Tuesday, 10 December 2013

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कंप्यूटर क्रांति ने लाइब्रेरी का महत्व घटाया

-अब लाइब्रेरी जाकर पुस्तकें पढ़ने का चलन घट रहा है, इंटरनेट पर उपलब्ध है हर तरह का साहित्य, पुस्तकों का महत्व घट रहा है

-डी.के. पुरोहित-

जोधपुर. देश में लगने वाले पुस्तक मेले फ्लाॅप हो रहे हैं, क्यों? ऐसा नहीं है कि साहित्य की गुणवत्ता खत्म हो गई हो, बल्कि कंप्यूटर व इंटरनेट क्रांति ने पुस्तकों का महत्व कम कर दिया है। एक उपन्यास की कीमत 500 रुपए हो वही उपन्यास इंटरनेट पर उपलब्ध है। यही नहीं दुनिया में किसी भी विषय से संबंधित जानकारी चाहिए, इंटरनेट पर चंद सैकंड में उपलब्ध है। ऐसे में लोग पुस्तकें क्यों खरीदें?

अब कंप्यूटर और इंटरनेट हमारी जिंदगी का हिस्सा हो गया है। युवा घंटों तक कंप्यूटर का उपयोग करते हैं। इंटरनेट पर जो जानकारी चाहिए उपलब्ध है और युवाओं का इसके प्रति क्रेज भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में लाइब्रेरी जाकर पुस्तकों को लाना कौन पसंद करेगा। बड़े-बड़े शहरों में लाइब्रेरी भी दूर-दराज क्षेत्रों में होती है, ऐसे में समय निकाल कर लाइब्रेरी जाना और पुस्तकें इश्यू करवाने की बजाय लोग साइबर कैफे जाकर 10-20 रुपए में मनचाहा साहित्य पढ़ सकते हैं। अब तो घर-घर में इंटरनेट है, फिर लाइब्रेरी क्यों जाएं?

पुस्तकें धूल फांक रही है

पिछले पांच साल में एक अनुमान के अनुसार 45 प्रतिशत पाठकों की लाइब्रेरी में कमी आई है। यहां तक कि काॅलेजों और स्कूलों की लाइब्रेरी में भी स्टूडेंटृस का रुझान घटने लगा है। ऐसे में लाइब्रेरी में पुस्तकें धूल फांक रही है। जोधपुर की ही बात करें तो यहां के सार्वजनिक लाइब्रेरी में पाठक घटे हैं। यही नहीं अब लाइब्रेरी के सदस्य भी घट रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में नए सदस्य बहुत कम बने हैं।

लाइब्रेरी में निशुल्क इंटरनेट की डिमांड

एक तरफ कंप्यूटर व मोबाइल क्रांति से लाइब्रेरी में पुस्तकों के पाठक कम हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ युवाओं की मांग है कि लाइब्रेरी में ही कंप्यूटर सैट लगा दिए जाएं और इंटरनेट की निशुल्क सुविधा हो, ताकि लोग पुस्तकों के साथ-साथ आॅन लाइन जानकारी प्राप्त कर सकें। फिलहाल ऐसा प्रयोग लाइब्रेरी में नहीं हुआ है, लेकिन आने वाले समय में पाठकों के लिए लाइब्रेरी में ही इंटरनेट सुविधा मिल सकती है। हां, मौजूदा दौर में लाइब्रेरी की सभी पुस्तकों की सूची कंप्यूटर पर उपलब्ध है। लेकिन इससे पाठकों को सीधे तौर पर कोई फायदा नहीं मिला है।

वाचनालय से भी पाठक हुए दूर

लाइब्रेरी के साथ ही वाचनालय भी होता है। यहां भी पाठक घट रहे हैं। हिंदी, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में अखबार और पत्र-पत्रिकाएं आॅन लाइन उपलब्ध है, फिर वाचनालय में क्यों जाएं? अब वाचनालय में उम्रदराज लोग ही अधिकतर जाते हैं। सेवानिवृत्त लोगों को ही वाचनालय में देखा जाता है।

क्या है लोगों की प्रतिक्रिया---

समय की बर्बादी है लाइब्रेरी जाना

साहित्यकार लक्ष्मीनारायण खत्री का कहना है कि अब इंटरनेट का जमाना है। लाइब्रेरी अब समय का सदुपयोग नहीं रहा। अब तो हर तरह की जानकारी आॅन लाइन उपलब्ध है, फिर लाइब्रेरी जाकर समय बर्बाद क्यों किया जाए।

विकास का पर्याय है इंटरनेट

शिक्षक विनोद व्यास का मानना है कि इंटरनेट विकास का पर्याय है। लाइब्रेरी बीते जमाने की बात हो गई। अब तो कंप्यूटर क्रांति ने जीवन का अंदाज ही बदल दिया है। ऐसे में लोगों का रुझान इंटरनेट की तरफ बढ़ा है।

इंटरनेट युवाओं की पसंद

बैंक कर्मचारी चंद्रमोहन सिंघवी बताते हैं कि युवाओं की पसंद इंटरनेट है। अब तो मोबाइल भी एक से बढ़कर एक आ गए हैं। इन मोबाइल पर इंटरनेट सहित कई तरह की सुविधा उपलब्ध है, फिर युवा लाइब्रेरी में जाकर क्यों समय बर्बाद करना चाहेंगे।

अब तो इंटरनेट का ही जमाना

पत्रकार संजय पुरोहित का कहना है कि अब तो इंटरनेट का ही जमाना है। लाइब्रेरी जाने की बजाय इंटरनेट खंगालें तो हर तरह की जानकारी मौजूद है। इंटरनेट ने हमारे जीवन की दिशा ही बदल दी है।

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