-प्रदेश की कला-संस्कृति व ऐतिहासिक संपदा व हेरिटेज को बचाने और संरक्षण की ‘इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज’ (इंटैक) पर भारी जिम्मेदारी है। प्रदेश में विरासत व पुरा संपदा तार-तार हो रही है। सरकारी संरक्षण नहीं मिलने से उसकी निरंतर उपेक्षा हो रही है, इंटैक ने इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर विरासत का संरक्षण किया है, आगे भी इंटैक से बड़ी अपेक्षा है...
-डी.के. पुरोहित-
जोधपुर. प्रदेश के विभिन्न जिलों में प्राचीन ऐतिहासिक हवेलियां, किले, छतरियां व स्थापत्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण इमारतें जर्जर हो रही है। इनकी सार-संभाल नहीं हो रही है। यही नहीं प्राचीन तालाब, झालरे व पुरा संपदा का क्षरण हो रहा है। पर्यटन की दृष्टि से यह संपदा काफी महत्वपूर्ण है और इसके संरक्षण की आवश्यकता है। ऐसे में पिछले दो दशक में इंटैक ने महत्वपूर्ण कार्य कर स्थापत्य और कला को बचाने की दिशा में अच्छी पहल की है। हालांकि इंटैक की राशि का पूरी तरह सदुपयोग नहीं हो पाया है, लेकिन फिर भी इस दिशा में अच्छी पहल की गई है और प्राचीन धरोहर की सार-संभाल हो पाई है।
हजारों साल पुरानी संपदा प्रदेश में यत्र-तत्र बिखरी हुई है। प्रदेश के गांव-ढाणियों से लेकर शहर के गली-चैबारों में कला का दिग्दर्शन हो जाता है। यह विरासत हमारे पूर्वजों की है। इसे सार-संभालने की जिम्मेदारी हमारी है। लेकिन इसकी हम कद्र नहीं कर रहे। यही वजह है कि पुरानी संपदा लुप्त होती जा रही है। प्राचीन परकोटों पर अतिक्रमण हो गए हैं। यही नहीं रियासत काल से चले आ रहे परकोटे अब कहीं नजर ही नहीं आ रहे। राजाओं के समय में पूरा शहर परकोटे के भीतर सुरक्षित रहता था। आजादी के बाद रियासतों का विलय हो गया। धीरे-धीरे आबादी बढ़ने लगी और परकोटे तोड़कर लोगों ने अतिक्रमण कर लिए। हालत यह है कि कई शहरों में परकोटे दिखाई नहीं दे रहे या फिर निशान ही बाकी है। भक्त शिरोमणि मीरांबाई से संबंधित धरोहर भी उपेक्षा की शिकार है। लबोलुआब यह है कि प्रदेश में सांस्कृतिक, कला व स्थापत्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण धरोहर को बचाने की जरूरत है। इस संबंध में पिछले दिनों जोधपुर की होटल चंद्रा इन में दो दिवसीय सेमिनार आयोजित हुआ। इंटैक के इस सम्मेलन में हेरिटेल को बचाने की दिशा में व्यापक चर्चा हुई। साथ ही कई प्रस्ताव भी पास किए गए। इस सेमिनार में यह बात उभर कर सामने आई कि प्राचीन धरोहर और विरासत को बचाने की जिम्मेदारी इंटैक पर है। लोगों की अपेक्षा भी इंटैक से है।
लुप्त हो रही हेरिटेज संपदा सूचीबद्ध हो
इस सेमिनार में पूर्व नरेश गजसिंह ने कहा कि प्रदेश की लुप्त हो रही हेरिटेज संपदा को सूचीबद्ध करना होगा। संपदा कोने-कोने में बिखरी हुई है। इसकी उपेक्षा होने से यह संपदा का क्षरण हो रहा है। इन किलों, हवेलियों, छतरियों और महत्वपूर्ण इमारतों तथा मंदिरों के पत्थर झूल रहे हैं। छतरियां ध्वस्त हो रही है। गुंबज तार-तार हो रहे हैं। कई संपदा तो ऐसी है कि उनके बारे में लोगों को मालूमात भी नहीं है। ऐसे में पुरा संपदा को सूचीबद्ध करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हेरिटेज इंटैक की आत्मा है। इंटैक इस दिशा में अपने प्रयास जारी रखेगा। सरकारी स्तर पर भी संरक्षण के लिए इन धरोहरों का सूचीबद्ध होना जरूरी है।
लोंगटर्म टूरिज्म के लिए विरासत का संरक्षण जरूरी
इंटैक के राष्ट्रीय संयोजक मेजर जनरल एलके गुप्ता ने इस सेमिनार में कहा कि लोंगटर्म टूरिज्म के लिए विरासत का संरक्षण जरूरी है। प्रदेश में बिखरी हुई धरोहर को सहेजने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जैसलमेर और जोधपुर में प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक आते हैं। अगर हमें लोंगटर्म टूरिज्म बचाना है तो प्राचीन धरोहर का संरक्षण करना ही होगा। जैसलमेर व जोधपुर के गांव-ढाणियों में कला बिखरी हुई है। इनका डाॅक्यूमेंटशन कर संरक्षण करना होगा।
आज नहीं जागे तो कहीं देर न हो जाए
इंटैक के डिविजनल निदेशक कर्नल एमपीएस भाटिया ने कहा कि आज नहीं जागे तो कहीं देर न हो जाए। हमारे आस-पास जितनी भी संपदा बिखरी हुई है, उसकी लिस्ट बनानी होगी और एक-एक कर उसका संरक्षण व जीर्णोद्धार करना होगा। इसके लिए विभिन्न एनजीओ की मदद ली जा सकती है। अगर सरकार का सहयोग मिले तो अच्छी बात है और अगर नहीं मिलता है तो हमें एनजीओ के माध्यम से यह बीड़ा उठाना होगा।
युवा पीढ़ी पर भारी जिम्मेदारी
राज्य के सह संयोजक रणवीर सिंह, धर्मेन्द्र कंवर व जोधपुर चैप्टर के संयोजक डाॅ. महेंद्रसिंह नगर ने भी संपदा के संरक्षण की बात कही। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी पर जिम्मेदारी अधिक है। युवाओं को अपने पूर्वजों की विरासत को बचाने के प्रति जागरूक होना होगा। युवा अगर विरासत के प्रति जागरूक होंगे तो इस दिशा में अच्छा कार्य हो सकता है। हमारे हेरिटेज भवनों, नजूल संपत्तियों, जलाशयों व पार्कों को बचाना जरूरी है। इसलिए इंटैक से युवाओं को अधिक से अधिक जोड़ा जाएगा और उनके विजन का उपयोग लिया जाएगा।
बाॅयलाज नहीं बनने से दिक्कत आती है
इस मौके पर इंटैक के जोधपुर चैप्टर संयोजक डाॅ. महेंद्रसिंह नगर ने कहा कि स्थानीय स्तर पर हेरिटेज संरक्षण के लिए कोई बाॅयलाज नहीं होने की वजह से दिक्कत आती है और आगे कार्रवाई हो नहीं पाती। उन्होंने कहा कि हेरिटेज साइट्स के 50 मीटर के क्षेत्र को साइलेंस जोन घोषित किया जाना चाहिए ताकि उनको कोई नुकसान न हो सके। उन्होंने कहा कि जोधपुर के तालाब, झालरे भी हेरिटेज की श्रेणी में आते हैं, उनका सही संरक्षण करके इन धरोहरों को बचाया जा सकता है। अजमेर संयोजक महेंद्र विक्रमसिंह, कोटा संयोजक हरीसिंह पालकिया ने भी हेरिटेज संरक्षण के लिए लोगों की जागरूकता पर जोर दिया। सेमिनार में प्रो. कल्याणसिंह शेखावत, जेएम बूब, चंद्रा बूब, हिम्मतसिंह राठौड़, प्रदीप सोनी, रघुवीर सिंह भाटी, हेमंत राजसिंह, विक्रमसिंह भाटी, महेंद्रसिंह तंवर, जगतसिंह रावटी, हिमांशु बोहरा, भागीरथ वैष्णव ने भी सुझाव दिए।
-डी.के. पुरोहित-
जोधपुर. प्रदेश के विभिन्न जिलों में प्राचीन ऐतिहासिक हवेलियां, किले, छतरियां व स्थापत्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण इमारतें जर्जर हो रही है। इनकी सार-संभाल नहीं हो रही है। यही नहीं प्राचीन तालाब, झालरे व पुरा संपदा का क्षरण हो रहा है। पर्यटन की दृष्टि से यह संपदा काफी महत्वपूर्ण है और इसके संरक्षण की आवश्यकता है। ऐसे में पिछले दो दशक में इंटैक ने महत्वपूर्ण कार्य कर स्थापत्य और कला को बचाने की दिशा में अच्छी पहल की है। हालांकि इंटैक की राशि का पूरी तरह सदुपयोग नहीं हो पाया है, लेकिन फिर भी इस दिशा में अच्छी पहल की गई है और प्राचीन धरोहर की सार-संभाल हो पाई है।
हजारों साल पुरानी संपदा प्रदेश में यत्र-तत्र बिखरी हुई है। प्रदेश के गांव-ढाणियों से लेकर शहर के गली-चैबारों में कला का दिग्दर्शन हो जाता है। यह विरासत हमारे पूर्वजों की है। इसे सार-संभालने की जिम्मेदारी हमारी है। लेकिन इसकी हम कद्र नहीं कर रहे। यही वजह है कि पुरानी संपदा लुप्त होती जा रही है। प्राचीन परकोटों पर अतिक्रमण हो गए हैं। यही नहीं रियासत काल से चले आ रहे परकोटे अब कहीं नजर ही नहीं आ रहे। राजाओं के समय में पूरा शहर परकोटे के भीतर सुरक्षित रहता था। आजादी के बाद रियासतों का विलय हो गया। धीरे-धीरे आबादी बढ़ने लगी और परकोटे तोड़कर लोगों ने अतिक्रमण कर लिए। हालत यह है कि कई शहरों में परकोटे दिखाई नहीं दे रहे या फिर निशान ही बाकी है। भक्त शिरोमणि मीरांबाई से संबंधित धरोहर भी उपेक्षा की शिकार है। लबोलुआब यह है कि प्रदेश में सांस्कृतिक, कला व स्थापत्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण धरोहर को बचाने की जरूरत है। इस संबंध में पिछले दिनों जोधपुर की होटल चंद्रा इन में दो दिवसीय सेमिनार आयोजित हुआ। इंटैक के इस सम्मेलन में हेरिटेल को बचाने की दिशा में व्यापक चर्चा हुई। साथ ही कई प्रस्ताव भी पास किए गए। इस सेमिनार में यह बात उभर कर सामने आई कि प्राचीन धरोहर और विरासत को बचाने की जिम्मेदारी इंटैक पर है। लोगों की अपेक्षा भी इंटैक से है।
लुप्त हो रही हेरिटेज संपदा सूचीबद्ध हो
इस सेमिनार में पूर्व नरेश गजसिंह ने कहा कि प्रदेश की लुप्त हो रही हेरिटेज संपदा को सूचीबद्ध करना होगा। संपदा कोने-कोने में बिखरी हुई है। इसकी उपेक्षा होने से यह संपदा का क्षरण हो रहा है। इन किलों, हवेलियों, छतरियों और महत्वपूर्ण इमारतों तथा मंदिरों के पत्थर झूल रहे हैं। छतरियां ध्वस्त हो रही है। गुंबज तार-तार हो रहे हैं। कई संपदा तो ऐसी है कि उनके बारे में लोगों को मालूमात भी नहीं है। ऐसे में पुरा संपदा को सूचीबद्ध करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हेरिटेज इंटैक की आत्मा है। इंटैक इस दिशा में अपने प्रयास जारी रखेगा। सरकारी स्तर पर भी संरक्षण के लिए इन धरोहरों का सूचीबद्ध होना जरूरी है।
लोंगटर्म टूरिज्म के लिए विरासत का संरक्षण जरूरी
इंटैक के राष्ट्रीय संयोजक मेजर जनरल एलके गुप्ता ने इस सेमिनार में कहा कि लोंगटर्म टूरिज्म के लिए विरासत का संरक्षण जरूरी है। प्रदेश में बिखरी हुई धरोहर को सहेजने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जैसलमेर और जोधपुर में प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक आते हैं। अगर हमें लोंगटर्म टूरिज्म बचाना है तो प्राचीन धरोहर का संरक्षण करना ही होगा। जैसलमेर व जोधपुर के गांव-ढाणियों में कला बिखरी हुई है। इनका डाॅक्यूमेंटशन कर संरक्षण करना होगा।
आज नहीं जागे तो कहीं देर न हो जाए
इंटैक के डिविजनल निदेशक कर्नल एमपीएस भाटिया ने कहा कि आज नहीं जागे तो कहीं देर न हो जाए। हमारे आस-पास जितनी भी संपदा बिखरी हुई है, उसकी लिस्ट बनानी होगी और एक-एक कर उसका संरक्षण व जीर्णोद्धार करना होगा। इसके लिए विभिन्न एनजीओ की मदद ली जा सकती है। अगर सरकार का सहयोग मिले तो अच्छी बात है और अगर नहीं मिलता है तो हमें एनजीओ के माध्यम से यह बीड़ा उठाना होगा।
युवा पीढ़ी पर भारी जिम्मेदारी
राज्य के सह संयोजक रणवीर सिंह, धर्मेन्द्र कंवर व जोधपुर चैप्टर के संयोजक डाॅ. महेंद्रसिंह नगर ने भी संपदा के संरक्षण की बात कही। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी पर जिम्मेदारी अधिक है। युवाओं को अपने पूर्वजों की विरासत को बचाने के प्रति जागरूक होना होगा। युवा अगर विरासत के प्रति जागरूक होंगे तो इस दिशा में अच्छा कार्य हो सकता है। हमारे हेरिटेज भवनों, नजूल संपत्तियों, जलाशयों व पार्कों को बचाना जरूरी है। इसलिए इंटैक से युवाओं को अधिक से अधिक जोड़ा जाएगा और उनके विजन का उपयोग लिया जाएगा।
बाॅयलाज नहीं बनने से दिक्कत आती है
इस मौके पर इंटैक के जोधपुर चैप्टर संयोजक डाॅ. महेंद्रसिंह नगर ने कहा कि स्थानीय स्तर पर हेरिटेज संरक्षण के लिए कोई बाॅयलाज नहीं होने की वजह से दिक्कत आती है और आगे कार्रवाई हो नहीं पाती। उन्होंने कहा कि हेरिटेज साइट्स के 50 मीटर के क्षेत्र को साइलेंस जोन घोषित किया जाना चाहिए ताकि उनको कोई नुकसान न हो सके। उन्होंने कहा कि जोधपुर के तालाब, झालरे भी हेरिटेज की श्रेणी में आते हैं, उनका सही संरक्षण करके इन धरोहरों को बचाया जा सकता है। अजमेर संयोजक महेंद्र विक्रमसिंह, कोटा संयोजक हरीसिंह पालकिया ने भी हेरिटेज संरक्षण के लिए लोगों की जागरूकता पर जोर दिया। सेमिनार में प्रो. कल्याणसिंह शेखावत, जेएम बूब, चंद्रा बूब, हिम्मतसिंह राठौड़, प्रदीप सोनी, रघुवीर सिंह भाटी, हेमंत राजसिंह, विक्रमसिंह भाटी, महेंद्रसिंह तंवर, जगतसिंह रावटी, हिमांशु बोहरा, भागीरथ वैष्णव ने भी सुझाव दिए।
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