द्वारा : डी.के. पुरोहित,
वरिष्ठ उप संपादक,
दैनिक भास्कर,
जी-283, शास्त्री नगर, जोधपुर-राजस्थान।
आइडिया नंबर एक
भिखारियों को मुख्यधारा से जोड़ना
कैसे: 1. देशभर में भिखारियों को कॉर्पोरेट कल्चर की पोशाक पहनाना। उनका हुलिया कर्मचारियों जैसा बनाना। उन्हें एक ऐसी लिमिटेड कंपनी के कर्मचारी बनाना जिसकी शाखाएं देशभर में हों।
2. इन भिखारियों को घर-घर भेजना और 50 पैसे प्रति दर की रेट पर रोटियां कलेक्शन में लगाना। रोटी ठंडी बेशक हो, मगर खराब न हों। साथ ही विवाह या आयोजन वाले घर से उचित मूल्य देकर मिठाइयां आदि भी खरीदी जा सकती हैं।
3. इन रोटियों को यह कंपनी तलकर या गर्म कर खाने लायक बनाए। इसे ढाबों में सप्लाई भी की जा सकती है और यह कंपनी अपने स्तर पर बेच सकती है। साथ ही मिठाई भी इसी तरह उपयोग में ली जा सकती है। इन भिखारी कर्मचारियों को प्रति माह एक हजार रुपया मेहनताना दिया जाए। साथ ही इनके लिए आवासीय कॉलोनी भी बसाई जाए और बच्चों को सरकारी स्कूलों में भर्ती किया जाए। धीरे-धीरे मुनाफे के आधार पर इनका मेहनताना बढ़ाया जा सकता है और अलग तरह की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। देश से इस तरह व्यवस्थित तरीके से भिक्षावृत्ति मिटाई जा सकती है। शुरुआत में नुकसान भी उठाना पड़े तो उठाएं, लेकिन भिखारियों को उनका मूल कार्य सौंपते हुए, मुख्यधारा से जोड़ा जाए। धीरे-धीरे इन भिखारियों को सिक्यूरिटी, चौकीदारी और अन्य भूमिकाएं दी जा सकती हैं।
आइडिया नंबर दो
टीचर्स की कमाई से स्कूलों का विकास
कैसे:--1. अभी सरकारी टीचर्स बनने के लिए बीएड करना जरूरी है। यानी प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक लाख रुपए बीएड करने में खर्च करना पड़ता है। फिर भी जरूरी नहीं की, वह टीचर्स बन पाएगा, या नहीं।
2. टीचर्स बनने के लिए केवल ग्रेज्युएट योग्यता ही रखें। जिन अभ्यर्थियों को वरिष्ठता के आधार पर नौकरी मिले उनसे एक लाख रुपए सिक्योरिटी राशि वसूल की जाए जो उनकी सेवानिवृत्ति या मृत्यु पर ही लौटाई जाए। इस एक लाख रुपए की सिक्योरिटी राशि के ब्याज से स्कूलों का विकास करवाएं। ग्रेज्युएट व्यक्ति को बिना बीएड के नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था भी बनाए रखी जा सकती है। ऐसे आरक्षित लोगों से राशि कम ली जाए।
वरिष्ठ उप संपादक,
दैनिक भास्कर,
जी-283, शास्त्री नगर, जोधपुर-राजस्थान।
आइडिया नंबर एक
भिखारियों को मुख्यधारा से जोड़ना
कैसे: 1. देशभर में भिखारियों को कॉर्पोरेट कल्चर की पोशाक पहनाना। उनका हुलिया कर्मचारियों जैसा बनाना। उन्हें एक ऐसी लिमिटेड कंपनी के कर्मचारी बनाना जिसकी शाखाएं देशभर में हों।
2. इन भिखारियों को घर-घर भेजना और 50 पैसे प्रति दर की रेट पर रोटियां कलेक्शन में लगाना। रोटी ठंडी बेशक हो, मगर खराब न हों। साथ ही विवाह या आयोजन वाले घर से उचित मूल्य देकर मिठाइयां आदि भी खरीदी जा सकती हैं।
3. इन रोटियों को यह कंपनी तलकर या गर्म कर खाने लायक बनाए। इसे ढाबों में सप्लाई भी की जा सकती है और यह कंपनी अपने स्तर पर बेच सकती है। साथ ही मिठाई भी इसी तरह उपयोग में ली जा सकती है। इन भिखारी कर्मचारियों को प्रति माह एक हजार रुपया मेहनताना दिया जाए। साथ ही इनके लिए आवासीय कॉलोनी भी बसाई जाए और बच्चों को सरकारी स्कूलों में भर्ती किया जाए। धीरे-धीरे मुनाफे के आधार पर इनका मेहनताना बढ़ाया जा सकता है और अलग तरह की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। देश से इस तरह व्यवस्थित तरीके से भिक्षावृत्ति मिटाई जा सकती है। शुरुआत में नुकसान भी उठाना पड़े तो उठाएं, लेकिन भिखारियों को उनका मूल कार्य सौंपते हुए, मुख्यधारा से जोड़ा जाए। धीरे-धीरे इन भिखारियों को सिक्यूरिटी, चौकीदारी और अन्य भूमिकाएं दी जा सकती हैं।
आइडिया नंबर दो
टीचर्स की कमाई से स्कूलों का विकास
कैसे:--1. अभी सरकारी टीचर्स बनने के लिए बीएड करना जरूरी है। यानी प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक लाख रुपए बीएड करने में खर्च करना पड़ता है। फिर भी जरूरी नहीं की, वह टीचर्स बन पाएगा, या नहीं।
2. टीचर्स बनने के लिए केवल ग्रेज्युएट योग्यता ही रखें। जिन अभ्यर्थियों को वरिष्ठता के आधार पर नौकरी मिले उनसे एक लाख रुपए सिक्योरिटी राशि वसूल की जाए जो उनकी सेवानिवृत्ति या मृत्यु पर ही लौटाई जाए। इस एक लाख रुपए की सिक्योरिटी राशि के ब्याज से स्कूलों का विकास करवाएं। ग्रेज्युएट व्यक्ति को बिना बीएड के नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था भी बनाए रखी जा सकती है। ऐसे आरक्षित लोगों से राशि कम ली जाए।