-एक अनुमान के अनुसार देश में 45 प्रतिशत लोगों को पानी आसानी से उपलब्ध नहीं है, 30 प्रतिशत लोग अशद्ध पानी पीने को मजबूर है, 15 प्रतिशत लोग सामान्य पानी पीते हैं और 10 प्रतिशत लोग आरओ वॉटर पीते हैं, इन आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे आम पब्लिक को आरओ वॉटर तो दूर पानी भी आसानी से नहीं मिलता.....
-डी.के. पुरोहित-
आजादी के 65 साल बाद भी देश के लोग शुद्ध पानी पीने से वंचित है। पैसे वाले लोग आरओ वॉटर पी रहे हैं, जबकि आम आदमी को आरओ वॉटर तो दूर पानी भी आसानी से नसीब नहीं होता। एक अनुमान के अनुसार देश में 45 प्रतिशत लोगों को पानी आसानी से उपलब्ध नहीं है। 30 प्रतिशत लोग अशुद्ध पानी पीने को मजबूर हैं। 15 प्रतिशत लोग सामान्य पानी पीते हैं और 10 प्रतिशत लोग आरओ वॉटर पीते हैं। हमारे देश की 85 प्रतिशत आबादी गांवों में बसती है। गांवों में आम पब्लिक को पीने का पानी भी आसानी से नसीब नहीं होता। जो पानी मिल रहा है वह भी प्रदूषित है।
देश में आजादी के बाद विकास के दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि हमारे नेता जनता को शुद्ध पानी तक उपलब्ध नहीं करवा पाए हैं। देश के सरकारी अस्पतालों तक का पानी पीने योग्य नहीं है। स्कूलों में बच्चों को दूषित पानी पीना पड़ता है। बचपन से ही यदि प्रदूषित पानी पीते आ रहे हों बच्चे तो उनके अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना ही कैसे की जा सकती है। गांवों में तालाबों, कुओं, बावड़ियों का पानी पीकर लोग गुजारा करते हैं। नहर का पानी आने के बाद कई प्रदेशों में जनता को राहत मिली है, लेकिन ऐसे गांव व शहर चुनिंदा ही है। आम आदमी को तो दूषित पानी ही पीना पड़ता है। अब सवाल यह है कि पैसे वाले लोग आरओ का वॉटर पीते हैं तो आम पब्लिक को भी ऐसा पानी क्यों नहीं मिलता है।
सबको मिले आरओ वोटर
हिन्दुस्तान का वास्तविक विकास तभी होगा जब आम आदमी को भी आरओ वॉटर मिले। देश की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ बंद हो और उन्हें पीने को शुद्ध पानी मिले। लेकिन यहां आम आदमी तो क्या सरकारी अस्पतालों तक में आरओ वॉटर नहीं मिलता। इन अस्पतालों में लोग चंदे और दान के पैसों से बनी प्याउ का पानी पी रहे हैं। इससे बीमारियां ठीक होने की बजाय लोग और अधिक बीमार पड़ जाते हैं। अगर हमारे भाग्य विधाता और हमारे सत्ता के कर्णधार देश की जनता को शुद्ध पानी ही नहीं पिला सकते तो उनका नेतृत्व सफल नहीं कहा जा सकता।
पानी महंगा कर दें, मगर हो शुद्ध पानी
एक बहस इस दिशा में हो रही है कि देश की जनता को शुद्ध पानी पीने को मिले। पानी का बिल प्रतिमाह सौ रुपए के करीब आता है, अगर इसकी कीमत 250 रुपए तक कर दी जाए तो भी लोग खुशी से बिल भरेंगे, मगर शर्त यह है कि वह आरओ वॉटर हो। सरकारों को सोचना होगा कि पानी की कीमत बढ़ाकर भी शुद्ध पानी जनता तक पहुंचे। इस धरती पर पानी की मात्रा सीमित है। ऐसे में इसका सदुपयोग हो और लोगों को जो पानी मिले, उसकी क्वालिटी भी शुद्ध हो। ऐसा किया जा सकता है कि नहाने, कपड़े धोने और निर्माण कार्यों आदि के लिए अलग से पानी सप्लाई किया जाए और पीने के लिए शुद्ध पानी वितरित किया जाए। अभी तो यह कल्पना लगती है, लेकिन जिस दिन ऐसा हुआ तभी देश का असली विकास कहा जाएगा।
सरकारी स्कूलों व अस्पतालों में शुद्ध पानी मिले
देश की जनता को तुरंत शुद्ध पानी मिले, यह अगर एकदम संभव न हो तो कम से कम स्कूलों व अस्पतालों में तो शुद्ध पानी सप्लाई किया ही जा सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से 60 फीसदी स्कूलों में बच्चे अशुद्ध पानी पीने को मजबूर है। सरकारी अस्पतालों में भी पानी पीने योग्य नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता व शिक्षाविद जगदीश कुमार पुरोहित का कहना है कि सरकारों की सफलता तभी कही जाएगी जब स्कूलों व अस्पतालों में शुद्ध पानी मिले।
स्वच्छ पानी मिलेगा तभी लोग स्वस्थ रहेंगे
हमारे देश में आयु प्रत्याशा विकसित देशों की तुलना में काफी कम है। इसका मोटे तौर पर कारण अशुद्ध पानी भी एक कारण है। अगर हमारे नेता देश की जनता को शुद्ध पानी उपलब्ध करवा दे तो आयु प्रत्याशा बढ़ सकती है। बचपन से ही अशुद्ध पानी पीने से कई तरह की बीमारियां घेर लेती है और इसका असर हमारी जीवन क्षमता पर भी पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि सबको स्वच्छ पानी मिले, ताकि स्वस्थ रहा जा सके।
बिन पानी सब सुन
एक तरफ सबको आरओ वॉटर की बहस चल रही है, दूसरी ओर लोगों को पानी ही नसीब नहीं हो रहा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश की जनता को पानी उपलब्ध करवाया जाए या आरओ वॉटर। सरकारों की प्राथमिकता यह रहती है कि पहले गांव के लोगों को पानी मिले। लेकिन यह पानी शुद्ध हो यह जरूरी नहीं। ऐसे में ग्रामीणों के अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना कैसे की जा सकती है। देष की पश्चिमी सीमा पर बसे मरुस्थलीय जिलों की बात करें तो यहां बाॅर्डर पर बसे गांवों को पीने का पानी ही नसीब नहीं है। पानी के लिए रोज अभियान चलाना पड़ता है। पैदल चलकर महिलाओं को पांच-दस किलोमीटर दूर से पानी ढोना पड़ता है। गांवों के तालाब और कुएं कब तक लोगों की प्यास बुझाएंगे? ऐसे में आरओ वॉटर की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती।
शुद्ध पानी मिलेगा तभी लोकतंत्र सफल होगा
हमारे देश के लोगों को शुद्ध पानी मिलेगा, तभी सही मायने में लोकतंत्र सफल होगा। अभी हम विकास के कितने ही दावें कर लें। परमाणु संपन्न हो जाए। चांद पर पहुंच जाएं। लेकिन जब तक जनता को शुद्ध पानी उपलब्ध नहीं करवा सकते, विकास के सब दावे खोखले होंगे। सबसे पहले देश की जनता को शुद्ध पानी दिया जाए।
-डी.के. पुरोहित-
आजादी के 65 साल बाद भी देश के लोग शुद्ध पानी पीने से वंचित है। पैसे वाले लोग आरओ वॉटर पी रहे हैं, जबकि आम आदमी को आरओ वॉटर तो दूर पानी भी आसानी से नसीब नहीं होता। एक अनुमान के अनुसार देश में 45 प्रतिशत लोगों को पानी आसानी से उपलब्ध नहीं है। 30 प्रतिशत लोग अशुद्ध पानी पीने को मजबूर हैं। 15 प्रतिशत लोग सामान्य पानी पीते हैं और 10 प्रतिशत लोग आरओ वॉटर पीते हैं। हमारे देश की 85 प्रतिशत आबादी गांवों में बसती है। गांवों में आम पब्लिक को पीने का पानी भी आसानी से नसीब नहीं होता। जो पानी मिल रहा है वह भी प्रदूषित है।
देश में आजादी के बाद विकास के दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि हमारे नेता जनता को शुद्ध पानी तक उपलब्ध नहीं करवा पाए हैं। देश के सरकारी अस्पतालों तक का पानी पीने योग्य नहीं है। स्कूलों में बच्चों को दूषित पानी पीना पड़ता है। बचपन से ही यदि प्रदूषित पानी पीते आ रहे हों बच्चे तो उनके अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना ही कैसे की जा सकती है। गांवों में तालाबों, कुओं, बावड़ियों का पानी पीकर लोग गुजारा करते हैं। नहर का पानी आने के बाद कई प्रदेशों में जनता को राहत मिली है, लेकिन ऐसे गांव व शहर चुनिंदा ही है। आम आदमी को तो दूषित पानी ही पीना पड़ता है। अब सवाल यह है कि पैसे वाले लोग आरओ का वॉटर पीते हैं तो आम पब्लिक को भी ऐसा पानी क्यों नहीं मिलता है।
सबको मिले आरओ वोटर
हिन्दुस्तान का वास्तविक विकास तभी होगा जब आम आदमी को भी आरओ वॉटर मिले। देश की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ बंद हो और उन्हें पीने को शुद्ध पानी मिले। लेकिन यहां आम आदमी तो क्या सरकारी अस्पतालों तक में आरओ वॉटर नहीं मिलता। इन अस्पतालों में लोग चंदे और दान के पैसों से बनी प्याउ का पानी पी रहे हैं। इससे बीमारियां ठीक होने की बजाय लोग और अधिक बीमार पड़ जाते हैं। अगर हमारे भाग्य विधाता और हमारे सत्ता के कर्णधार देश की जनता को शुद्ध पानी ही नहीं पिला सकते तो उनका नेतृत्व सफल नहीं कहा जा सकता।
पानी महंगा कर दें, मगर हो शुद्ध पानी
एक बहस इस दिशा में हो रही है कि देश की जनता को शुद्ध पानी पीने को मिले। पानी का बिल प्रतिमाह सौ रुपए के करीब आता है, अगर इसकी कीमत 250 रुपए तक कर दी जाए तो भी लोग खुशी से बिल भरेंगे, मगर शर्त यह है कि वह आरओ वॉटर हो। सरकारों को सोचना होगा कि पानी की कीमत बढ़ाकर भी शुद्ध पानी जनता तक पहुंचे। इस धरती पर पानी की मात्रा सीमित है। ऐसे में इसका सदुपयोग हो और लोगों को जो पानी मिले, उसकी क्वालिटी भी शुद्ध हो। ऐसा किया जा सकता है कि नहाने, कपड़े धोने और निर्माण कार्यों आदि के लिए अलग से पानी सप्लाई किया जाए और पीने के लिए शुद्ध पानी वितरित किया जाए। अभी तो यह कल्पना लगती है, लेकिन जिस दिन ऐसा हुआ तभी देश का असली विकास कहा जाएगा।
सरकारी स्कूलों व अस्पतालों में शुद्ध पानी मिले
देश की जनता को तुरंत शुद्ध पानी मिले, यह अगर एकदम संभव न हो तो कम से कम स्कूलों व अस्पतालों में तो शुद्ध पानी सप्लाई किया ही जा सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से 60 फीसदी स्कूलों में बच्चे अशुद्ध पानी पीने को मजबूर है। सरकारी अस्पतालों में भी पानी पीने योग्य नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता व शिक्षाविद जगदीश कुमार पुरोहित का कहना है कि सरकारों की सफलता तभी कही जाएगी जब स्कूलों व अस्पतालों में शुद्ध पानी मिले।
स्वच्छ पानी मिलेगा तभी लोग स्वस्थ रहेंगे
हमारे देश में आयु प्रत्याशा विकसित देशों की तुलना में काफी कम है। इसका मोटे तौर पर कारण अशुद्ध पानी भी एक कारण है। अगर हमारे नेता देश की जनता को शुद्ध पानी उपलब्ध करवा दे तो आयु प्रत्याशा बढ़ सकती है। बचपन से ही अशुद्ध पानी पीने से कई तरह की बीमारियां घेर लेती है और इसका असर हमारी जीवन क्षमता पर भी पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि सबको स्वच्छ पानी मिले, ताकि स्वस्थ रहा जा सके।
बिन पानी सब सुन
एक तरफ सबको आरओ वॉटर की बहस चल रही है, दूसरी ओर लोगों को पानी ही नसीब नहीं हो रहा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश की जनता को पानी उपलब्ध करवाया जाए या आरओ वॉटर। सरकारों की प्राथमिकता यह रहती है कि पहले गांव के लोगों को पानी मिले। लेकिन यह पानी शुद्ध हो यह जरूरी नहीं। ऐसे में ग्रामीणों के अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना कैसे की जा सकती है। देष की पश्चिमी सीमा पर बसे मरुस्थलीय जिलों की बात करें तो यहां बाॅर्डर पर बसे गांवों को पीने का पानी ही नसीब नहीं है। पानी के लिए रोज अभियान चलाना पड़ता है। पैदल चलकर महिलाओं को पांच-दस किलोमीटर दूर से पानी ढोना पड़ता है। गांवों के तालाब और कुएं कब तक लोगों की प्यास बुझाएंगे? ऐसे में आरओ वॉटर की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती।
शुद्ध पानी मिलेगा तभी लोकतंत्र सफल होगा
हमारे देश के लोगों को शुद्ध पानी मिलेगा, तभी सही मायने में लोकतंत्र सफल होगा। अभी हम विकास के कितने ही दावें कर लें। परमाणु संपन्न हो जाए। चांद पर पहुंच जाएं। लेकिन जब तक जनता को शुद्ध पानी उपलब्ध नहीं करवा सकते, विकास के सब दावे खोखले होंगे। सबसे पहले देश की जनता को शुद्ध पानी दिया जाए।
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