Sunday, 15 December 2013

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बीमारियों का घर है घरों पर लगे टॉवर


-जोधपुर, जैसलमेर व बाड़मेर में लोगों के घरों व काॅलोनियों में लगे हैं मोबाइल टॉवर । इन टॉवर  से निकलने वाले घातक विकिरणों से कैंसर सहित कई बीमारियां हो सकती है, हाईकोर्ट ने हटाने के आदेश दिए हैं, लेकिन बावजूद टॉवर  हटाने में कंपनियां रुचि नहीं दिखा रही...

-डी.के. पुरोहित-

जोधपुर.जैसलमेर.बाड़मेर। पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर, जैसलमेर व बाड़मेर जिलों में मोबाइल कंपनियों के टॉवर  लोगों के घरों व आवासीय काॅलोनियों में लगे हुए हैं। पैसों के लालच में आकर लोग टाॅवर तो लगा रहे हैं, लेकिन ये टॉवर  बीमारियों को आमंत्रण दे रहे हैं।

जोधपुर में तो हाईकोर्ट ने इन टॉवरों को हटाने के आदेश भी दिए थे, लेकिन मोबाइल कंपनियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अभी तक काॅलोनियों व घरों पर टॉवर लगे हुए हैं। लोग भी आर्थिक लाभ को देखते हुए इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

कैंसर व अन्य बीमारियां हो सकती है

विशेषज्ञों का मानना है कि इन टॉवर से निकलने वाले विकिरणों से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे कैंसर रोग भी हो सकता है। यही नहीं इन विकिरणों के प्रभाव से लोग नपुंषक भी हो सकते हैं। इनसे नाजुक अंगों पर विपरीत असर पड़ सकता है। यही नहीं एलर्जी होना आम बात है। लोग आर्थिक लाभ को देखते हुए इसके हानिकारक प्रभाव की अनदेखी कर रहे हैं, लेकिन इसका दूरगामी असर स्वास्थ्य पर घातक हो सकता है।

नियमों की भी अनदेखी हो रही है

मोबाइल कंपनियां नियमों की अनदेखी कर रही हैं । नियमानुसार आबादी वाली काॅलोनियों व घरों पर टॉवर नहीं लगाए जा सकते हैं। लेकिन न तो मोबाइल कंपनियां इन नियमों को फाॅलो कर रही हैं, न ही लोग ध्यान दे रहे हैं। इसके चलते आबादी वाली काॅलोनियों व घरों पर टॉवर बिना रोक-टोक लग रहे हैं। काॅलोनी में बसने वाले दूसरे लोग भी इन टाॅवरों के लगने का विरोध नहीं करते हैं, जिससे मोबाइल कंपनियां फायदा उठा रही है।

सौ से अधिक टॉवर आबादी क्षेत्रों में लगे हैं

जोधपुर, जैसलमेर व बाड़मेर की स्थिति पर गौर करें तो सौ से अधिक टॉवर आबादी क्षेत्र में लगे हुए हैं। हाईकोर्ट ने इन टॉवरों को हटाने के आदेश दिए थे, लेकिन कुछ टॉवर हटाए गए, बाकी टॉवर अभी तक लगे हुए हैं। इन टॉवरों को हटाने में न तो लोग रुचि दिखा रहे हैं, न ही मोबाइल कंपनियां ही ध्यान दे रही।

कुछ लोगों के स्वार्थ का दूसरे लोग उठा रहे नुकसान

जोधपुर, जैसलमेर व बाड़मेर में जगह-जगह टॉवर लगे हुए हैं। कुछ लोगों के स्वार्थ का असर दूसरे लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए अन्य लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। लोगों को अभी पूरी तरह इन विकिरणों के हानिकारक प्रभावों की जानकारी भी नहीं है, यही वजह है कि टॉवर लगने का विरोध नहीं होता।

क्या कहते हैं लोग:---

प्रशासन कार्रवाई करे

डाॅ. दीनदयाल ओझा का कहना है कि प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और इन टाॅवरों को हटाना चाहिए। ये टॉवर लोगों के स्वास्थ्य की दृष्टि से घातक है। अतः तुरंत ही आदेष जारी कर इन टाॅवरों को हटाना चाहिए।

टॉवर भविष्य में न लगने दें

डाॅ. जेके पुरोहित का कहना है कि भविष्य में टॉवर आबादी क्षेत्रों व लोगों के घरों पर न लगे, इसके लिए प्रशासन को कड़ा रुख अपनाना चाहिए। इस ओर ध्यान नहीं देने का नतीजा है कि आबादी क्षेत्रों में निरंतर टॉवर लग रहे हैं।

लोगों में जागरूकता जरूरी

सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश कुमार ने बताया कि इन टॉवरों को हटाने के लिए प्रशासन की सख्ती के साथ ही लोगों में जागरूकता जरुरी है। लोग जागरूक होंगे तो इस प्रकार के टॉवर नहीं लगाए जा सकेंगे।
थोड़े से लाभ के लिए स्वास्थ्य की अनदेखी बंद हो

मेडिकल व्यवसायी सुरेश वासु ने बताया कि स्वास्थ्य की दृष्टि से ये टॉवर लोगों के लिए घातक हैं। थोड़े से लाभ के लिए स्वास्थ्य से खिलवाड़ बंद होनी चाहिए। अगर लोग यह सोच लें कि काॅलोनियों में मोबाइल टॉवर नहीं लगने देंगे तो मोबाइल कंपनियां लाख कोशिश करके भी टॉवर नहीं लगा पाएगी।

जनचेतना से ही लग पाएगी रोग

एडवोकेट मुकुंद व्यास ने बताया कि टॉवर लगना तभी बंद होगा जब लोगों में चेतना आए। जनचेतना से ही इस दिशा में कार्रवाई हो सकती है। लोग ये सोच ले कि बीमारियों के घर इप टॉवरों को घरों पर नहीं लगने देंगे तो मोबाइल कंपनियां चाहकर भी कुछ नहीं कर पाएंगी।

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