-निजी अस्पतालों में डॉक्टर प्रसव के दौरान बिना जरूरत के ही सीजेरियन कर देते हैं, इसके पीछे दो बातें हैं-एक तो निजी अस्पतालों को आय अधिक होती है और दूसरा कारण है खुद महिला और उसके पति भी सीजेरियन पसंद करते हैं ताकि सेक्स में प्रॉब्लम न हो, कई विशेष संयोग की वजह से भी सीजेरियन को महत्व दिया जाता है
-डी.के. पुरोहित-
केस-एक : 11.12.13 का संयोग। रमा और उसके पति राहुल चाहते थे कि इस संयोग पर ही उनके घर मेहमान आए। फिर क्या था उन्होंने डॉक्टर से कह दिया कि निर्धारित डेट से पहले ही इस संयोग पर सीजेरियन कर दें।
केस-दो : श्वेता और शनि के पहली संतान होने वाली थी। शनि चाहता था कि संतान के बाद उनका दांपत्य जीवन खासकर सेक्स में प्रॉब्लम न आए, इसलिए सीजेरियन से ही डिलीवरी हो।
जोधपुर। अब प्रसव के दौरान सीजेरियन के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसके पीछे निजी अस्पतालों की अधिक आय अर्जित करने का कारण तो है ही, साथ ही महिला व उनके परिजनों की इच्छा भी मायने रखती है। कई लोगों का मानना है कि प्रसव के बाद सेक्स में आनंद नहीं आता, इसलिए सीजेरियन करवा देते हैं। इसके साथ ही निजी अस्पतालों में सीजेरियन की मोटी फीस और खर्चे को देखते हुए भी डॉक्टर बिना जरूरत के ही सीजेरियन कर देते हैं।
‘नेचुरल डिलीवरी एंड सीजेरियन’ नामक एनजीओ के शोध में सामने आया है कि जोधपुर में सीजेरियन के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पिछले एक दशक में 80 प्रतिशत मामले में सीजेरियन कर दी जाती है। इस एनजीओ ने पिछले एक दशक में स्थिति पर नजर रखी और यह बात सामने आई कि बिना जरूरत ही डॉक्टर सीजेरियन कर देते हैं।
सहज सेक्स भी बड़ा कारण
इस एनजीओ की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि प्रसव के बाद सेक्स में आनंद नहीं आता। इसलिए भी पति की इच्छा रहती है कि सीजेरियन करवाया जाए। आधुनिक युवा और शिक्षित लोग सीजेरियन पर जोर देते हैं। शहर में प्रसव के 70 प्रतिशत मामलों में पति सीजेरियन को महत्व देते हैं। पिछले एक दशक में 80 प्रतिशत मामले सीजेरियन के पाए गए हैं।
निजी अस्पताल आय के लिए करतें हैं सीजेरियन
रिपोर्ट में बताया गया है कि निजी अस्पतालों में आय अधिक हो, इसके लिए सीजेरियन की जाती है। अकेले जोधपुर की बात करें तो यहां के वसुंधरा अस्पताल और राजदादीसा अस्पताल में होने वाले प्रसव के 60 प्रतिशत मामलों में सीजेरियन की जाती है। राजदादीसा अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ कोषल्या माहेश्वरी का मानना है कि डिलीवरी के मामले में जरूरत होने पर ही सीजेरियन की जाती है। कई बार मामला गंभीर होता है तो भी सीजेरियन की जाती है। वे इस बात इत्तेफाक नहीं रखती कि बिना जरूरत के सीजेरियन की जाती है। हां, वे यह बात अवश्य स्वीकार करती है कि कभी संयोग की वजह से पति की इच्छा पर सीजेरियन एक-दो दिन पहले या बाद में अवश्य की जाती है।
गंभीर मामलों में तो सीजेरियन होती है
वसुंधरा अस्पताल के विशेषज्ञ बताते हैं कि गंभीर मामलों में तो सीजेरियन करना जरूरी हो जाता है। उनका मानना है कि आज-कल महिलाओं में प्रसव के दौरान प्रॉब्लम अधिक होती है। कई बार गर्भस्थ शिशु की स्थिति को लेकर तो कई बार अन्य कारणों की वजह से सीजेरियन जरूरी हो जाती है। इसलिए यह कहना कि अस्पताल आय के लिए सीजेरियन पर जोर देते हैं, पूरी तरह सही नहीं हैं।
-डी.के. पुरोहित-
केस-एक : 11.12.13 का संयोग। रमा और उसके पति राहुल चाहते थे कि इस संयोग पर ही उनके घर मेहमान आए। फिर क्या था उन्होंने डॉक्टर से कह दिया कि निर्धारित डेट से पहले ही इस संयोग पर सीजेरियन कर दें।
केस-दो : श्वेता और शनि के पहली संतान होने वाली थी। शनि चाहता था कि संतान के बाद उनका दांपत्य जीवन खासकर सेक्स में प्रॉब्लम न आए, इसलिए सीजेरियन से ही डिलीवरी हो।
जोधपुर। अब प्रसव के दौरान सीजेरियन के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसके पीछे निजी अस्पतालों की अधिक आय अर्जित करने का कारण तो है ही, साथ ही महिला व उनके परिजनों की इच्छा भी मायने रखती है। कई लोगों का मानना है कि प्रसव के बाद सेक्स में आनंद नहीं आता, इसलिए सीजेरियन करवा देते हैं। इसके साथ ही निजी अस्पतालों में सीजेरियन की मोटी फीस और खर्चे को देखते हुए भी डॉक्टर बिना जरूरत के ही सीजेरियन कर देते हैं।
‘नेचुरल डिलीवरी एंड सीजेरियन’ नामक एनजीओ के शोध में सामने आया है कि जोधपुर में सीजेरियन के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पिछले एक दशक में 80 प्रतिशत मामले में सीजेरियन कर दी जाती है। इस एनजीओ ने पिछले एक दशक में स्थिति पर नजर रखी और यह बात सामने आई कि बिना जरूरत ही डॉक्टर सीजेरियन कर देते हैं।
सहज सेक्स भी बड़ा कारण
इस एनजीओ की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि प्रसव के बाद सेक्स में आनंद नहीं आता। इसलिए भी पति की इच्छा रहती है कि सीजेरियन करवाया जाए। आधुनिक युवा और शिक्षित लोग सीजेरियन पर जोर देते हैं। शहर में प्रसव के 70 प्रतिशत मामलों में पति सीजेरियन को महत्व देते हैं। पिछले एक दशक में 80 प्रतिशत मामले सीजेरियन के पाए गए हैं।
निजी अस्पताल आय के लिए करतें हैं सीजेरियन
रिपोर्ट में बताया गया है कि निजी अस्पतालों में आय अधिक हो, इसके लिए सीजेरियन की जाती है। अकेले जोधपुर की बात करें तो यहां के वसुंधरा अस्पताल और राजदादीसा अस्पताल में होने वाले प्रसव के 60 प्रतिशत मामलों में सीजेरियन की जाती है। राजदादीसा अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ कोषल्या माहेश्वरी का मानना है कि डिलीवरी के मामले में जरूरत होने पर ही सीजेरियन की जाती है। कई बार मामला गंभीर होता है तो भी सीजेरियन की जाती है। वे इस बात इत्तेफाक नहीं रखती कि बिना जरूरत के सीजेरियन की जाती है। हां, वे यह बात अवश्य स्वीकार करती है कि कभी संयोग की वजह से पति की इच्छा पर सीजेरियन एक-दो दिन पहले या बाद में अवश्य की जाती है।
गंभीर मामलों में तो सीजेरियन होती है
वसुंधरा अस्पताल के विशेषज्ञ बताते हैं कि गंभीर मामलों में तो सीजेरियन करना जरूरी हो जाता है। उनका मानना है कि आज-कल महिलाओं में प्रसव के दौरान प्रॉब्लम अधिक होती है। कई बार गर्भस्थ शिशु की स्थिति को लेकर तो कई बार अन्य कारणों की वजह से सीजेरियन जरूरी हो जाती है। इसलिए यह कहना कि अस्पताल आय के लिए सीजेरियन पर जोर देते हैं, पूरी तरह सही नहीं हैं।
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