-अल्पसंख्यक समुदाय का बेशकीमती जमीन व मुरबों पर कब्जा, एक वर्ग की आबादी बढ़ी, नहरी भूमि बनी कमाई का जरिया
वर्ल्ड स्ट्रीट न्यूज. जैसलमेर
पश्चिमी राजस्थान के भारत-पाक बॉर्डर पर भूमाफियाओं ने बेशकीमती जमीनें हथिया ली है। इन जमीनों पर दुकानें, मकान और कई प्लॉटों पर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही है। हालत यह है कि कई ग्रामीणों ने भी कच्चे झोंपे और मकान बनाकर जमीनें हथिया ली है मामला रामगढ़ व तनोट का है। बॉर्डर पर बसे ये इलाके अति संवेदनशील है। रामगढ़ से 65 किलोमीटर दूर बसे पाक बॉर्डर पर तनोट गांव में भी भूमाफिया सक्रिय हैं। रामगढ़ में तो नहरी भूमि के आस-पास कब्जे किए गए हैं।
पिछले दो दशक में रामगढ़ कस्बे में आबादी दस गुना बढ़ गई है। यहां पर नहर आने के बाद मुरबों की खरीद के नाम पर अल्पसंख्यकों ने खेतिहर जमीन हथिया ली है। दो दशक से पहले एक समुदाय विशेष के लोगों ने फर्जी दस्तावेजों से करोड़ों की भूमि पर कब्जा कर लिया है। सभी जमीनें खेतिहर है। मुरबों का जब आवंटन हुआ तो उपनिवेशन विभाग में जाली दस्तावेज देकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने मुरबे हथिया लिए। खासकर तस्करों ने अपने काले धंधे के रुपयों से मुरबे हथियाकर यहीं बस गए। दूसरी ओर भूमाफियाओं ने भी जमीन हथियाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। रामगढ़ कस्बे की 45 प्रतिशत भूमि अतिक्रमण और भूमाफियाओं के कब्जे में है। सरपंच और प्रधानों ने पटवारियों व ग्राम सेवकों के साथ मिलकर जमीनों को कब्जे में ले लिया है।
बदल गया रामगढ़, तस्करों का प्लॉटों पर कब्जा:
अगर रिकॉर्ड खंगाला जाए तो सच सामने आएगा। यहां की बेशकीमती जमीनें और मुरबों पर तस्करों का कब्जा है। रही सही कसर भूमाफियाओं ने पूरी कर दी। आज से दो-ढाई दशक पहले रामगढ़ के रास्ते तस्करी होती रही। बाद में कई तस्कर तस्करी छोड़कर अपने पैसों को मुरबों और जमीनों में लगा दिया। मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों को मुंह मांगे दाम देकर भूमाफियाओं व तस्करों ने रामगढ़ में प्लॉट हथिया लिए। कई मुरबों पर भी तस्करों का अधिकार हैं।
संवेदनशील है बॅार्डर पर बसा रामगढ़
बॉर्डर पर बसा रामगढ़ कस्बा काफी संवेदनशील हैं। यहां पर एक वर्ग विशेष की आबादी का बढ़ना खुफिया एजेंसियां भी चिंताजनक बता रही हैं। यहां एक वर्ग की जनसंख्या दो दशक में 22 प्रतिशत तक बढ़ गई है। खुफिया तंत्र का भी मानना है कि रामगढ़ में इस तरह आबादी बढ़ना और जमीनों पर तस्करों व भूमाफियाओं का कब्जा होना चिंता जनक है।
जिसने भी आवाज उठाई राजनीति ने किनारे कर दिया
गौरतलब है कि जैसलमेर के पूर्व एसपी पंकज चौधरी का स्थानांतरण भी पुराने मामले उजागर करने पर किया गया। पंकज चौधरी ने गाजी फकीर परिवार की फाइल खोल दी। उन्होंने पुराने मामले खोले तो राजनीतिक क्षेत्र में हड़कंप मच गया। यही नहीं पूर्व में भगवान लाल सोनी ने भी जब तस्करों के खिलाफ मामले खोले तब भी खूब राजनीति हुई। यही नहीं पहले भी एसपी पालीवाल और अन्य आईपीएस ने भी मामले खोले, लेकिन उनके स्थानांतरण कर दिए गए।
मुरबों पर भूमाफिया काबिज, खेती ठेके पर
कई मुरबों पर भूमाफियाओं का कब्जा है। इन्हें इन लोगों ने ठेके पर खेती के लिए दे रखा है। नियमानुसार मुरबे लेने में कई लोचे हैं, लेकिन भूमाफियाओं व तस्करों ने पैसा पानी की तरह बहाकर मुरबों पर कब्जा कर रखा है।
तनोट पर भी देशद्रोहियों की नजर
खुफिया एजेंसियों का आकलन है कि तनोट पर देशद्रोहियों की नजर है। यहां बीएसएफ तैनात है। अन्य खुफिया एजेंसियां भी तस्करों व देशद्रोहियों पर नजर रखे हुए हैं। लेकिन हालत यह है कि तनोट पर बार्डर के समीप भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पहुंच चुके हैं। ऐसे में पुलिस व खुफिया एजेंसियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है।
वर्ल्ड स्ट्रीट न्यूज. जैसलमेर
पश्चिमी राजस्थान के भारत-पाक बॉर्डर पर भूमाफियाओं ने बेशकीमती जमीनें हथिया ली है। इन जमीनों पर दुकानें, मकान और कई प्लॉटों पर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही है। हालत यह है कि कई ग्रामीणों ने भी कच्चे झोंपे और मकान बनाकर जमीनें हथिया ली है मामला रामगढ़ व तनोट का है। बॉर्डर पर बसे ये इलाके अति संवेदनशील है। रामगढ़ से 65 किलोमीटर दूर बसे पाक बॉर्डर पर तनोट गांव में भी भूमाफिया सक्रिय हैं। रामगढ़ में तो नहरी भूमि के आस-पास कब्जे किए गए हैं।
पिछले दो दशक में रामगढ़ कस्बे में आबादी दस गुना बढ़ गई है। यहां पर नहर आने के बाद मुरबों की खरीद के नाम पर अल्पसंख्यकों ने खेतिहर जमीन हथिया ली है। दो दशक से पहले एक समुदाय विशेष के लोगों ने फर्जी दस्तावेजों से करोड़ों की भूमि पर कब्जा कर लिया है। सभी जमीनें खेतिहर है। मुरबों का जब आवंटन हुआ तो उपनिवेशन विभाग में जाली दस्तावेज देकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने मुरबे हथिया लिए। खासकर तस्करों ने अपने काले धंधे के रुपयों से मुरबे हथियाकर यहीं बस गए। दूसरी ओर भूमाफियाओं ने भी जमीन हथियाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। रामगढ़ कस्बे की 45 प्रतिशत भूमि अतिक्रमण और भूमाफियाओं के कब्जे में है। सरपंच और प्रधानों ने पटवारियों व ग्राम सेवकों के साथ मिलकर जमीनों को कब्जे में ले लिया है।
बदल गया रामगढ़, तस्करों का प्लॉटों पर कब्जा:
अगर रिकॉर्ड खंगाला जाए तो सच सामने आएगा। यहां की बेशकीमती जमीनें और मुरबों पर तस्करों का कब्जा है। रही सही कसर भूमाफियाओं ने पूरी कर दी। आज से दो-ढाई दशक पहले रामगढ़ के रास्ते तस्करी होती रही। बाद में कई तस्कर तस्करी छोड़कर अपने पैसों को मुरबों और जमीनों में लगा दिया। मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों को मुंह मांगे दाम देकर भूमाफियाओं व तस्करों ने रामगढ़ में प्लॉट हथिया लिए। कई मुरबों पर भी तस्करों का अधिकार हैं।
संवेदनशील है बॅार्डर पर बसा रामगढ़
बॉर्डर पर बसा रामगढ़ कस्बा काफी संवेदनशील हैं। यहां पर एक वर्ग विशेष की आबादी का बढ़ना खुफिया एजेंसियां भी चिंताजनक बता रही हैं। यहां एक वर्ग की जनसंख्या दो दशक में 22 प्रतिशत तक बढ़ गई है। खुफिया तंत्र का भी मानना है कि रामगढ़ में इस तरह आबादी बढ़ना और जमीनों पर तस्करों व भूमाफियाओं का कब्जा होना चिंता जनक है।
जिसने भी आवाज उठाई राजनीति ने किनारे कर दिया
गौरतलब है कि जैसलमेर के पूर्व एसपी पंकज चौधरी का स्थानांतरण भी पुराने मामले उजागर करने पर किया गया। पंकज चौधरी ने गाजी फकीर परिवार की फाइल खोल दी। उन्होंने पुराने मामले खोले तो राजनीतिक क्षेत्र में हड़कंप मच गया। यही नहीं पूर्व में भगवान लाल सोनी ने भी जब तस्करों के खिलाफ मामले खोले तब भी खूब राजनीति हुई। यही नहीं पहले भी एसपी पालीवाल और अन्य आईपीएस ने भी मामले खोले, लेकिन उनके स्थानांतरण कर दिए गए।
मुरबों पर भूमाफिया काबिज, खेती ठेके पर
कई मुरबों पर भूमाफियाओं का कब्जा है। इन्हें इन लोगों ने ठेके पर खेती के लिए दे रखा है। नियमानुसार मुरबे लेने में कई लोचे हैं, लेकिन भूमाफियाओं व तस्करों ने पैसा पानी की तरह बहाकर मुरबों पर कब्जा कर रखा है।
तनोट पर भी देशद्रोहियों की नजर
खुफिया एजेंसियों का आकलन है कि तनोट पर देशद्रोहियों की नजर है। यहां बीएसएफ तैनात है। अन्य खुफिया एजेंसियां भी तस्करों व देशद्रोहियों पर नजर रखे हुए हैं। लेकिन हालत यह है कि तनोट पर बार्डर के समीप भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पहुंच चुके हैं। ऐसे में पुलिस व खुफिया एजेंसियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है।
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