष रूप से शक्ति के तौर पर सामने आ रहा है।

हमारे देश में सदा संतों-महापुरुषों का बाहुल्य रहा है। एक शक्ति जिसे आध्यात्मिक या नैतिक शक्ति कही जाती रही है, उसका बाहुल्य रहा है। यहां महाभारत के किस्से हैं। रामायण यहां की कल्चर है। साहित्यकारों ने यहां का गौरव बढ़ाया है। मंदिर-मस्जिद-चर्च-गुरुद्वारे जहां गली-गली मोहल्लों में हैं। ऐसे में कहां कमी है। सब बराबर। सब देश के लिए। देश सबके लिए। ऐसे माहौल में भारत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आजादी के बाद पचास-साठ साल में हमने दुनिया को दिखा दिया कि भारत किसी भी दृष्टि से कमजोर नहीं हैं। हाल ही में अमेरिका सहित विश्व के शक्तशाली देशों में मंदी का दौर चला, ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था अडिग रही। हमने अपने दम पर अपना वर्चस्व बनाए रखा। परमाणु परीक्षण के बाद लोगों की आंख में भारत अखरने लगा, लेकिन भारत ने परवा नहीं की। विश्व की शक्तियों ने भी भारत की शक्ति का आदर किया। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए, भारत को परवाह नहीं करनी चाहिए वीटो पावर की। आज नहीं तो कल भारत के कदमों में होगा वीटो पावर।

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