-प्रदेश में वीसी का चलन बढ़ा। यह एक प्रकार की लॉटरी ही है। इसके माध्यम से खेलने वाले भाग्य से लखपति बनने का सपना देख रहे हैं। महिलाएं भी अपना क्लब चलाती हैं। टैक्सी चालक, ऑटो चालक और ठेले-मजदूर भी इसमें शामिल। सबका ख्वाब वीसी के माध्यम से अधिक से अधिक पैसा कमाना....
-डी.के. पुरोहित-
जोधपुर। राजेश ऑटो चलाता है। उसने वीसी के लिए 500 रुपए जमा करवाए। भाग्य ने साथ दिया और उसके लॉटरी निकली। उसे 4 लाख रुपए इनाम में मिले।....यह एक राजेश की बात नहीं है। ऐसे कई राजेश प्रदेश भर में वीसी के माध्यम से रातोंरात अमीर बनने के ख्वाब देखते हैं। वीसी का चलन दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है।
वीसी में कई क्लब शामिल हो रहे हैं। कुछ लोग मिलकर क्लब बना लेते हैं। फिर तय होता है राशि जुटाने का काम। मान लीजिए एक क्लब में 1000 लोग है और एक बार में 500 रुपए जमा कराने हैं। 5 लाख रुपए एकत्रित हो जाते हैं। फिर वीसी संचालित करने वाला अपना कमीशन काटकर शेष राशि जिसके नाम पर्ची निकलती है, उसे दे देता है। ऐसे में जिसके वीसी निकलती है, वह एक ही रात में लखपति बन जाता है। वीसी के चक्कर में कई लोग कर्जदार हो रहे हैं। आपस में झगड़े भी बढ़ रहे हैं। मगर पुलिस इस ओर ध्यान नहीं देती। आमतौर पर जुआ खेलने वालों के खिलाफ पुलिस अभियान चलाती है, मगर वीसी पर रोक लगाने के लिए कदम नहीं उठाती।
एक प्रकार का जुआ ही है
वीसी भी एक प्रकार का जुआ ही है। इस का प्रचलन बढ़ रहा है। प्रदेश में बाकायदा गिरोह बन गए हैं। इस गिरोह में टैक्सी चालक, सिटी बस चालक, फैक्ट्री मजदूर से लेकर मध्यम वर्ग के सर्विस करने वाले लोग शामिल हो रहे हैं। इसके पीछे लोगों का यह मानना होता है कि पांच सौ रुपए तो आसानी से जुटाए जा सकते हैं, लेकिन यदि लॉटरी निकली तो सीधे लाखों रुपए मिल जाते हैं।
कुछ न कुछ मिलना तय
वीसी लोग कई तरह से खेलते हैं। कुछ गिरोह ऐसे भी हैं जो वीसी में अनिवार्य इनाम रखते हैं। मान लीजिए एक गिरोह वीसी खेलने वालों से 1000 रुपए जमा करते हैं और उसके पास 1000 लोगों से दस लाख रुपए जमा हो जाते हैं। फिर वे मोटरसाइकिल, टेलीविजन, कंप्यूटर...आदि बड़े इनाम तो लॉटरी से निकाल लेते हैं और शेष छोटे इनाम अनिवार्य रूप से वीसी सदस्यों को बांट देते हैं। इन इनामों को बांटने के बाद भी वीसी चलाने वाले खासे रुपए बचा लेते हैं। इस तरह की प्रवृत्ति प्रदेश में बढ़ रही है।
जोधपुर में घर-घर में वीसी का प्रचलन
कुछ लोगों का मानना है कि वीसी जुआ नहीं है। उनका कहना है वीसी से लोगों की खासी मदद हो जाती है। इसे अलग-अलग तरह से खेला जाता है। कुछ लोग मासिक किस्तें जमा करवाते हैं और लगता है कि कोई अधिक जरूरतमंद है तो उसे बिना लॉटरी ही वीसी की राशि दे दी जाती है, जिसे वह निर्धारित मासिक किस्तों में चुकाता है।
...तो क्या वीसी वाजिब है?
नहीं। ऐसा हमेशा नहीं है। विशेषज्ञ बताते हैं कि लोगों में इसका चश्का लग रहा है। लॉटरी खेलने से जिस तरह लोग पहले बर्बाद हुआ करते थे, उसी तरह अब वीसी से लोग बर्बाद हो रहे हैं। कम समय में अधिक कमाना लोगों ने धंधा बना लिया है। शहरों में कई क्लब बन चुके हैं। इन क्लबों ने इसे कारोबार में तब्दील कर दिया है। दूसरी ओर छोटी आय वाले लालच में फंस कर अपने पैसे गंवा रहे हैं।
आपस में झगड़े भी होते हैं
कई बार वीसी के लिए झगड़े भी होते हैं। इसमें चीटिंग का खतरा रहता है। ऐसे में लोग झगड़ा तक करने पर उतारु हो जाते हैं। वीसी के चक्कर में लोग अपनी पूंजी भी लुटा रहे हैं।
महिलाएं भी शामिल
पॉश कॉलोनियों में महिलाएं भी इस धंधे में शामिल हो गई हैं। अकेले जोधपुर की ही बात करें तो सरदारपुरा, शास्त्री नगर, हाउसिंग बोर्ड सहित विभिन्न इलाकों में महिलाएं वीसी खेलती है। शहर के भीतरी भाग भी इससे अछूते नहीं है।
पुलिस कार्रवाई नहीं करती
इस तरह वीसी का धंधा शहर में संगठित गिरोह चला रहे हैं। पुलिस को भी इसकी जानकारी है, मगर कोई कार्रवाई नहीं होती। पुलिस को चाहिए कि वीसी संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करे, लेकिन वह भी कोई कदम नहीं उठाती। ऐसे में जोधपुर के साथ ही प्रदेश भर में यह परंपरा फैशन बन गई है। कम समय में अधिक कमाने का लोभ वीसी को बढ़ावा दे रहा है।
-डी.के. पुरोहित-
जोधपुर। राजेश ऑटो चलाता है। उसने वीसी के लिए 500 रुपए जमा करवाए। भाग्य ने साथ दिया और उसके लॉटरी निकली। उसे 4 लाख रुपए इनाम में मिले।....यह एक राजेश की बात नहीं है। ऐसे कई राजेश प्रदेश भर में वीसी के माध्यम से रातोंरात अमीर बनने के ख्वाब देखते हैं। वीसी का चलन दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है।
वीसी में कई क्लब शामिल हो रहे हैं। कुछ लोग मिलकर क्लब बना लेते हैं। फिर तय होता है राशि जुटाने का काम। मान लीजिए एक क्लब में 1000 लोग है और एक बार में 500 रुपए जमा कराने हैं। 5 लाख रुपए एकत्रित हो जाते हैं। फिर वीसी संचालित करने वाला अपना कमीशन काटकर शेष राशि जिसके नाम पर्ची निकलती है, उसे दे देता है। ऐसे में जिसके वीसी निकलती है, वह एक ही रात में लखपति बन जाता है। वीसी के चक्कर में कई लोग कर्जदार हो रहे हैं। आपस में झगड़े भी बढ़ रहे हैं। मगर पुलिस इस ओर ध्यान नहीं देती। आमतौर पर जुआ खेलने वालों के खिलाफ पुलिस अभियान चलाती है, मगर वीसी पर रोक लगाने के लिए कदम नहीं उठाती।
एक प्रकार का जुआ ही है
वीसी भी एक प्रकार का जुआ ही है। इस का प्रचलन बढ़ रहा है। प्रदेश में बाकायदा गिरोह बन गए हैं। इस गिरोह में टैक्सी चालक, सिटी बस चालक, फैक्ट्री मजदूर से लेकर मध्यम वर्ग के सर्विस करने वाले लोग शामिल हो रहे हैं। इसके पीछे लोगों का यह मानना होता है कि पांच सौ रुपए तो आसानी से जुटाए जा सकते हैं, लेकिन यदि लॉटरी निकली तो सीधे लाखों रुपए मिल जाते हैं।
कुछ न कुछ मिलना तय
वीसी लोग कई तरह से खेलते हैं। कुछ गिरोह ऐसे भी हैं जो वीसी में अनिवार्य इनाम रखते हैं। मान लीजिए एक गिरोह वीसी खेलने वालों से 1000 रुपए जमा करते हैं और उसके पास 1000 लोगों से दस लाख रुपए जमा हो जाते हैं। फिर वे मोटरसाइकिल, टेलीविजन, कंप्यूटर...आदि बड़े इनाम तो लॉटरी से निकाल लेते हैं और शेष छोटे इनाम अनिवार्य रूप से वीसी सदस्यों को बांट देते हैं। इन इनामों को बांटने के बाद भी वीसी चलाने वाले खासे रुपए बचा लेते हैं। इस तरह की प्रवृत्ति प्रदेश में बढ़ रही है।
जोधपुर में घर-घर में वीसी का प्रचलन
कुछ लोगों का मानना है कि वीसी जुआ नहीं है। उनका कहना है वीसी से लोगों की खासी मदद हो जाती है। इसे अलग-अलग तरह से खेला जाता है। कुछ लोग मासिक किस्तें जमा करवाते हैं और लगता है कि कोई अधिक जरूरतमंद है तो उसे बिना लॉटरी ही वीसी की राशि दे दी जाती है, जिसे वह निर्धारित मासिक किस्तों में चुकाता है।
...तो क्या वीसी वाजिब है?
नहीं। ऐसा हमेशा नहीं है। विशेषज्ञ बताते हैं कि लोगों में इसका चश्का लग रहा है। लॉटरी खेलने से जिस तरह लोग पहले बर्बाद हुआ करते थे, उसी तरह अब वीसी से लोग बर्बाद हो रहे हैं। कम समय में अधिक कमाना लोगों ने धंधा बना लिया है। शहरों में कई क्लब बन चुके हैं। इन क्लबों ने इसे कारोबार में तब्दील कर दिया है। दूसरी ओर छोटी आय वाले लालच में फंस कर अपने पैसे गंवा रहे हैं।
आपस में झगड़े भी होते हैं
कई बार वीसी के लिए झगड़े भी होते हैं। इसमें चीटिंग का खतरा रहता है। ऐसे में लोग झगड़ा तक करने पर उतारु हो जाते हैं। वीसी के चक्कर में लोग अपनी पूंजी भी लुटा रहे हैं।
महिलाएं भी शामिल
पॉश कॉलोनियों में महिलाएं भी इस धंधे में शामिल हो गई हैं। अकेले जोधपुर की ही बात करें तो सरदारपुरा, शास्त्री नगर, हाउसिंग बोर्ड सहित विभिन्न इलाकों में महिलाएं वीसी खेलती है। शहर के भीतरी भाग भी इससे अछूते नहीं है।
पुलिस कार्रवाई नहीं करती
इस तरह वीसी का धंधा शहर में संगठित गिरोह चला रहे हैं। पुलिस को भी इसकी जानकारी है, मगर कोई कार्रवाई नहीं होती। पुलिस को चाहिए कि वीसी संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करे, लेकिन वह भी कोई कदम नहीं उठाती। ऐसे में जोधपुर के साथ ही प्रदेश भर में यह परंपरा फैशन बन गई है। कम समय में अधिक कमाने का लोभ वीसी को बढ़ावा दे रहा है।
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