Thursday, 18 December 2014

बदलाव





कहानीः अनीता जांगिड़

बदलाव 

रिया की शादी हुई तो वो अपने ससुराल में जैसे-तैसे सैट होने की कोशिश  कर रही थी। हालांकि उसके पीहर और ससुराल में बहुत फर्क था, मगर उसने अपने व्यवहार से इस फर्क को मिटा दिया था। धीरे-धीरे उसने अपने व्यवहार से सबका दिल जीत लिया। वह अब अपने ससुराल और उनके रिश्तों को अहमियत देने लगी। पर जो दर्द दिल में था, उसे कभी अपने पति अनुज पर जाहिर नहीं होने दिया। भीतर से वह पूरी तरह टूटी हुई थी, मगर अनुज के सामने वह सहज रहने की कोशिश करती। हालांकि अनुज को इस बात का पता था कि रिया किस दौर से गुजर चुकी है। पर कभी भी अनुज ने एक हमदर्द की तरह उसे सहारा व विश्वास नहीं दिया, जिसकी उसे जरूरत थी। फिर भी रिया को अनुज से कोई शिकायत नहीं थी। 

एक दिन रिया अपने पति व सास के साथ किसी रिश्तेदार के यहां शादी समारोह में गई। वहां पर उसकी नजर अमित पर पड़ी। रिया तुरंत अमित के पास गई और बोली-‘हाय अमित! यहां कैसे?’ अमित बोला-‘मैं तो इसी शहर में रहता हूं। तुम कहां हो?’ ‘मैं भी यहीं हूं। इसी शहर में। आओ तुम्हें अपने पति व सास से मिलाती हूं।’ कहकर उसने पति अनुज और सास जमना से मिलाया-‘ये अमित है, मेरी मोसी के ननद के बेटे।’ अमित ने नमस्ते कहा। फिर रिया बोली-‘ये मेरे पति है अनुज और ये हैं सास जमना मैया।’ कुछ देर इधर-उधर की बात होने के बाद रिया बोली-‘अमित हमारा घर रामेश्वर नगर में है-सुख-शांति निवास। मिलने जरूर आना।’ अमित ने कहा-‘हां, अब तो पता चल गया है कि तुम इसी शहर में हो, तो जरूर आऊंगा।’ अच्छा तो चलते हैं, कहकर रिया अपने पति व सास के साथ चली गई।

अब अमित के मन में अजीब सी हलचल शुरू हो गई। उसको शादी में भोजन भी अच्छा नहीं लग रहा था। उसका मन तो रिया में खोया हुआ था। 

रिया भी बहुत खुश थी। वो सोचने लगी कि अब उसे कोई समझने वाला मिला है। अचानक वह अतीत में खो गई। तीन साल पहले की घटनाएं फिर सामने थी। जब रिया ने पहली बार राज को देखा। बस देखती रह गई। राज का भी यही हाल था। वह भी मन ही मन उसे चाहने लगा। अमित राज का सबकुछ था, चाचा का लड़का भाई भी और मित्र भी। राज ने अमित को बताया कि उसे रिया पसंद है। अमित बोला-वाह! क्या बात है। तुम्हारी पसंद का क्या कहना। धीरे-धीरे राज और रिया में फोन पर बातें होने लगी। दोनों को पता ही नहीं चला कि बात-बात में वो इतना करीब आ गए हैं, कि अब एक-दूसरे के बिना रह नहीं सकते। घरवालों ने कहा अब तो इनकी शादी कर देनी चाहिए। सब कुछ ठीक था। अब राज और रिया की सगाई हो गई थी। लेकिन कहते हैं न प्यार को तो तूफान से गुजरना ही पड़ता है। 
रिया की जिंदगी में भी तूफान आया। एक एक्सीडेंट में राज की मौत हो गई। इस हादसे ने रिया को तोड़कर रख दिया। रिया अब उदास रहने लगी। उसके चेहरे से हंसी गायब ही हो गई। जो दिनभर गुनगुनाती रहती थी, अब खामोश थी। मन में बस राज ही बसा था। उसकी याद में खोई-खोई रहती थी। गाना गाने का शोक रिया को बचपन से ही था, मगर उसके जीवन से जैसे संगीत तो गायब ही हो गया। राज के जाने से उसके शरीर से जैसे आत्मा निकल गई। बाहर एक लोथड़ा बचा रहा।

पर रिया ने अपने मां और पापा के लिए अपना दर्द कुर्बान कर दिया। वो नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से उसके भाई-बहन और मां, पापा दुखी हों। वो तो बस राज से प्यार करती थी। उससे शादी कर दुनिया भर की खुशियां पाना चाहती थी। लाख कोशिश करके भी वो राज को भुला नहीं पाई। घंटों अकेली बैठी अपने आप से बातें करतीं। मानों राज जिंदा हों, उसके लिए फिर कभी अकेले में रोती। यह सिलसिला चलता रहा। रिया की बड़ी बहन आशा से रिया का दर्द देखा नहीं गया। वो समझ सकती थी कि रिया को राज चाहिए। मगर राज को वापस लाना संभव नहीं था। अगर संभव होता तो अपनी जान देकर भी राज को ले आती। रिया को सिर्फ राज चाहिए था। अब आशा को रिया का दर्द देखा नहीं गया। उसने अपनी मां से कहा कि रिया की शादी करवा दो। नए घर में जाएगी तो राज को भूल जाएगी। उसे राज के बारे में सोचने का समय नहीं मिलेगा। मां को यह बात सही लगी। उसने यह बात रिया के पिता से कही। पिता बोले-ठीक हैं, यह भी करते हैं। मगर रिया मांगलिक थी। राज के घरवाले राज की मौत का कारण रिया को ही मानते थे, क्योंकि वह मांगलिक थी। अब तो रिया भी मानने लगी थी कि उसका मांगलिक होना ही राज की मौत की वजह बना है।

फिर रिया के लिए रिश्ता आया। लड़का सबको पसंद आया। अच्छा भला कमा लेता है। घर भी अच्छा है। रिया के घरवालों ने रिया से पूछा। रिया रोने लग गई। मगर घरवालों ने उसे समझाया। आखिर रिया ने भी जैसे समझौता कर लिया। न चाहते हुए भी चुप रही। रिया की शादी अनुज से हो गई।

अमित बैचेन था। शादी में उसने कुछ नहीं खाया। घर आकर सोने की कोशिश करने लगा। सोचा अगर मुझमे जरा सी हिम्मत होती तो रिया उसकी हो सकती थी। राज के जाने के बाद उसने क्यों नहीं रिया से बात की। रिया से उसकी शादी हो सकती थी, अगर वह पहल करता। राज के बाद अगर कोई रिया के करीब था तो वह अमित ही था। अमित भी रिया को चाहता था, मगर राज की पसंद होने की वजह से चुप था।

अमित के सामने सब कुछ साफ-साफ घूमने लगा। राज की मौत के बाद अमित की शादी तय हो गई। शादी को दस दिन बचे थे। अमित रिया के घर अपनी शादी का निमंत्रण देने गया। रिया उसके सामने थी। वह एकटक रिया को देखता रहा। उसके मन में आया कि कह दे-वह उससे प्यार करता है। शादी करना चाहता है। मगर अब तो देर हो चुकी है, दस दिन बाद उसकी दिव्या से शादी है। इसी अंतरद्वंद्व में वह घर आया। रात को सो भी नहीं पाया। उसके मन में था रिया राज की अमानत है। वह उसे अच्छी तरह संभाल सकता है। मगर कुछ कहने की हिम्मत नहीं हुई। अब उसने दिव्या से शादी कर ली और जयपुर जाकर बस गया।

पूरे तीन साल बाद रिया भी उसे जयपुर में मिली। पुरानी बातें ताजा हो गई। उसे लगा रिया उसकी जिंदगी का हिस्सा है। उससे शादी नहीं हुई तो क्या, उसे देख तो सकता ही हूं। वह रात अमित पर भारी पड़ रही थी। सुबह का उसे इंतजार था। सुबह हुई और वह रिया के बताए पते पर पहुंच गया। मगर वह बाहर से ही लौट आया। अगले दिन फिर वह रिया के घर के पास गया, मगर रिया नजर नहीं आई। एक दिन अमित ने किसी से अनुज के नंबर लिए और उसे फोन किया। उसने फोन पर बिजनेस से संबंधित कोई डील करने की बात कही। अब तो आए दिन अमित और अनुज के बीच बातें होने लगी। 

एक दिन अनुज अपना मोबाइल घर ही भूल गया था। अमित ने फोन लगाया तो रिया ने उठाया। अमित बोला-अनुज हैं। रिया बोली नहीं, वे अपना फोन घर भूल गए हैं, आप कौन बोल रहे हैं। अरे मैं अमित बोल रहा हूं। दोनों ने कुछ देर बातें की। फिर अमित को रिया ने अपने मोबाइल नंबर दे दिए। अब अक्सर उनमें बातें होती। अमित राज के बहुत करीब था तो राज की ही बातें होती। पूरा-पूरा वक्त राज की ही बातें होती। अमित को बस बहाना चाहिए था, कि किसी तरह रिया से बात हो जाए। और रिया राज की बातें सुन खुश हो जाती। 

पर ये खुशी भी कहां टिकने वाली थी। किसी ने रिया को बताया कि अमित अच्छा आदमी नहीं हैं। वह किसी कांड में शामिल है। रिया फिर से दुखी हो गई। वह अमित को जानती तो थी, मगर इतना भी नहीं जानती थी। रिया फिर से दुखी हो गई। 

एक दिन जब अमित का फोन आया तो वह बोली-अमित हमारा बात करना ठीक नहीं है। लोग हमें गलत समझेंगे। अमित बोला-हम गलत कहां है? लोग समझते हैं तो समझते रहे, हमें क्या? पर रिया ने कहा-आगे से तुम फोन मत करना और फोन काट दिया।

रिया पूरे दिन परेशान रही। फिर शाम को काल आया तो रिया फोन रिसीव करते ही बोली-तुम भले ही नए नंबर से काल करो, मैं आपकी आवाज पहचानती हूं। अब बताओ कौन हो तुम? सामने से आवाज आई अमित। रिया एकदम बोली-तो अमित तुम ही हो जो मुझे वाट्स-एप पर परेशान कर रहे थे, बार-बार मैसेज करके। अमित बोला, नहीं तो, मुझे आज किसी का फोन आया जिसकी आवाज सेम तुम्हारे जैसी थी, तो यह पूछने के लिए कि कहीं तुम मेरी खिंचाई तो नहीं करने वाली हो। ये जानने के लिए काल किया। 

आज रिया बहुत खुश थी। उसकी आवाज में अलग सी खनक थी। अमित को हुआ इस बार वो मौका देखकर रिया को बोल देगा कि वह उससे बहुत प्यार करता है। फिर भले ही रिया नाराज होगी तो मना लूंगा। पर रिया को अमित से कब बात करनी थी। उसे अमित को बताना था कि राज जैसी आवाज का एक सख्श है। वो रिया के घर के पास ही रहता है । उसे रिया की उदासी नहीं देखी जाती। उसने कई बार उससे बात करने की कोशिश की। पर रिया ने कभी उसकी तरफ देखा भी नहीं। आज तो उसने कहा कि रिया एक बार बात कर लो फिर मैं तुम्हें कभी फोर्स नहीं करूंगा। 

रिया ने सोचा कि क्या है, मैं उसे समझा दूंगी कि इन सबमें कुछ नहीं है। रिया ने काल किया तो सामने से आवाज आई कैसी हो रिया, मैं रणबीर। कब से तुम्हारी आवाज सुनना चाहता था। पर रिया कुछ नहीं बोली। बस रणवीर की आवाज सुन रही थी। मानों उसका दस साल का इंतजार खत्म हो गया हैं। रणवीर की आवाज और उसका बात करने का तरीका सब राज से मिलता था। उसे यह अहसास भी नहीं कि वो राज से नहीं रणवीर से बात कर रही हैं। 

अब घंटों घंटों रणवीर और रिया बातें करते। रणवीर को सिर्फ रिया का दर्द कम करना था। जो रिया जिंदा लाश थी। वो खुली हवा में सांस लेने लगी। उसे लगा इस रणवीर से बात कर उसका दर्द कम हो रहा है। अब उसे बारिश भी अच्छी लगने लगी। जिंदगी सामान्य होने लगी। रणवीर भी बहुत दुखी था अपनी लाइफ में। सबको सब कुछ दिखता था, पर उसे कोई नहीं समझता था। 

अब रिया जो उसकी सबसे अच्छी दोस्त जो बन गई। उसे अब क्या चाहिए। रिया ने उसे अपना हर दर्द, अपनी हर तकलीफ बताई। अब रणवीर ने भी उसे अपनी बातें बतानी शुरू की। बातों ही बातों में वे कब इतना करीब आ गए, पता ही नहीं चला। अब रिया को रणवीर से बात नहीं होती तो नींद नहीं आती। दस साल में रिया बहुत कम सोई, मगर अब वह रणवीर की याद में सो नहीं पा रही। आज रिया को जाना है अपनी मां के पास, तो रणवीर उसे छोड़ने स्टेशन तक आया। रिया की गाड़ी जाने के बाद भी रणवीर वहां खड़ा रहा। ये बात रिया के दिल को छू गई। उसे लगा कि अनुज भी उसे छोड़ने आते हैं, मगर गाड़ी में बिठाकर चले जाते हैं। ये बात रिया के दिल को छू गई। 

आज रणवीर ने रिया को इतना खुश देखा तो अपने दिल की बात बता दी। उसने मैसेज किया-आई लव यू । तो रिया ने भी मैसेज किया-उसके तीन साल की बेटी है, अनन्या। वह बहुत ही सुंदर है। सब उसे अपने पास बुलाते हैं। पर वो रिया को छोड़ कर कहीं नहीं जाती। अब रिया अपनी मां के पास पहुंची तो उसके चेहरे का नूर कुछ और था। इतने सालों में जो उदासी देखी थी, वह दूर हो गई थी। 

अब रणवीर का फोन आता तो वह अकेले में बातें करती। एक दिन रणवीर ने कहा-रिया मैं तुम्हारा राज नहीं रणवीर हूं। पर मै तुम्हें बहुत प्यार करता हूं। तुम्हारे राज से भी ज्यादा मैंने भगवान के सामने तेरे नाम के दीये जलाए हैं। जब-जब तुम्हें देखा उन दीयों के साथ मैं भी जला हूं। आज मेरी सारी दुआ कुबूल हो गई। तुम मेरे साथ हो, मुझे कुछ नहीं चाहिए, बस तुम अपनी बेटी और अनुज का ध्यान रखो। अब महीने में दो-चार बार बात कर लेंगे; इससे ज्यादा अगर बातें हुईं तो तुम्हारा क्या होगा? अनुज ये बर्दाश्त  नहीं कर पाएगा। मुझे लगता है रिया मेरा काम तेरा दर्द कम करना था जो हो गया।....

अब दोनों एक-दूसरे की परवाह करते हैं। फोन भी करते हैं। मगर रिया अपनी जिंदगी में खुश है। रिया को खुश देखकर अनुज में भी परिवर्तन होने लगा। वह भी रिया को खुश रखने लगा। अब वाकई अनुज और रिया की जिंदगी बदल गई थी। यह सुखद बदलाव रिया की जिंदगी में रणवीर की वजह से आया। वाकई इस बदलाव ने रिया की जिंदगी को सहज कर दिया। 

Tuesday, 16 December 2014

पाक में नापाक हमला, सेना की स्कूल में 132 बच्चों को आतंकियों ने मार गिराया

-दुनिया भर में लोग दुखी हैं। हर व्यक्ति इस वारदात की चर्चा कर रहा है। इस हमले की जिम्मेदारी लेने वाले तालिबान ने पूर्व में मलाला पर भी हमला किया था।

जोधपुर. खबर पूरी दुनिया को झकझोर कर रख देने वाली है। यह आम दिन था। मंगलवार को सब कुछ सही चल रहा था। अचानक कुछ ऐसा दरका कि मानवता शर्मशार हो गई। पाकिस्तान में सेना के एक स्कूल पर आतंकी हमला हुआ। आतंकियों ने एक-एक कर 132 बच्चों को मार डाला। बच्चे मेज पर सिर झुकाए बैठे रहे, आतंकी एक-एक को सिर में गोलियां मारते रहे। आठ घंटे तक चली गोलीबारी के बाद सेना ने सभी छह आतंकियों को मार डाला।

सुबह के कोई 11 बज रहे थे। स्कूल शुरू ही हुआ था। कुछ कालांश हो गए थे। बड़ी क्लास के बच्चे परीक्षा में व्यस्त थे। कुछ बच्चों को आर्मी के डॉक्टर स्वास्थ्य संबंधी सलाह दे रहे थे। अचानक पीछे का दरवाजा तोड़कर आतंकी स्कूल में घुसे। कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले गोलियों की आवाज गूंजी। हर कोई भयभीत हो गया। बच्चे तो कुछ समझ ही नहीं पाए। टीचर्स ने दरवाजे बंद कर दिए। मगर आतंकी दरवाजा तोड़कर घुस गए। बच्चों को पंक्तिवार खड़ा कर दिया और गोलियों से भून दिया। इस नापाक हमले में 132 बच्चों की मौत हो गई, वहीं कई घायल हो गए। जिस समय स्कूल में आतंकी आए उस दौरान स्कूल में करीब 1500 बच्चे थे। यह वारदात दुनिया में सबसे वीभत्स और मानवता को झकझोर देने वाली है। दुनिया भर में लोग दुखी हैं। हर व्यक्ति इस वारदात की चर्चा कर रहा है। इस हमले की जिम्मेदारी लेने वाले तालिबान ने पूर्व में मलाला पर भी हमला किया था।

पौने घंटे चला खूनी खेल:

स्कूल में खूनी खेल करीब पौने घंटे तक चला। हर ओर लाशें बिछी थी। हर कोई भयभीत। चीत्कारें सुनाई दे रही थीं। पैरेंट्स को पता चलते ही वे बदहवास स्कूल और अस्पताल पहुंच रहे थे। बच्चों को मालूम ही नहीं चला कि क्या हो रहा है। टीचर्स भी माजरा समझ नहीं पाए। जैसे-तैसे दरवाजे बंद किया, मगर आतंकी दरवाजा तोड़कर अंदर आ गए।


पाकिस्तान में आतंक, पाकिस्तान से आतंक:

इस वारदात के बाद यह कहें कि पाकिस्तान में आतंक का डेरा है और पाकिस्तान से ही आतंक का संचालन होता है, गलत नहीं है। चाहे भारत में आतंकी घटनाएं हों या विदेश में। अमेरिका तक में हुए आतंकी हमलों में पाकिस्तान की भूमिका संदिग्ध रही हैं। ओसामा बिन लादेन भी अंतिम समय में पाकिस्तान की जमीं पर डेरा डाले हुआ था। अमेरिका सहित संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों को यह समझ लेना चाहिए कि पाकिस्तान में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। मरना-मारना वहां की परंपरा बन गई है। कब तख्ता पलट हो जाए, कहा नहीं जा सकता। वहां सिरफिरे लोग सरकार चला रहे हैं। किसी को आम जनता से मतलब नहीं है, वहां पर संगीन का शासन है। इतिहास गवाह है, पाकिस्तान में आतंक का ही शासन रहा है।


तो क्या अब फिर तख्ता पलट की तैयारी:

पत्रकार आनंद एम. वासु का मानना है कि पाकिस्तान में इस वारदात के बाद तख्ता पलट की आशंका बलवती हो गई है। वासु ने बताया कि सेना के पास बड़ा कारण है। इस वारदात के बाद सेना में गुस्सा है। सेना अपने हाथ में व्यवस्था ले सकती है। इस वारदात के बाद कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में अराजकता का शासन है।

भारत में हाईअलर्ट:

इधर खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली, मुंबई, बैंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, गोवा, इंदौर, जयपुर और कोलकाता सहित कई शहरों में हाईअलर्ट कर दिया है।    

Friday, 21 November 2014

देश के विकास के लिए राष्ट्रपति महोदय को दो आइडिए

द्वारा : डी.के. पुरोहित,
वरिष्ठ उप संपादक,
दैनिक भास्कर,
जी-283, शास्त्री नगर, जोधपुर-राजस्थान।


आइडिया नंबर एक

भिखारियों को मुख्यधारा से जोड़ना

कैसे: 1. देशभर में भिखारियों को कॉर्पोरेट कल्चर की पोशाक पहनाना। उनका हुलिया कर्मचारियों जैसा बनाना। उन्हें एक ऐसी लिमिटेड कंपनी के कर्मचारी बनाना जिसकी शाखाएं देशभर में हों।

2. इन भिखारियों को घर-घर भेजना और 50 पैसे प्रति दर की रेट पर रोटियां कलेक्शन में लगाना। रोटी ठंडी बेशक हो, मगर खराब न हों। साथ ही विवाह या आयोजन वाले घर से उचित मूल्य देकर मिठाइयां आदि भी खरीदी जा सकती हैं।


3. इन रोटियों को यह कंपनी तलकर या गर्म कर खाने लायक बनाए। इसे ढाबों में सप्लाई भी की जा सकती है और यह कंपनी अपने स्तर पर बेच सकती है। साथ ही मिठाई भी इसी तरह उपयोग में ली जा सकती है। इन भिखारी कर्मचारियों को प्रति माह एक हजार रुपया मेहनताना दिया जाए। साथ ही इनके लिए आवासीय कॉलोनी भी बसाई जाए और बच्चों को सरकारी स्कूलों में भर्ती किया जाए। धीरे-धीरे मुनाफे के आधार पर इनका मेहनताना बढ़ाया जा सकता है और अलग तरह की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। देश से इस तरह व्यवस्थित तरीके से भिक्षावृत्ति मिटाई जा सकती है। शुरुआत में नुकसान भी उठाना पड़े तो उठाएं, लेकिन भिखारियों को उनका मूल कार्य सौंपते हुए, मुख्यधारा से जोड़ा जाए। धीरे-धीरे इन भिखारियों को सिक्यूरिटी, चौकीदारी और अन्य भूमिकाएं दी जा सकती हैं।


आइडिया नंबर दो

टीचर्स की कमाई से स्कूलों का विकास

कैसे:--1. अभी सरकारी टीचर्स बनने के लिए बीएड करना जरूरी है। यानी प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक लाख रुपए बीएड करने में खर्च करना पड़ता है। फिर भी जरूरी नहीं की, वह टीचर्स बन पाएगा, या नहीं। 

2. टीचर्स बनने के लिए केवल ग्रेज्युएट योग्यता ही रखें। जिन अभ्यर्थियों को वरिष्ठता के आधार पर नौकरी मिले उनसे एक लाख रुपए सिक्योरिटी राशि वसूल की जाए जो उनकी सेवानिवृत्ति या मृत्यु पर ही लौटाई जाए। इस एक लाख रुपए की सिक्योरिटी राशि के ब्याज से स्कूलों का विकास करवाएं। ग्रेज्युएट व्यक्ति को बिना बीएड के नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था भी बनाए रखी जा सकती है। ऐसे आरक्षित लोगों से राशि कम ली जाए।  

Thursday, 13 November 2014

आज नहीं तो कल मिलेगा ही भारत को वीटो पावर

 -डी.के. पुरोहित-
ब्रिटेन ने भारत को सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता का समर्थन किया है, लेकिन कहा है कि उसे वीटो पावर नहीं मिलनी चाहिए।

इस में कोई दो राय नहीं कि भारत दुनिया के शक्तिशाली देशों में है। यहां किस बात की कमी है। परमाणु संपन्न है भारत। वैज्ञानिक मंगलग्रह पर पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं। सामरिक शक्ति होने के साथ ही पूंजीपति, उद्योगपति, इंजीनियर, डॉक्टर, श्रमिक पावर, होनहार युवा, शिक्षाविद, राजनीतिक धुरंधर, संसाधन और माहौल। इसके साथ ही एक बड़ी ताकत है-नैतिकता और चारित्रिक मजबूती। यहां संतों ने हमेशा यही कहा-वसुधैव कुटुंबकम। यानी पूरी दुनिया हमारा कुटुंब यानी परिवार है। हमने हमेशा दुनिया में शांति और भाईचारा चाहा। सर्वे भवंतु सुखिन:...की भावना हमारे भीतर कूट-कूट कर भरी है। ऐसी विशेषताओं के विद्यमान रहते भारत को कम आंकना गलत होता। इस बीच हम चर्चा कर रहे हैं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता और वीटो पावर मिलने की। वो भी तब जबकि ब्राजील, जर्मनी व जापान भी इस दौड़ में हैं।

ब्रिटेन ने भारत को सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता का समर्थन किया है, लेकिन कहा है कि उसे वीटो पावर नहीं मिलनी चाहिए। उसने इस मुद्दे पर व्यापक बहस की भी मांग की है।

फिलहाल सुरक्षा परिषद के 15 स्थाई सदस्यों में से पांच स्थाई सदस्य को वीटो पावर मिली हुई है। इनमें ब्रिटेन भी एक है। भारत कई साल से सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता पाने की कोशिश करता रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में सुरक्षा परिषद सुधार पर बहस चल रही है। इसमें ब्रिटेन के राजदूत लियाल ग्रांट ने कहा कि उनका देश चाहता है कि भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिले। लेकिन नए स्थाई सदस्यों को वीटो पावर न मिले। ग्रांट ने कहा, ‘किसी भी सुधार से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के खतरे से निपटने की परिषद की क्षमता कम नहीं होनी चाहिए’।


गौर करें कि भारत के वीटो पावर का विरोध ऐसा देश कर रहा है, जिसने भारत पर शासन किया और उसे लूटा। जमकर लूटा। लेकिन भारत की युवा शक्ति के आगे उसे झुकना पड़ा और आखिर स्वतंत्र करना पड़ा। भगतसिंह, चंद्रशेखर, सुभाषचंद्र बोस, महात्मा गांधी और कई शहीदों ने अलग-अलग भूमिकाएं निभाई। एक शक्ति के रूप में जब भारत जागा तो ब्रिटेन के सामने भारत को मुक्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। भारत सोने की चिड़िया कही जाती रही है। यहां जो लोग हमलावर बनकर आए उन्होंने यहां की संपदा और समृिद्ध को जमकर लूटा। इन लुटेरों में ब्रिटेन भी एक देश है। हमने सबका भला चाहा। सबका विकास चाहा। सबकी समृद्धि व शांति चाही। लेकिन एक लुटेरा देश इस बात का विरोध कर रहा है कि भारत को वीटो नहीं मिलना चाहिए। यह बात भले ही अपनी जगह सच है कि ब्रिटेन ने भारत पर दो सौ वर्षों तक शासन किया, लेकिन यह भी सत्य है कि भारत के युवा और देशभक्त 1857 में ही योजनाबद्ध प्रयास करते तो कब के आजाद हो जाते। भलेही ही ब्रिटेन ने भारत पर शासन किया, लेकिन एक शक्ति के रूप में वो भी इसे अनदेखी नहीं कर सकता।

अभी संयुक्त राष्ट्र संघ में पांच देश रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस व चीन के पास वीटो है। इन स्थाई सदस्यों को वीटो शक्तियां हैं। इसका मतलब है कि उनमें से कोई भी अगर किसी भी प्रस्ताव का विरोध करे तो वह प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता। जब से सुरक्षा परिषद बनी है तब से इस अधिकार का दुरुपयोग भी हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ में अभी 15 सदस्य हैं। भारत वर्षों से संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थाई सदस्यता की मांग कर रहा है। ब्रिटेन ने ऐसे समय भारत को वीटो पावर का विरोध किया है, जब भारत में नई तरह की राजनीतिक और विकासशील बहस चल रही है। हर युवा देश को आगे बढ़ाने में तत्पर है। यहां के वैज्ञानिक विदेशों में परचम लहरा रहे हैं। डॉक्टर कमाल दिखा रहे हैं। अभी-अभी खबर आई है कि भारत में चीन से ज्यादा सोने की खपत हो रही है। मुद्दे कई है। रास्ते कई है। हर मोड़ पर भारत विशेष रूप से शक्ति के तौर पर सामने आ रहा है।

हमारे देश में सदा संतों-महापुरुषों का बाहुल्य रहा है। एक शक्ति जिसे आध्यात्मिक या नैतिक शक्ति कही जाती रही है, उसका बाहुल्य रहा है। यहां महाभारत के किस्से हैं। रामायण यहां की कल्चर है। साहित्यकारों ने यहां का गौरव बढ़ाया है। मंदिर-मस्जिद-चर्च-गुरुद्वारे जहां गली-गली मोहल्लों में हैं। ऐसे में कहां कमी है। सब बराबर। सब देश के लिए। देश सबके लिए। ऐसे माहौल में भारत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आजादी के बाद पचास-साठ साल में हमने दुनिया को दिखा दिया कि भारत किसी भी दृष्टि से कमजोर नहीं हैं। हाल ही में अमेरिका सहित विश्व के शक्तशाली देशों में मंदी का दौर चला, ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था अडिग रही। हमने अपने दम पर अपना वर्चस्व बनाए रखा। परमाणु परीक्षण के बाद लोगों की आंख में भारत अखरने लगा, लेकिन भारत ने परवा नहीं की। विश्व की शक्तियों ने भी भारत की शक्ति का आदर किया। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए, भारत को परवाह नहीं करनी चाहिए वीटो पावर की। आज नहीं तो कल भारत के कदमों में होगा वीटो पावर।

Wednesday, 12 November 2014

सारे शब्द द्रोपदी बन जाएंगे

कविता : डीके पुरोहित




शब्द जब द्रोपदी बन जाता है
तो कविता को
समय का दुस्शासन
वस्त्र समझकर उतारने लगता है
कवि हारा हुआ युधिष्ठिर है
जो शब्द का चीरहरण देखने को विवश है
कोई कृष्ण शब्द की लाज नहीं बचाता
वह अपनी लाज स्वयं ही बचा लेता है
असमय आत्महत्या कर
साहित्य कौरवसभा नहीं है
साहित्य कुरुक्षेत्र भी नहीं है
साहित्य कौरवसभा में शब्द को
द्रोपदी बना नहीं देख सकता
साहित्य सृष्टि है
शब्द ब्रह्म है
ब्रह्म है तो सृष्टि है
जब शब्द सृष्टि की रचना करने बैठता है
तो कलम गर्भवती हो जाती है
कागज की कोख सृष्टि को देती है पनाह
शब्द ब्रह्म
अपनी ही रचना को देता है
नए-नए रूप
कविता भी
शब्द ब्रह्म की बनाई एक रचना है
जिसे मरना है एक न एक दिन
जो कविता मरती नहीं समय के साथ
वह लीन हो जाती है शब्द ब्रह्म में
और तारा बनकर छा जाती है
युग के आसमान पर
सूरज शब्द है
चांद कविता
आसमान देता है कागज की छाती
कविता जब तारे सी टूटती है
तो समझो शब्द ब्रह्म ने
अपनी एक रचना को नष्ट कर दिया
यह सिलसिला जाने कब से चल रहा है
न कविता खत्म होती है
न तारे
एक दिन ऐसा आएगा
जब सारे शब्द द्रोपदी बन जाएंगे
और असमय कर लेंगे आत्महत्या
फिर केवल सूरज बचा रहेगा
जो छटपटाता रहेगा
नई रचना के लिए
शब्द ब्रह्म का सहारा लेकर।

Monday, 10 November 2014

वसुंधरा का जादू उतरा, मोदी मंत्र नहीं चलेगा, इस बार निकाय चुनाव में कांग्रेस को पसंद कर सकती है जनता

-अफसरों के पास भी सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए कुछ नहीं। अफसर तो पूंछ हिलाऊ होते हैं, जोड़-जाड़ कर उपलब्धियां गिना देंगे, मगर जनता पूंछ हिलाऊ नहीं होती, वह खार खाए बैठी है और इस बार भाजपा या कहें वसुंधरा को सबक सिखाकर रहेंगी

वर्ल्ड स्ट्रीट ब्यूरो. जयपुर

जनता की प्रतिक्रिया स्वाभाविक होती है। उसे क्षणिक रूप से भरमाया जा सकता है, मगर हर बार झूठ और दिखावा नहीं चलता। आगामी 22 नवंबर को राज्य में 46 निकायों के चुनाव हो रहे हैं। यहां चुनाव का फैसला तो जनता करेगी, मगर इन चुनावों से पहले एक मुक्कमल तस्वीर जनता के सामने है।

अगले माह सरकार का एक साल पूरा होना है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और बाद में मुख्य सचिव सीएस राजन ने सोमवार को सभी विभागों की समीक्षा की। लेकिन दो बैठकों के बावजूद सरकार की उपलब्धियां ढूंढ़ने में अफसरों के पसीने आ गए। सीएस राजन ने करीब 25 विभागों के अधिकारियों के साथ विभिन्न घोषणाओं और योजनाओं की तीन घंटे रिव्यू किया। अफसरों के अनुसार 11 माह में सरकार के स्तर पर केवल रिव्यू बैठकें चलने और कंपनियों के प्रेजेंटेशन ही देखे जाने के कारण उपलब्धि के नाम पर कुछ खास निकल कर नहीं आया। कुछ कंपनियों के साथ एमओयू के अलावा आधारभूत संरचना विकास व जनसुविधा के क्षेत्र में कोई बड़ा काम सामने नहीं आया।

बैठकों में बड़ी उपलब्धि यही सामने आई कि सरकार ने तीन संभागों का दौरा किया और उसमें सीएम और मंत्री के पास जनता की तीन लाख अर्जिया आईं। मुख्यमंत्री ने अपने स्तर पर सरकार के कामकाज और विभागों का रिव्यू किया।

ये स्थिति कड़वा सच है। चौंकाने वाला भी। जनता भी यह बात जानती है। उसे हर बार बरगलाया नहीं जा सकता। और उसकी प्रतिक्रिया भी जल्दी ही सामने आएंगी। अभी तक 46 निकायों में सबसे ज्यादा 29 निकायों में कांग्रेस का कब्जा है और भाजपा केवल दस शहरों में अपना बोर्ड बनाने में सफल रही। इस बार चुनाव पूरी तरह से बदली परिस्थितियों में हो रहे हैं। मेयर, नगर परिषद चेयरमैन और पालिका अध्यक्ष का चुनाव निर्वाचित पार्षद ही करेंगे। इस लिहाज से टिकट को लेकर दोनों ही पार्टियों में बड़ी मारामारी चल रही हैं। प्रदेश में 6 नगर निगम, 18 नगर परिषद और 22 नगरपालिका में चुनाव हो रहे हैं। 6 में से नगर निगमों में जयपुर, जोधपुर, कोटा व बीकानेर में कांग्रेस के मेयर चुने गए थे, जबकि भाजपा केवल उदयपुर में ही अपना मेयर बनाने में कामयाब रही थी। भरतपुर में अब नगर निगम बना दिया गया है, जहां मेयर निर्दलीय है।

फिर कांग्रेस ही विकल्प

ऐसे में जनता के पास फिर कांग्रेस ही विकल्प है। इस बार के चुनाव में न तो मोदी का मंत्र चलेगा और न ही वसुंधरा की होशियारी और दादागिरी। एक बार फिर लोग कांग्रेस को मौका देने की फिराक में हैं। जनता निश्चय भी कर चुकी है। लोग उस दिन को कोस रहें हैं, जब मोदी के नाम पर वसुंधरा को पूर्ण बहुत दे दिया। इसका पछतावा जनता को भी है। खुद वसुंधरा के पास भी ऐसा कोई तर्क नहीं है, जो चल सके।

बड़े नाम के सहारे भाजपा, पुराने नेता याद आए

विधानसभा चुनावों में वसुंधरा ने जिन बड़े नेताओं की अनदेखी कर दी थी, उन्हें इस बार पार्षद का टिकट और मेयर के दावेदार के रूप में उतारा जा रहा है। गौर करें जोधपुर पर, यहां पूर्व मंत्री राजेंद्र गहलोत, राजसिको के पूर्व अध्यक्ष मेघराज लोहिया, प्रसन्नचंद मेहता पर वसुंधरा दांव खेल रही हैं। देखना यह है कि जनता इन नामों को चुनती है, या काम को। अशोक गहलोत ने इस बार पूरी रणनीति से टिकटें दी हैं। टिकट बंटवारे में उनकी खूब चली है। जोधपुर में कांग्रेस को फिर उम्मीदे हैं। कांग्रेस के पास मौजूदा मैयर और सीटें बचाने की चुनौती है तो भाजपा की स्थिति खास अच्छी नहीं है।

वसुंधरा नकारा सरकार, उम्मीदें की धूमिल

लोगों ने मोदी के नाम पर वसुंधरा को समर्थन दिया। लेकिन वसुंधरा फेल हो गई। सारी उम्मीदें धूमिल हो गई। महारानी ने काम के नाम पर ढोल पीटे। मोदी का चेहरा भी अब लोगों के सामने चौड़ा हो गया है। मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान विदेशी यात्राएं, बड़े-बड़े वादे और राजनीतिक दांव ही खेले। यह बात अलग है कि हरियाणा और महाराष्ट्र में उनकी चल गई, मगर जनता कब जाग जाए, कहा नहीं जा सकता। इस बार वसुंधरा का जादू निश्चित तौर पर नहीं चलेगा। लोगों की सहनशीलता की परीक्षा नहीं ली जा सकती। अभी मौका है, लोग अपना गुस्सा उतार सकते हैं। लोग इस बात को जानते हैं कि अशोक गहलोत ने खूब काम किए। केवल मोदी लहर और सत्ता विरोधी वोट की वजह से वसुंधरा आ गई। अब वसुंधरा को आत्ममंथन करने की जरूरत है। इसलिए भी कि उनकी सरकार के अफसरों के पास भी सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए कुछ नहीं। अफसर तो पूंछ हिलाऊ होते हैं, जोड़-जाड़ कर उपलब्धियां गिना देंगे, मगर जनता पूंछ हिलाऊ नहीं होती, वह खार खाए बैठी है और इस बार भाजपा या कहें वसुंधरा को सबक सिखाकर रहेंगी।

Sunday, 9 November 2014

चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के यूथ फेस्टिवल में युवतियों से छेड़छाड़ पर हंगामा

Posted by: Pressvarta Posted date: 11/09/2014 07:42:00 AM / comment : 0

सिरसा(प्रैसवार्ता)। चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में युवा महोत्सव के दौरान युवतियों से छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। सूचना मिलने पर सुरक्षा कर्मचारियों ने तुरंत प्रभाव से दोनों युवकों को कमरे में बंद करके अधिकारियों को सूचना दी। अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर मामले को शांत किया। पुलिस को सूचना दी गई लेकिन पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। प्रैसवार्ता को मिली जानकारी के अनुसार युवा महोत्सव के दौरान तीन अलग-अलग मंचों पर कार्यक्रम चल रहे थे। इसी दौरान मुख्य मंच के पीछे की ओर गैलरी में युवतियों ने सुरक्षा कर्मचारियों को बताया कि दो युवकों ने उनके साथ छेड़छाड़ की और पीछा भी किया। इतना ही नहीं युवकों ने उनके साथ अभद्र व्यवहार भी किया। बताया जा रहा है कि इस पर सुरक्षा कर्मचारियों ने दोनों युवकों का पीछा किया तो दोनों युवक एक कमरे में जा छिपे। इस पर सुरक्षा कर्मचारियों ने मुस्तैदी दिखाते हुए कमरे पर बाहर से ताला लगा दिया और अधिकारियों को सूचना दी। सूचना मिलने पर कार्यक्रम स्थल पर मौजूद अधिकारी मौके पर पहुंचे और दोनों युवकों से पूछताछ की। सूत्र बताते हैं कि इस दौरान दोनों युवकों को भविष्य में इस प्रकार की हरकत न करने की चेतावनी देकर छोड़ दिया। हालांकि सुरक्षा कर्मचारियों ने तुरंत प्रभाव से पुलिस को भी इस घटना की सूचना दी लेकिन बताया जा रहा है कि पुलिस मौके पर नहीं पहुंची।युवतियों से छेड़छाड़ की घटना पर करीब दो घंटे तक खूब हंगामा हुआ। युवा महोत्सव में पहुंचे बड़ी संख्या में युवक-युवतियां यहां एकत्र हो गए।हुडा चौकी पुलिस इंचार्ज से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ऐसी किसी भी घटना की जानकारी उन्हें नहीं है। न ही उन्होंने सीडीएलयू से किन्हीं युवकों को छेड़छाड के मामले में हिरासत में लेने की सूचना दी।

बारूद के ढेर पर सोशल साइट, चिंगारी लगा सकती है आग

-डमी और काल्पनिक नाम से हो रहा है साइट का दुरुपयोग, पांच साल के बच्चे तक संचालित करते हैं, जरा सी नादानी और सिरफिरों की मनमानी मचा सकती है गदर

वर्ल्ड स्ट्रीट ब्यूरो. नई दिल्ली

सावधान! शोसल साइट जितनी अहम है, उतने ही इसके साइड इफैक्ट भी हैं। यह एक ऐसी मचान है जो बारूद की ढेर पर टिकी है। एक छोटी-सी चिंगारी आग लगाने को काफी है। पिछले कुछ समय से इसका दुरुपयोग हो रहा है। एक तरफ सूचना के आदान-प्रदान, ज्ञान की बातों से परस्पर जुड़ाव और एक ही स्थान पर देश-दुनिया से जुड़ाव हो जाता है, वहीं यह एक ऐसी स्थिति को जन्म दे सकता है जो विध्वंश की कहानी लिख सकता है।
गौर कीजिए हाल ही के छह महीनों में कितनी बार दंगा होते-होते बचा। एक बार किसी ने फेसबुक पर नंगे आमीरखान की फोटो के साथ कुरान लगा दी। कुछ सिरफिरों ने अल्लाह की तस्वीर पोस्ट कर दी तो कुछ लोगों ने देवी-देवताओं की नंगी तस्वीरें पोस्ट कर दी। ऐसे कई मौके आए जब आग लगते-लगते बची। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इस तरह की साइट, चाहे फेसबुक हो, ट्वीटर हो या वॉट्स-एप खतरनाक साबित हो सकते हैं।

कंट्रोलिंग की व्यवस्था हो

सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मीनारायण खत्री का कहना है कि फेसबुक, ट्वीटर और वॉट्स-एप का दुरुपयोग न हो, इसके लिए कंट्रोलर होने चाहिए। लेकिन इसका वृहद स्तर पर होने से यह आसान भी नहीं है। विशेषज्ञों को इस दिशा में सोचना होगा। तकनीकी इंजीनियरों को चाहिए कि इसका तोड़ निकाले, ताकि साइट का दुरुपयोग न हो। आजकल हर हाथ में मोबाइल है। इंटरनेट है। ऐसे में छोटी सी चिंगारी आग लगा सकती है।

सख्त नियम हो

जब सिरफिरे शोसल साइट का दुरुपयोग करते हैं तो उन्हें इसकी सजा भी मिलनी चाहिए। लेकिन कई बार यह पता नहीं चल पाता कि मामला शुरू कहां से हुआ। अंजाम बुरा हो जाता है। आए दिन वॉट्स-एप पर गलत सूचनाएं, अफवाहें और मिक्स फोटो वायरल या पोस्ट किए जाते हैं। इससे कई बार अखबार के दफ्तरों में परेशानी खड़ी हो जाती है। अगर गलत मैसेज या फोटो पर विश्वास कर लिया जाए और वह अखबार में छप जाए तो हंगामा मच सकता है।

कहीं विश्वयुद्ध न करवा दे

हालांकि ऐसा संभव नहीं है, मगर तकनीकी विशेषज्ञ आरएस नवसंभवानी का मानना है कि इससे विश्वयुद्ध तक की नौबत आ सकती है। ऐसे में सोशल साइट का दुरुपयोग रोकना होगा। सिरफिरे कुछ भी करवा सकते हैं। इससे समाज का ढांचा बिगड़ जाएगा। यही नहीं शांत सरोवर में कंकर फेंकने से जैसे हलचल होती है, वैसे ही शांत शहर में आग फैल सकती है। ऐसा नहीं हो कि सोशल साइट के दुरुपयोग से सांप्रदायिक झगड़ों की नौबत आ जाए। खुफिया एजेंसियों की सोशल साइट पर नजर रहती है। सूत्रों का कहना है कि आज के दौर में कहीं भी आग लगाना चंद सैकंडों की बात है। भारत जैसे देश में जहां कुछ राज्यों में दंगे आम बात है, ऐसी साइट का साइड इफैक्ट सामने आ सकता है।

बच्चों को दूर रखा जाए

यह कहना गलत नहीं होगा कि सोशल साइट से बच्चों को दूर रखा जाए। मगर ऐसा है नहीं। पांच से लेकर पंद्रह साल तक के बच्चे भी आजकल सोशल साइट पर हैं। ऐसे में जरा सी नादानी बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। सोशल साइट के उपयोग से संबंधित कुछ नियम होने चाहिए। आयु सीमा तय होनी चाहिए। इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखना होगा कि लोग डमी और काल्पनिक नाम से साइट न बन जाए। हालांकि ऐसा अभी तक संभव नहीं हो पाया है। सिरफिरे लोग तरह-तरह के नाम से सोशल साइट संचालित कर रहे हैं। ऐसे में तकनीकी विशेषज्ञों को कुछ नियम और कानून बनाना होगा। तभी इस समस्या से निजात मिल सकती है। 

Saturday, 8 November 2014

मोटापा में पंजाब प्रदेश पहले नंबर पर


Posted by: Pressvarta Posted date: 11/09/2014 11:43:00 AM / comment : 0

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता)। नैशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के सर्वेक्षण में पंजाबी मोटापा देशभर में पहले नंबर पर है, जिसकी चपेट में 30 प्रतिशत पुरूष तथा 37 प्रतिशत महिलाएं है, जबकि देश में 14 प्रतिशत पुरूष व 16 प्रतिशत महिलाएं ओवरवेट है। पीजीआई में सर्जिकल गेस्ट्रोइट्रेलाजी के प्रौ. राजेश गुप्ता के मुताबिक मोटापा भारत में साइलैंट किलर की तरह काम कर रहा है। आरामदेह जिंदगी, कैलोरी वाला भोजन तथा व्यायाम की कमी इसे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। जेनेटिक फैक्टर व भावनात्मक कारण भी मोटापा होने के मुख्य कारणों में से एक है। मोटे लोगों को बीमारी होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है, क्योंकि मोटापे से डी-जनरेटिव ज्वाईंट डिजीज जैसे लोक बैक पेन, हाई ब्लडप्रैशर, नींद में कमी, गेस्ट्रो इसोफेगल रीपलक्स डिजीज(खाना खाने के बाद खाना गले की तरफ आना), गॉल स्टोन डिजीज, टाईप टू डायबिटीज, हाईपर लिपिडिमियां, हाईपर कोलेस्ट्रोलीमिया, अस्थमा, हाइपोवेटीलेशन सिंड्र्रोम, दिल की बीमारियां जैसे कार्डियक आरिथमियास, हार्टअटैक, माईग्रेन, अलसर, फंगल स्किन, रेशिश, फोडे, पेशाब में अनियमितता, इनफर्टिलिटी, माहवारी में दर्द, डिस्प्रेशन, हरनियां और कैंसर का खतरा रहता है। प्रौ. गुप्ता का यह भी कहना है कि मोटापा से मुधमेह, हाईपरटेंशन व सिंड्रोम में खराबी आ सकती है। मोटापे के कारण ही हार्ट अटैक के मामले बढ़े है। मोटापे पर नियंत्रण का मशविरा देते हुए वह कहते है कि डाईट ठीक ठाक रखनी चाहिए, जिंक फूड, हाई क्लौरी फूड के साथ नियमित शारीरिक श्रम बेहद जरूरी है। मोटेे लोगों को सैर जरूर करनी चाहिए।

पश्चिमी राजस्थान में हर साल एक लाख नेत्र रोगी आ रहे सामने




-रेतीली भूमि, असंतुलित खान-पान और आंखों के प्रति लापरवाही की वजह से बढ़ रहे मामले, कंप्यूटर क्रांति के बाद स्थिति और बिगड़ी

वर्ल्ड  स्ट्रीट न्यूज. जोधपुर

पश्चिमी राजस्थान में नेत्र रोगी बढ़ रहे हैं। हर साल करीब एक लाख रोगी सामने आ रहे हैं। दिल्ली के एक एनजीओ की सचिव शीतल उपनयना ने पिछले पांच साल में डेजर्ट में शोध किया। ‘ए स्टडी फार आई प्राब्लम इन डेजर्ट’ नाम के शोध-पत्र में उन्होंने बताया कि पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थलीय इलाकों में प्रदूषित पानी, रेतीली भूमि, साल भर चलने वाली हवा, असंतुलित खान-पान और कंप्यूटर क्रांति के चलते नेत्र रोगी बढ़ रहे हैं।

पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, फलौदी, ओसियां, बिलाड़ा, भोपालगढ़ और पोकरण सहित विभिन्न क्षेत्रों में आंखों के रोगी बढ़े हैं। साल में औसत एक लाख नेत्र रोगी हर साल सामने आ रहे हैं। डा. राजीव देसाई के अनुसार मारवाड़ के लोग आंखों के प्रति लापरवाही बरत रहे हैं। दैनिक दिनचर्या ऐसी है कि आंखों के प्रति लोग सजग नहीं हैं। रही सही कसर कंप्यूटर के बढ़ते प्रभाव ने पूरी कर दी। मोबाइल का अधिकाधिक उपयोग करने से भी आंखों पर असर पड़ने लगा है।

क्या कहता है शीतल उपनयना का शोध

-शोध के मुताबिक पश्चिमी राजस्थान में हर तीसरे दिन निशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर आयोजित हो रहे हैं। इनमें औसत 150 मरीज जांच करवा रहे हैं। साल में करीब 60 हजार नेत्र रोगी सामने आ रहे हैं। निजी व सरकारी अस्पताल और अन्य क्लीनिक में करीब 40 हजार रोगी जांच करवाते हैं। इस तरह साल में करीब एक लाख रोगी आंखों की जांच करवा रहे हैं। इनमें दस प्रतिशत लोगों में मोतियाबिंद पाया गया है।

-जिला अंधता निवारण समिति के माध्यम से हर साल 40 हजार से अधिक नेत्र रोगियों की जांच कर उपचार किया जा रहा है। जोधपुर में देसाई चैरिटेबल ट्रस्ट, जोधपुर अस्पताल, चांदी हाल अस्पताल, वासन  और एएसजी अस्पताल में बड़ी संख्या में नेत्र रोगी आ रहे हैं। इससे कहा जा सकता है कि पश्चिमी राजस्थान में नेत्र रोग बड़े स्तर पर हैं।

-यहां का पानी प्रदूषित होने से भी नेत्र रोगी बढ़ रहे हैं। साथ ही असंतुलित खान-पान और आंखों के प्रति लापरवाही भी इन रोगों की वजह है। यहां साल भर तेज हवा चलती है और रेत उड़ती है, इस वजह से भी रोगी बढ़ रहे हैं। साथ ही कंप्यूटर व मोबाइल क्रांति भी नेत्र रोगियों के बढ़ने का बड़ा कारण है।

-एक अनुमान के अनुसार नेत्र रोगियों में से 55 प्रतिशत मरीज निशुल्क चिकित्सा शिविरों में अपनी आंखों की जांच व आपरेशन करवाते हैं। 

वासन व एएसजी अस्पताल ने बनाया मुकाम

नेत्र रोगियों के लिए वासन आई केयर और एएसजी अस्पताल ने नया मुकाम बनाया है। यहां प्रदेश के कई हिस्सों से नेत्र रोगी जांच करवाने आते हैं। साथ ही आपरेशन और विभिन्न प्रकार के उपचार की दिशा में इन दोनों अस्पताल की विशेष पहचान है।

दृष्टि है तो सृष्टि है

श्री जागृति संस्थान के संयुक्त सचिव श्यामवीर सिंह ने बताया कि जीवन में अगर दृष्टि निकल जाए तो सारे सुख फीके पड़ जाते हैं। दृष्टि सही होगी तभी सृष्टि सुखद होगी। उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी आंखों के प्रति सजगता बरतनी होगी।



डाॅ पंवार का अभिनंदन समारोह आज

Posted by - anand kumar vasu

जैसलमेर /  डा. ललित के पंवार-सचिव पर्यटन कला संस्कृति भारत सरकार का अभिनंदन समारोह आज मरू सांस्कृतिक केन्द्र संग्रहालय में समारोहपूर्वक मनाया जायेगा। पर्यटन व्यवसाय संघ के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि अभिनंदन समारोह की अध्यक्षता लोकप्रिय विधायक छोटूसिंह भाटी करेंगे। विशिष्ट अतिथि  जिला कलेक्टर एन.एल.मीणा होंगे। साथ नगर के पूर्व विधायक किशनसिंह भाटी, गोरधन कल्ला, मुल्तानाराम, डाॅ जितेन्द्रसिंह भाटी पूर्व विधायक होंगे। मंचासीन अतिथि अब्दुला फकीर, महेन्द्र व्यास एवं अशोकसिंह तंवर अध्यक्ष नगरपरिषद जैसलमेर, यू.आई.टी. के पूर्व अध्यक्ष उम्मेदसिंह तंवर, एवं नन्दकिशोर शर्मा इतिहासकार होंगे। कार्यक्रम 10 बजे मरू सांस्कृतिक परिसर में आयोजित होगा। 

पंवार का योगदान


इतिहासकार संस्थापक मरू सांस्कृतिक केन्द्र के नन्दकिशोर शर्मा ने बताया कि त्रिवेणी (तिलवाड़ा) के बालोतरा ओद्योगिक नगरी में जन्में डाॅ पंवार राजस्थान सरकार के विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं। शिक्षा, जनसम्पर्क, पर्यटन, कला, संस्कृति पंचायत आदि विभिन्नों एवं सचिवों के पदों पर कार्य करते हुवे अपनी मौलिक कार्यशैली में आपने कार्य किया। हर विभाग में अपनी योग्यता की छाप छोड़ी तथा नई दिशा एवं दशा दी। राजकीय कर्मचारी, अफसर, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी सभी को साथ लेकर चलने वाले महान व्यक्तित्व एवं कृतित्व के धनी आज भी सभी विभागों में लोकप्रिय हैं। आपकी कार्यकुशलता, व्यवहार एवं कार्यशैली के कारण भारत सरकार में आप उच्च पद पर पहुॅचे है। आज आप भारत सरकार के महत्वपूर्ण पर्यटन, कला, संस्कृति के सचिव पद पर आसीन हुवे हैं। इससे बाड़मेर जैसलमेर ही नहीं बल्कि समुचा मारवाड़ गौरवान्वित हुआ है। बदलते हुवे जैसलमेर के पर्यटन व्यवसाय से आई मंदी के कारण पर्यटन व्यवसायियों में नया जोश आ गया है। उनमें एक आशा की किरण जागृत हुई है। पंवार अपनी योग्यता से पर्यटन को नई दिशा ओर दशा देंगे।
        
पंवार ने जैसलमेर में नोटीफाईड ऐरिया कमेटी के अध्यक्ष पद पर कार्य करते हुवें अनेक भूमि संरक्षण हेतु पार्क बनवायें, काॅलोनियां बनाई कलाकारों को प्रोत्साहित किया तथा लोगों को रोजगार दिया। जैसलमेर नगर का सौन्दर्य कर आपके समय में जितना कार्य हुआ उतना आज तक नहीं हुआ। जैसलमेर की प्राचीन पारम्पारिक शिल्पशैली जीवंत हुई। इसमें पंवार साहब की दूरदृष्टी है। आपका यह कार्य काल जैसलमेर के इतिहास मे अपनी अलग प्रगति के अध्याय के रूप से जाना जाता रहेगा। किशनसिंह भाटी परामर्शदाता, महेन्द्र व्यास संरक्षक, बालकिशन जोशी, सांगीदान भाटिया तथा कवि तेज लोक कला विकास समिति के सदस्यों ने पर्यटन, कला संस्कृति से जुड़ी संस्थाओं ओर प्रेमियों से इस कार्यक्रम में पधारने की अपील की है। 

बॉर्डर पर अतिक्रमण, रामगढ़-तनोट में तस्करों व भूमाफियाओं ने हथियाई बेशकीमती जमीन

-अल्पसंख्यक समुदाय का बेशकीमती जमीन व मुरबों पर कब्जा, एक वर्ग की आबादी बढ़ी, नहरी भूमि बनी कमाई का जरिया

वर्ल्ड स्ट्रीट न्यूज. जैसलमेर

पश्चिमी राजस्थान के भारत-पाक बॉर्डर पर भूमाफियाओं ने बेशकीमती जमीनें हथिया ली है। इन जमीनों पर दुकानें, मकान और कई प्लॉटों पर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही है। हालत यह है कि कई ग्रामीणों ने भी कच्चे झोंपे और मकान बनाकर जमीनें हथिया ली है मामला रामगढ़ व तनोट का है। बॉर्डर पर बसे ये इलाके अति संवेदनशील है। रामगढ़ से 65 किलोमीटर दूर बसे पाक बॉर्डर पर तनोट गांव में भी भूमाफिया सक्रिय हैं। रामगढ़ में तो नहरी भूमि के आस-पास कब्जे किए गए हैं।

पिछले दो दशक में रामगढ़ कस्बे में आबादी दस गुना बढ़ गई है। यहां पर नहर आने के बाद मुरबों की खरीद के नाम पर अल्पसंख्यकों ने खेतिहर जमीन हथिया ली है। दो दशक से पहले एक समुदाय विशेष के लोगों ने फर्जी दस्तावेजों से करोड़ों की भूमि पर कब्जा कर लिया है। सभी जमीनें खेतिहर है। मुरबों का जब आवंटन हुआ तो उपनिवेशन विभाग में जाली दस्तावेज देकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने मुरबे हथिया लिए। खासकर तस्करों ने अपने काले धंधे के रुपयों से मुरबे हथियाकर यहीं बस गए। दूसरी ओर भूमाफियाओं ने भी जमीन हथियाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। रामगढ़ कस्बे की 45 प्रतिशत भूमि अतिक्रमण और भूमाफियाओं के कब्जे में है। सरपंच और प्रधानों ने पटवारियों व ग्राम सेवकों के साथ मिलकर जमीनों को कब्जे में ले लिया है।

बदल गया रामगढ़, तस्करों का प्लॉटों पर कब्जा:

अगर रिकॉर्ड खंगाला जाए तो सच सामने आएगा। यहां की बेशकीमती जमीनें और मुरबों पर तस्करों का कब्जा है। रही सही कसर भूमाफियाओं ने पूरी कर दी। आज से दो-ढाई दशक पहले रामगढ़ के रास्ते तस्करी होती रही। बाद में कई तस्कर तस्करी छोड़कर अपने पैसों को मुरबों और जमीनों में लगा दिया। मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों को मुंह मांगे दाम देकर भूमाफियाओं व तस्करों ने रामगढ़ में प्लॉट हथिया लिए। कई मुरबों पर भी तस्करों का अधिकार हैं।

संवेदनशील है बॅार्डर पर बसा रामगढ़

बॉर्डर पर बसा रामगढ़ कस्बा काफी संवेदनशील हैं। यहां पर एक वर्ग विशेष की आबादी का बढ़ना खुफिया एजेंसियां भी चिंताजनक बता रही हैं। यहां एक वर्ग की जनसंख्या दो दशक में 22 प्रतिशत तक बढ़ गई है। खुफिया तंत्र का भी मानना है कि रामगढ़ में इस तरह आबादी बढ़ना और जमीनों पर तस्करों व भूमाफियाओं का कब्जा होना चिंता जनक है।

जिसने भी आवाज उठाई राजनीति ने किनारे कर दिया

गौरतलब है कि जैसलमेर के पूर्व एसपी पंकज चौधरी का स्थानांतरण भी पुराने मामले उजागर करने पर किया गया। पंकज चौधरी ने गाजी फकीर परिवार की फाइल खोल दी। उन्होंने पुराने मामले खोले तो राजनीतिक क्षेत्र में हड़कंप मच गया। यही नहीं पूर्व में भगवान लाल सोनी ने भी जब तस्करों के खिलाफ मामले खोले तब भी खूब राजनीति हुई। यही नहीं पहले भी एसपी पालीवाल और अन्य आईपीएस ने भी मामले खोले, लेकिन उनके स्थानांतरण कर दिए गए।

मुरबों पर भूमाफिया काबिज, खेती ठेके पर

कई मुरबों पर भूमाफियाओं का कब्जा है। इन्हें इन लोगों ने ठेके पर खेती के लिए दे रखा है। नियमानुसार मुरबे लेने में कई लोचे हैं, लेकिन भूमाफियाओं व तस्करों ने पैसा पानी की तरह बहाकर मुरबों पर कब्जा कर रखा है।

तनोट पर भी देशद्रोहियों की नजर


खुफिया एजेंसियों का आकलन है कि तनोट पर देशद्रोहियों की नजर है। यहां बीएसएफ तैनात है। अन्य खुफिया एजेंसियां भी तस्करों व देशद्रोहियों पर नजर रखे हुए हैं। लेकिन हालत यह है कि तनोट पर बार्डर के समीप भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पहुंच चुके हैं। ऐसे में पुलिस व खुफिया एजेंसियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है।

कराधान विभाग ने सिगरेट के फर्जी बिलों पर किया 2000 करोड़ का रिफंड!

Posted by: Pressvarta Posted date: 11/08/2014 10:22:00 AM / comment : 0

सिरसा(प्रैसवार्ता)। आबकारी एवं कराधान विभाग सिरसा के भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से सिरसा ने टैक्स चोरी में नए आयाम स्थापित कर दिए हैं। अधिकारियों की मिलीभगत की वजह से अकेले सिरसा जिला में फर्जी बिलों पर 2000 करोड़ रुपए से अधिक का रिफंड किया गया है। जितनी पूरे उत्तर भारत में सिगरेट की खरीद नहीं की गई उससे कहीं अधिक सिगरेट की खरीद अकेले सिरसा में दर्शाई गई?है। सिगरेट की फर्जी खरीद बेच करके कराधान विभाग से करोड़ों रुपए का रिफंड वसूला  गया है। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से अकेले मंडी क्षेत्र में 300 से अधिक फर्जी फर्में संचालित की जा रही हैं। 
तहकीकात में यह तथ्य सामने आया है कि फर्जी?फर्मों की सिरसा जन्मस्थली है। आबकारी एवं कराधान विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों ने यहां दो, चार, पांच नहीं बल्कि सैकड़ों फर्मों को जन्म दिया। ऐसी फर्मों का रजिस्ट्रेशन किया गया जिनका जमीनी स्तर पर कोई आधार नहीं, कोई ठिकाना नहीं, कोई दुकान नहीं, कोई कार्यालय नहीं, कोई फैक्ट्री नहीं। ऐसी फर्मों ने करोड़ों रुपए की खरीद कर डाली और कराधान विभाग से करोड़ों रुपए का टैक्स रिफंड भी ले लिया। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत की वजह से अकेले सिरसा में दो हजार करोड़ से अधिक का रिफंड घोटाला घटित हुआ है। हाल ही में एक फर्म को 60 लाख से अधिक का टैक्स रिफंड किया गया। 
सूत्र बताते हैं कि टैक्स की चोरी करने वाले फर्जी फर्म संचालकों द्वारा आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों से मिलकर पहले फर्मों का रजिस्ट्रेशन करवाया जाता है और फिर टैक्स चोरी के धंधे को अंजाम दिया जाता है। अनेक फर्मों का तो काम ही केवल और केवल टैक्स चोरी पर आधारित है। बताया जाता है कि गेहूं और नरमा उत्पादन में अव्वल स्थान रखने वाले सिरसा में सिगरेट?की इतनी खरीद दर्शाई जाती है कि जितनी पूरे उत्तर भारत में नहीं। सिरसा की इन फर्जी फर्मों द्वारा गुडग़ांव और फरीदाबाद से करोड़ों रुपए की सिगरेट की खरीद दर्शाई?जाती है। सिगरेट की खरीद पर दो प्रतिशत सीएसटी देय है। जबकि वेट 21 प्रतिशत है। 
फर्जी फर्म संचालकों द्वारा सिरसा में करोड़ों रुपए की सिगरेट की खरीद दर्शाकर नोहर, भादरा, हनुमानगढ़, गंगानगर व राजस्थान के अन्य कस्बों में बनाई?अपनी ही फर्जी फर्मों के नाम पर बिल जारी कर दिए जाते हैं और बदले में कराधान विभाग से 21 प्रतिशत टैक्स के रिफंड का दावा ठोक दिया जाता है। सूत्र बताते हैं कि कराधान विभाग के अधिकारियों को टैक्स रिफंड पर 20 प्रतिशत कमीशन हासिल होता है। फर्जी फर्म संचालकों द्वारा टैक्स रिफंड पर भारी भरकम कमीशन दिए जाने की वजह से कराधान विभाग के अधिकारी भी दौड़-दौड़ कर रिफंड?में सहयोग करते हैं।?यही वजह है कि सिरसा में पिछले कुछ वर्षों के दौरान 2000 करोड़ से अधिक का टैक्स रिफंड किया गया है। 
सिगरेट के नाम पर टैक्स चोरी का कारोबार इतना फल-फूल चुका है कि अकेले अनाजमंडी क्षेत्र में 300 से अधिक फर्जी फर्में सक्रिय हैं। इन फर्मों द्वारा केवल सिगरेट की बिलिंग का ही कारोबार किया जाता है। फर्जी फर्म के संचालन के लिए फर्म संचालकों द्वारा अपने अते-पते भी बड़े अजीब दिए हुए हैं। फर्जी?फर्म संचालन के लिए लालवेयर हाऊस के पास तो कोई पुरानी हाऊसिंग बोर्ड?में मकान के पीछे अपना पता बताता है। कई फर्में तो अकेले सिरसा क्लब के नजदीक दर्शाई गई हैं। सवाल यह है कि लाल वेयर हाऊस के पास ऐसी कौन सी औद्योगिक इकाई?है जहां करोड़ों रुपए का व्यापार होता है। हाऊसिंग बोर्ड कालोनी में ऐसा कौन से करोड़पति का निवास और दफ्तर है जोकि करोड़ों रुपए का लेन-देन करता है। यह सवाल आम आदमी के जहन में अवश्य उठते हैं मगर आबकारी एवं कराधान विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों को इसमें कुछ भी गलत नजर नहीं आता। यही वजह है कि कागजों में संचालित फर्जी?फर्मों पर नकेल कसने की बजाय कराधान विभाग के अधिकारी अपने कमीशन के चक्कर में करोड़ों रुपए का रिफंड इन फर्मों को करते हैं।

एक करोड़ पर 21 लाख मिलता है रिफंड
कराधान के नियमानुसार एक करोड़ की सिगरेट खरीद पर फर्जी फर्म संचालक 21 लाख रुपए के रिफंड का दावा करते हैं। फर्जी फर्म संचालकों द्वारा न सिगरेट खरीदी जाती है और न ही सिगरेट बेची जाती है। केवल सिगरेट खरीदने का बिल लिया जाता है और राजस्थान में बनाई अपनी ही फर्मों के नाम बिल काटा जाता है। इस प्रकार बिना किसी लेन-देन के, बिना किसी वस्तु के उत्पादन के फर्जी फर्म संचालक करोड़ों रुपए टैक्स की चपत सरकार को लगाते हैं।

ट्रेजरी खोल सकती है पोल
खजाना कार्यालय फर्जी फर्म संचालकों व कराधान विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत की पोल खोल सकता है। कराधान विभाग से करोड़ों रुपए का रिफंड खजाना कार्यालय (ट्रेजरी) के माध्यम से किया जाता है। ट्रेजरी विभाग का यदि रिकार्ड खंगाला जाए तो पिछले पांच वर्षों में दो हजार करोड़ से अधिक के रिफंड साबित हो सकता है। यही नहीं ट्रेजरी के रिकार्ड से यह भी साबित हो सकता है कि किस फर्म को कितनी-कितनी राशि रिफंड के रुप में हासिल हुई। यह भी ज्ञात हो सकता है कि करोड़ों रुपए का रिफंड हासिल करने वाली फर्मों की वास्तविक स्थिति क्या है? इन फर्मों द्वारा क्या धंधा किया जा रहा है? कौन सा औद्योगिक कार्य किया जा रहा है? क्या माल की खरीद की गई और क्या माल बेचा गया? 

उपायुक्त दें ध्यान
सिरसा में टैक्स रिफंड के फर्जीवाड़े पर उपायुक्त को ध्यान देना चाहिए। कराधान विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से बनी फर्जी फर्में हर वर्ष करोड़ों रुपए का रिफंड सरकार से हासिल कर रही हैं। फर्जी फर्मों की वजह से सरकार को करोड़ों रुपए के टैक्स की चपत लग रही है। सिगरेट खरीद के मामले से ही यह स्पष्ट है कि टैक्स की चोरी किस प्रकार की जा रही है। क्या यह संभव है कि पूरे उत्तर भारत से अधिक अकेले सिरसा में सिगरेट की खपत हो।

Friday, 7 November 2014

शास्त्री सर्किल पर भिखारी बन घूम रहे जेबकतरे

-एटीएम से बाहर निकलने वाले लोगों और चाट-पकौड़ी खा रहे लोगों को बना रहे निशाना, पुलिस की व्यवस्था नहीं होने से पॉश कॉलोनी के लोग और शहर से आने वाले लोग हो रहे परेशान

-डीके. पुरोहित-

केस वन: 
रमणलाल एटीएम से बाहर निकला ही था कि दो लड़के जो भिखारी थे, कुछ मांगने लगे, इस बीच पीछे से किसी ने जब साफ कर ली। पलक झपकते ही उसके पांच सौ रुपए पार हो गए।

केस टू: 
केसर अपने बीवी और एक बेटे और बेटी के साथ गोलगप्पे खा रहा था। इस बीच छोटे-छोटे बच्चे रोनी सूरत बनाकर भीख मांगने लगे। अचानक किसी ने पीछे से बटुआ निकाल लिया। केसर ने हाथ पकड़ा तो एक बच्चा रोने लगा बाबूजी छोड़ दो।

जोधपुर। शहर के पॉश इलाके शास्त्री नगर का शास्त्री सर्किल इलाका अब भिखारियों और जेबकतरों के लिए बदनाम है। यहां आए दिन लोगों की जेब पर भिखारी के वेश में घूमने वाले बच्चे हाथ साफ कर रहे हैं। इतने बड़े क्षेत्र में यहां पर रात्रि में पुलिस की माकूल व्यवस्था नहीं होने से लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है।

कई बच्चे फटेहाल और रोनी सूरत बनाकर यहां भीख मांग रहे हैं। शाम होते ही जैसे-जैसे शहर के लोग शास्त्री सर्किल पर बच्चों को घुमाने आते हैं तो ये भिखारी अपने धंधे में लग जाते हैं। इनमें कुछ महिलाएं भी हैं जो अपने बच्चों के साथ भीख मांगती है। जैसे ही लोग आइसक्रीम, चाट-पकौड़ी-इडली डोसा और गोल-गप्पों के ठेलों पर पहुंचते हैं, बच्चों के रूप में भिखारी पीछे ही पड़ जाते हैं। पिछले छह महीने में यहां दर्जनों भिखारी हो गए हैं। जब लोग इनको भीख या बख्शीश नहीं देते हैं तो मौका देख कर लोगों की जेब पर हाथ साफ कर देते हैं। इस बार में कई लोगों ने कहा कि यहां पुलिस की माकूल व्यवस्था होनी चाहिए।

वर्ल्ड स्ट्रीट ने कुछ लोगों से बात की तो मालूम चला समस्या गंभीर है। इसी इलाके के राजेश शर्मा ने बताया कि भिखारी किस्म के आवारा लड़के बढ़ गए हैं। इनसे छुटकारा पाना आसान नहीं है। जब देखो इनकी नजर हमारी जेब पर ही रहती है। हाथ फैलाकर अजीब सी सूरत बनाकर कुछ न कुछ मांगते ही रहते हैं। इनमें से तो कुछ बच्चे पांच से पंद्रह साल तक के हैं। महिला भिखारी गोद में बच्चे लिए भीख मांगती हैं। कोई कुछ नहीं करता। पुलिस पहली बात तो होती ही नहीं है, कभी कभार कोई कांस्टेबल खड़ा भी रहता है, तो कार्रवाई नहीं करता है। इसी तरह मुकंद व्यास ने बताया कि वह पिछले सप्ताह अपने बच्चे और पत्नी के साथ यहां घूमने आया था। भिखारियों ने उसके पर्स से एटीएम कार्ड और कुछ रुपए पार कर लिए। ऐसी समस्या कई लोगों के साथ है।

पुलिस का जाब्ता नहीं:



शास्त्री सर्किल जैसे व्यस्त इलाके में पुलिस का पर्याप्त जाब्ता नहीं है। कुछ सिपाही तैनात होते भी हैं तो वे भिखारियों को रोकते नहीं हैं। ऐसे में बच्चों के हौसले बढ़ गए हैं।

चार महीने से एक परिवार अपने बेटे का शव पुलिस से लेने के लिए दर-दर की खा रहा ठोकरें

Posted by: Pressvarta Posted date: 11/05/2014 04:14:00 PM / comment : 0

अमृतसर(बिक्रम गिल)। अमृतसर के अजनाला कस्बे के गांव चमियारी में चार महीने पहले हुए ऑनर किलिंग के चलते लड़की वालों द्वारा लड़की से फोन करवा कर लड़के को बुला कर उसकी हत्या कर शव को खुर्द-पुर्द कर देने के मामले में पुलिस द्वारा अभी तक कारवाई को लेकर सिर्फ एक आरोपी पर मामला दर्ज कर खानापूर्ति की गई है , लेकिन अभी तक उसे भी गिरफ्तार नहीं किया गया है। उधर मृतक लड़के का शव की हड्डियां चार महीने से अजनाला के मुर्दाघर में पड़ी संस्कार का इन्तजार कर रही हैं।  उधर पीडि़त परिवार को कोई इन्साफ नहीं मिल सका है। पीडि़त परिवार द्वारा पुलिस से इन्साफ न मिलने के चलते राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के समक्ष पेश होकर अपना दुखड़ा सुनाया थ, जिस पर आयोग ने अमृतसर देहाती पुलिस के उच्च अधिकारियों को तलब किया था। इस मामले में पीडि़त परिवार को आयोग ने अपने बेटे की अस्थियां लेकर उसका संस्कार करने के लिए कहा है और आई जी बॉर्डर रेंज को निर्देश दिए कि इस मामले में एसआईटी बनाई जाये और 15 दिन के अंदर अंदर आयोग को रिपोर्ट सौंपी जाये। 

ये है मामला:-
यह है अमृतसर के अजनाला कसबे के लोहारका कलां का रहने वाला मृतक जुगराज सिंह । मृतक जुगराज सिंह का आरोपी बलदेव सिंह की बेटी के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था तथा इस दौरान दोनों प्रेमियों में नाजायज संबंध बन गये। लड़की के घर वालों ने एक दिन दोनों को आपतिजनक स्थिति में देख लिया। लड़की के घर वालों ने लड़के जुगराज सिंह को अपनी लड़की से फोन कर बुलवाया तथा उसे मार कर उसका शव गटर में फैंक दिया। मृतक जुगराज सिंह के घर वालों ने बेटे का घर न लौटने पर उसकी तलाश शुरू कर दी लेकिन वो नहीं मिला। दरअसल घटना वाले दिन 16 वर्षीय मृतक जुगराज सिंह अजनाला के नजदीक गावं गुज्जापीर में काम करता था और 25 जुलाई को घर से काम पर गया था और उस दिन उसे पगार मिलनी थी , पर उस दिन से वो घर वापिस नहीं आया। इसके बाद उसकी लाश गावं चमियारी में मिली। मृतक के घर वालों के मुताबिक लड़की ने अपने घर वालों के साथ मिलकर फोन कर जुगराज को बुलाया था और उसकी बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी और शव को गटर में फैंक दिया। मृतक के घरवालों के मुताबिक पुलिस ने आरोपी किरणजोत कौर, बलदेव सिंह, तथा कुछ अन्य अपरिचित लोगों के खिलाफ एफ आई आर नंबर 166 में धारा 302, 201, 34 के तहत मामला दर्ज किया था, लेकिन बाद में सिर्फ एक ही आदमी पर मामला बना कर बाकि सभी को इस मामले से निकाल दिया।  पीडि़त परिवार का कहना है कि मृतक जुगराज का शव आधा मिला है और उसको जिस दर्दनाक तरीके से मारा गया था वो एक आदमी का काम नहीं है। इसमें और भी कई लोग मौजूद है। इसके अलावा पीडित परिवार का आरोप है कि मृतक की लाश पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने के बाद वापिस नहीं दी। उन्होंने आयोग से मांग की कि उन्हें इन्साफ दिलाया जाये।

ये कहना है पुलिस का:-
उधर इस मामले में जब पुलिस से बात की गई तो उन्होंने इस मामले की जानकरी देते हुए बताया कि आरोपियों ने दोनों को आपत्तिजनक हालत में देख लिया था जिसके बाद जुगराज की हत्या कर दी गई। पुलिस ने थाना अजनाला के अंतर्गत आते गावं चमियारी में लोहारका कलां के रहने वाले जुगराज सिंह की गली सड़ी लाश बरामद की थी। एस पी हेडक्वार्टर बलजीत सिंह ने आयोग के समक्ष तफ्तीश रिपोर्ट पेश की। एस पी ने बताया कि  मृतक जुगराज सिंह का आरोपी बलदेव सिंह की बेटी के साथ अवैध सम्बन्ध थे। उक्त रात बलदेव को जुगराज के बारे पता चला और बलदेव ने जुगराज की हत्या की है . बलदेव ने उसके शव को ड्रेन में फैंक दिया था। एस पी के मुताबिक जुगराज के कत्ल में सिर्फ  बलदेव का हाथ था बाकी कोई भी शामिल नहीं था और बलदेव को गिरफ्तार कर लिया गया है। एस पी ने बताया कि लाश को डी एन ए टेस्ट कराने के लिए भेजा गया है।

उर्दू विद्वानों ने दिया उर्दू को डिजिटल दुनियां से जोड़ने पर बल

Posted by: Pressvarta Posted date: 11/01/2014 11:30:00 AM / comment : 0

नई दिल्ली(शुक्ला)। राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के तत्वावधान में विश्व उर्दू सम्मेलन के दूसरे दिन शुक्रवार को उर्दू के देश विदेश से आए विद्वानों ने उर्दू के प्रचार एवं प्रसार पर विचार-विमर्श किया और उर्दू को डिजिटल दुनियां से जोड़ने पर बल दिया। पहले सत्र की अध्यक्षता प्रो. अबुल कलाम क़ासमी (अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी) ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि आज के इस सत्र की विशेषता यह है कि हमें उर्दू भाषा विज्ञान, उर्दू के बुनियादी ढांचे और उर्दू संस्कृति का सोचने और चिंतन करने पर विवश किया। सैयद अमीन हैदर (अमेरिका) जो अमेरिका में उर्दू इंस्टीट्यूट चलाते है ने बताया कि अमेरिका में उर्दू के संबंध में देखा जाए तो रचनात्मक कार्य अत्यधिक हो रहा है। रचनात्मक पुस्तकें खूब निकाल जा रही है और उर्दू को आधुनिक तकनीक से जोड़ने का भी प्रयास किया जा रहा है। उन्होनें कहा कि उर्दू को डिजीटल दुनिया से जोड़ने की जरूरत है। डा. सैयद तकी आबिदी (कनाडा) ने कहा कि राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद एक ऐसा आंदोलन चलाये जिससे उर्दू को यू.एन.ओ. में और उच्चस्थान मिल सके। प्रो. अतीकुल्लाह (दिल्ली विश्वविद्यालय) ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भाषा का अपना मनोविज्ञान होता है जो उसकी संस्कृति में निहित होता है। जमील असगर (पाकिस्तान) ने इकबाल की शायरी का इक्कीसवीं शताब्दी के संदर्भ में जायजा लिया। नासिर अब्बास नैयर (पाकिस्तान) ने कहा कि इक्कीसवीं सदी में समय की कल्पना ने जो रूप धरा है उससेे हमारे जीवन के सभी आयामों और विभागों पर असर पड़ा है। प्रो. वफा यजदां (ईरान) ने इस बात पर बल दिया कि उर्दू वालों को ईरान वालों के साथ और अधिक संपर्क बनाना चाहिए। सैयद फैसल अली ग्रुप एडिटर सहारा उर्दू ने कहा कि अगर हमें अपनी जब़ान को बचाना है तो उर्दू को डिजिटल इंटरवेनशन से जोड़ना होगा। डा. सीमा सगीर, असलम जमशेदपुरी, प्रो. अब्दुस सत्तार दल्वी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। चाय के अंतराल के बाद प्रो. फरजाना आजम लुत्फी (ईरान), प्रो. अली ब्यात (ताशकंद), प्रो. अली अहमद फातमी (इलाबाद) और नाजिमुद्दीन मकबूल आदि ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए अंत में आयुक्त आयकर विभाग सैयद मो. अशरफ ने इस सत्र में पढे़ गए तमाम पेपरों का विशलेषण किया और एन.सी.पी.यू.एल कि उर्दू के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। 

दिल्ली, जम्मू कश्मीर व झारखंड पर भविष्यवाणी

Posted by: Pressvarta Posted date: 11/05/2014 02:42:00 PM / comment : 0

इस बार विधानसभा चुनावों का नजारा ''न भूतों न भविष्यति" वाला होगा। चहुओर ''मोदी की सुनामी" देखने को मिलेगी। दिल्ली, जम्मू कश्मीर एवं झारखंड तीनों विधानसभाओं के नतीजे विपक्ष की कमर तोड़ देंगे। ''कांग्रेस मुक्त भारत" का नारा सत्यता की ओर अग्रसर दिखाई देगा।
दिल्ली विधानसभा चुनावों की घोषणा की भविष्यवाणी 02 नवंबर 2014 को ''प्रैसवार्ता" द्वारा निम्रत: प्रसारित की गई।
(1) दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा नवंबर में एवम् चुनाव जनवरी 2014 में होंगे।
(2) ''मोदी जी की सुनामी" के तहत बीजेपी 63 सीटें प्राप्त करेगी। किसी एक राष्ट्रीय दल का सुपड़ा साफ हो जाएगा।
(3) आर एस एस प्रस्तावित ''J/S" Intitial का दल का नेता चुना जाएगा, जो दिल्ली का ''मुख्यमंत्री" बनेगाा।

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव
23 दिसंबर 2014 के चुनावी नतीजे अविश्वसनीय होंगे। 39 सीटों के साथ भाजपा जम्मू कश्मीर की सबसे बड़ी पार्टी होगी। देश में पूर्णयता बदलाव की लहर है। ''न भूतो न भविष्यति" आईएसआईएस की घिनौनी हरकतों का असर दिखाई देगा। भारत ''हिंदुराष्ट्र" की राह पर अग्रसर दिखाई देगा। विभिन्न राष्ट्रीय दलों की स्थिति निम्रत: रहेगी:-
भाजपा 39, जेकेएनसी 17, जेकेपीडीपी 17, आईएनसी 07, अन्य 07...टोटल 87

झारखंड विधानसभा चुनाव
झारखंड में सब विपक्षी दल ''एक साथ लामबन्ध" होकर ''मोदी विजय रथ" को रोकने की कोशिश करेंगे। वृश्चिक राशीस्थ शनि विपक्ष के लिए बहुत अनिष्ठकारी साबित होगा। मेष-तुला-सिंह राशी वाले राष्ट्रीय दलों के नेताओं का बहुत अनिष्ट होगा।  वृश्चिक राशि नरेंद्र मोदी की ''सुनामी का कहर" कई दिग्गज नेताओं को  ''पप्पु" बना देगा। नवंबर में आंतकी घटनाक्रम ज्यादा होंगे। झारखंड में विभिन्न राजनीतिक दलों की स्थिति निम्रत: रहेगी
भाजपा 39+, जेएमएम 20, आईएनसी 04, अन्य 18....टोटल 81
                    तीन राज्यों में सरकारे भाजपा की बनेंगी और मुख्यमंत्री भाजपा के होंगे।
माननीय ''वृश्चिक राशी नरेंद्र मोदी" का शनि क्रमश: तुला/मेष/सिंह एवम् कुंभ राशि वाले राष्ट्रीय नेताओं की प्रतिष्ठा के लिए नेस्तावूदकारक साबित होंगा। पुन: नवंबर में आंतकी घटनाक्रम हानिकारक साबित हो सकते है। अत: माननीय मोदी जी के अपने सुरक्षा चक्र से बाहर नहीं आना है। ''सुरक्षा एजेंसियों" को विशेष सचेत रहना होगा। पुन: दिसंबर के अंत में केंद्रीय सरकार द्वारा धारा 370 समाप्त करनेे की संभावना है।
(संतबेतरा अशोका,  मो. 9990014155)